आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं, डॉ. सदानंद पॉल द्वारा लिखित अंगिका हनुमान चालीसा।अंगिका 'हिंदी' की उपभाषा है; जो बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल यानी भारत के तीन राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्र और नेपाल के कोसी प्रदेश में बोली जाती है। श्रीराममय भक्ति माहौल में श्रीहनुमान चालीसा की महती प्रासंगिकता है। अंगिका भाषा में पहली बार यह चालीसा डॉ. सदानंद पॉल ने लिखा है, जो स्वयं में भाषाविद और शिक्षाविद हैं। आइये, इसे गीत और लयबद्ध पढ़ते हैं...
डॉ. सदानंद पॉल |
दोहा
सब गुरजिकअ पैरकsधूल छय कमल समान,
हमरअ मन कs लिखनेमअ सुधारकर दिहअ।
जात-पाँत स परे अच्छा अउर सच्चा मन सs,
सदग्यान पावेअ खातिर सदपरिणाम चाहै छी,
हम छी अग्यानी बच्चा से प्रणाम हे हनुमानजी,
ताकत ग्यान बिदया अउर दुख दूरकर दिहअ।
चौपाई
जै बजरंगबली ग्यानी गुणी समुंदर छय,
सभै लोक-परलोकमअ बलवीन्दर छय।
श्रीरामदूत छय खूब तकत हरलोकs म,
माय अंजनी देवी बाबा पवन झोंका मs।
महाबीरजोद्धा छय ताकतनाथ हनुमंतजी,
कुबुद्धिनिवारक सदबुद्धिनाथ अरिहंतजी।
सोनाशरीर अउर गमकय छय तीनेलोकs,
कानरशोभा कुंडल छय बाल भी संवारेकs।
तकतवर हाथ मs विजयपताका फहराय छय,
बलिष्ठ कंधा मs ग्यान जनउ पहनलअ छय।
खुद शिव छय हमरअ हनुमान केसरिरबेटाs,
जे छय तेज संसारेमअ प्रणाम अंजनिरबेटाs।
बिदया मअ तेज छय खूबे गुणवान हनुमानजी,
श्रीरामकs सब काम करै व्याकुल हनुमानजी।
श्रीराम कअ बारे मs सब मन लगाकअ सुनै छी,
श्रीराम केय साथ माता सीता लक्ष्मणक सुनै छी।
छोटका शरीरमअ सीता सअ प्रणाम करलsछी,
शरीर बड़का बनाकअ लंकाकअ जलै लअ छी।
अउर भयंकर शरीर बनाकs राक्षस मारि देलकय,
श्रीरामक सबकामकरि क बड़का भगत कहलकय।
पहाड़े उठाकs लक्ष्मणबास्तs संजीवनीबूटी आनकय,
बहोत खुश होकs श्रीराम ओकरा दिलमs बसैलकय।
श्रीराम जेकरसअ बहोत खुश होय छय पियारे भाय,
सबेमअ श्रीराम देखअछय परेमपरम भरतसs भाय।
पवनतनुज सभै आदमिअ तोरेs ही गुणगान करै छी,
कहै मीठ बोली माय वीणापाणि भी यही गान करै छी।
सभै देवता ब्रह्माजी व मुनिवर तोरेs गुणगान करै छी,
नारदजी सहित माय शारदे भी त तोरेs मान करै छी।
यमनरेश, कुबेर कअ साथ सभै दिशाकsरक्षके जहाँ,
कवि-कवीश्वर मिली कअ भी तोरेsगुण नय कहे इहाँ।
कपिनरेश सुग्रीव क साथ तों कयी उपकार करलिहै,
श्रीराम क सहायता स वअ किष्किंधाराज बनगेलैय।
श्रीरामसअ विभीषण क मिलाय क राजदूत कहलैले,
परदेश लंकारराजा बनाय कs कूटनीतिक कहलैले।
अरबों-खरबों दूर ब्रह्मांड म सूरज छय विराजमान
एकरा मीठा फल जानि क निगलि लेल क हनुमान।
श्रीराम क अँगूठीर लेके गेलै छेलय बजरंगबली,
ताज्जुब नयी समुंदर लाँघी लेलकय बजरंगबली।
कठिन सअ कठिन काम स कोय फिकर नैनअ छय,
अनुरोध होते ही कठिन काम भी सरल हो गेलै छय।
भगवंत श्रीरामकअ द्वारपाल छय इहाँ दरबार मय,
श्रीराम क आदेश म रुपयों कअ कहाँ दरकार छय।
तोरै आगे सब समर्पण पर सुख-सुविधा बेकार इहाँ,
तोरअ रहतअ कैनहअ डर-दुविधार धिक्कार इहाँ।
यश शक्ति रौनक छय हमरा महाबली बजरंगजिक,
तीनों लोकपरलोकअ निवासी काँपै एकरs देखि क।
'गर होयतs भूत प्रेत बेताल त नजदीक नय अयते,
हनुमानजी कअ नाम जखनि-जखनि लेलअ जयते।
रोग व्याधि दुख निर्धनता पीड़ा सभै खत्म हो जयते,
जै जै हनुमानजी जपतै हमेशा तअ पीड़ा खत्म होते।
हर समस्या-संकट कअ समधान करतय हनुमान,
मनसs काम करs अउर ध्यानमs लेकअ हनुमान।
श्रीराम पुरुषोत्तम मर्यादा जोगी ग्यानी राजा छs,
ओकरा नाम सs सबकाम होतs छय परजा कs।
हर क मनोकामना पूरा करतय जे इच्छा रखतय,
सच्चाअउर अच्छाकामर फल जीवनभर पैयतय।
श्रीरामभगत हनुमान कs नाम चारों युगअ मs छय,
पूरे संसारs मअ परतिष्ठा सs परकाशित होयछय।
जोगी मुनि साधू सन्यासि संतों कअ संरक्षक छय,
अत्याचारी पापी क्रूरअसुरकअ बड़ा संहारक छय।
अध्यात्मी आठ सिद्धिक नवेसंसारिकनिधिर दाते हे,
निर्धन कअ धनदे पूरा करतय जनकनंदिनी माते हे।
ग्यान-विग्यान मअ राममय यअ रसायन पास छय,
श्रीराम हर संकट कs टाले तभि तs हम दास छय।
हनुमानजीक आराधना सेय हम श्रीराम कs पावे छी,
हय 'गर हर जन्मो क तकलीफ तअ ठीक हो जावे छी।
अयोध्या तीरथ छय तअ हर भगतक वहाँ जाना छय,
श्रीराम लेलकय जनम एकबार जरूर वहाँ जाना छय।
हर देवी-देवताक दिल मs वीर हनुमन्त बसलअ छय,
तभैतs भगत हनुमंत म आस्था रखिक सुख होय छय।
समस्याक समाधान होलअ सेय ही सब पीड़ा मिटतय,
पल-पल जे कोय याद हनुमान जी क करतअ रहतय।
जै जै हो हमरअ पवनपूत अंजनीसुत वीरहनुमानजी,
किरपा करिहअ हमरअ पर हे गुरुगंभीर हनुमानजी।
जे कोय याद रखतय मनसsअउर पाठ करतय हरबार,
सही काम करतय तअ जेल स छुटकर अयतै घरबार।
जे कोय पढ़तय अंगिका म यहअ श्रीहनुमान चालीसा,
ओकर हर काम पूरा करतय यअ आदरणीय चालीसा।
ग्यानविग्यान अध्यात्म सहित छय काम प्रधान काल,
त्रुटि होय 'गर तअ माफ करि दिहअ हे हृदयविशाल।
दोहा
हे समीरकsबेटा सब कअ सब समस्या दूर करिअs,
हे शुभ मंगल रूपवाला सच्ची मअ दुख दूर करिअs।
हे दिलमs श्रीराम-सीता-लक्षमण बसा कs रखिहs,
श्रीराम भगत हनुमानजी हमराकs दिल मअ रखिहs।
नमस्कार दोस्तों !
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