"*सुधन्वा*" (गीति नाट्य) -- डॉ. एस पॉल ।
(प्रस्तुत गीति-नाट्य में 12 पात्र 12 आयामों का प्रकटीकरण है, यथा:- कालचक्र, अश्वमेध-यज्ञ, अश्व, महाभारत, काल, चम्पकपुरी, राजा हंसध्वज, शंख-लिखित, अवतार, भारतवर्ष, कृष्णार्जुन और सुधन्वा । ध्यातव्य है, 'सुधन्वा' ऐतिहासिक नायक थे । )
चम्पकपुरी
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मिथिलांचल में पाटलिपुत्र-सा, कुशध्वज की रज्जधानी थी ,
अवतार वैदेही माता जानकी, कि स्वयं शक्ति भवानी थी ।
पुष्प पाटल की सुरभि में , चंपा भी एक सहेली थी ,
कि मैके - माँ की घर में , दम खेल मेल'से खेली थी ।
चम्पक वन में चमचम - सी , नगरी चम्पकपुरी बसी थी,
राज - दुलारे गगन - सितारे, चकमक'से रवि - शशि थी ।
मंथन पर सागर को जहाँ , अमृत और विष देना पड़ा ,
नीलकंठी - कल्याणकर - शिव को,विषपान क्यों लेना पड़ा ?
चम्पकपुरी थी सौम्य - सुन्दर , हा-हा सत्य कैलाशपुरी थी ,
राजा - प्रजा के बीच समन्वय , समता न्याय - धुरी थी ।
हंसध्वज थे वीर राजा , पर धीर - गंभीर नहीं थे ,
श्रवण - शक्ति क्षीण उनकी , मंत्री वाक् - पटु सही थे ।
रीति - प्रीति की बात समर में , रेणु ही अणु बनती है ,
धर्म के निर् महाप्राण में ही , उत्तम परम - अणु बनती है ।
क्रमशः...
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