"*सुधन्वा*" (गीति नाट्य) -- डॉ. एस पॉल ।
(प्रस्तुत गीति-नाट्य में 12 पात्र 12 आयामों का प्रकटीकरण है, यथा:- कालचक्र, अश्वमेध-यज्ञ, अश्व, महाभारत, काल, चम्पकपुरी, राजा हंसध्वज, शंख-लिखित, अवतार, भारतवर्ष, कृष्णार्जुन और सुधन्वा । ध्यातव्य है, 'सुधन्वा' ऐतिहासिक नायक थे । )
राजा हंसध्वज
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समाचार यहाँ , घोड़ा यज्ञ का , नगर - प्रवेश किया है ,
पकड़ो - पकड़ो का आदेश , हंसध्वज महेश किया है ।
स-अक्षर के साक्षर पुत्र, पंच पुत्र थे पांडव समान ,
एक - एक बल - आज्ञाशाली, वे किशोरवय के जवान ।
सुगल ज्येष्ठ पुत्र थे ताकतवर , ब्रह्मास्त्र वह पाया था ,
दिशा उत्तर का रक्षा - भार , संभालने वह आया था ।
मंझले पुत्र सुरथ ने , रथ - कवचास्त्र पाया था ,
दक्षिण दिशा का रक्षा - भार , हाँ, वह संभालने आया था ।
सम नाम था, संझले का , की सर्वास्त्र वह पाया था ,
रक्षक बने वो पूर्व दिशा के , वे ही संभालने आया था ।
चौथे पुत्र सुदर्शन ने , मोह दर्शन के मोहास्त्र पाया था ,
पश्चिम दिशा का रक्षा - भार , संभालने को आया था ।
औ' कनिष्ठ थे सुधन्वा , घोड़ा उसे ही पकड़ना था ,
किशोर थे विवाहित वे, हा - हा , युद्ध उसे ही लड़ना था ।
क्रमशः...
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