"*सुधन्वा*" (गीति नाट्य) -- डॉ. एस पॉल ।
(प्रस्तुत गीति-नाट्य में 12 पात्र 12 आयामों का प्रकटीकरण है, यथा:- कालचक्र, अश्वमेध-यज्ञ, अश्व, महाभारत, काल, चम्पकपुरी, राजा हंसध्वज, शंख-लिखित, अवतार, भारतवर्ष, कृष्णार्जुन और सुधन्वा । ध्यातव्य है, 'सुधन्वा' ऐतिहासिक नायक थे । )
भारतवर्ष
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भारतवासी वीर बनो , ऋषियों की है यह वाणी ,
नेक, बहादुर, धीर बनो , तुम पक्के हिन्दुस्तानी ।
सीता, राधा, सती, सावित्री की, धरती यह न्यारी ,
गंगा, यमुना, सरस्वती - सी , नदियाँ पूज्या प्यारी ।
रामकृष्ण - सम परमज्ञानी का , देश हमारा है ,
विविध धर्म का मर्म - एक सिद्धांत हमारा है ।
अपने आदर्शों पर है , कुर्बान जहाँ जवानी ,
नेक, बहादुर , धीर बनो , तुम पक्के हिन्दुस्तानी ।
वेद, कुरआन, गुरुग्रंथ, बाइबिल का, अद्भुत संगम अपना,
मानव - मानव एक बने , बस - यही हमारा सपना ।
रावण , कंश , हिरण्यक के, गौरव को ढहते देखा ,
आदर्शों की प्रतिमाएँ आयी, पढ़ी है सबने लेखा ।
जन्मे द्रोण, बुद्ध, गांधी और विदुर - से सच्चे ज्ञानी ,
नेक, बहादुर, धीर बनो , तुम पक्के हिन्दुस्तानी ।
क्रमशः...
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