काश !! वो मॉडर्न लड़की फिर मिल जाती, तो मैं कहता 67 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
"वह कौन थी ? काश ! वो मुझे फिर मिलती !"
आज भरे भीड़ में एक लड़की को देखा ! ये लड़की अमूमन भारतीय लड़की जैसी दिख रही थी-- उस भीड़ में काफी लड़की थी, लेकिन उस 5'10" वाली लंबी लड़की में आखिर क्या था कि मैं उसकी ओर खींचा चला जा रहा था ? वो थी तो साधारण घर की पर पहनावा मॉडर्न युगीन लड़की जैसी -- काली जीन्स के साथ टॉप पहनी "लंबी नाक-नक्श पर मासूम-सा तिल का दाग लिए, जिसके कारण गोरे चेहरे पर नाजुक मुस्कान के साथ वो काफी प्यारी लग रही थी और मैं खड़े भीड़ में बस उसे निहारे जा रहा था । वो जहाँ-जहाँ जा रही थी, मैं उसकी नाजुक क़दमों का पीछा कर रहा था काफी देर तक पीछा करने के बाद वह मुझे काफी गलियों से गुजारते हुए लिए जा रही थी, पर उसे नहीं पता था कि कोई उसका पीछा कर रहा है ! वो अपनी स्मार्टफोन में कुछ लिखती हुई शायद चैटिंग करती हुए आगे गली में बढ़ी जा रही थी !
वो मुझे ऐसी गलियों में प्रवेश करती दिखी, जहाँ स्लम बच्चे नंगे सूखी रोटी को खा रहे थे, मुझे लगा कैसी एरिया में रहती है इतनी मॉडर्न लड़की, पर मेरा सोचना गलत था वो वहां रुकी नहीं आगे बढ़ती जा रही थी अभी तक मैं उसके पीछे '1 घंटा' गवाँ चूका था, वो फिर आगे बढ़ी साथ में मैं भी ! वो चलते जा रही थी बिना थके पर मुझे थका रही थी ।
मैंने भी सोच लिया था इसका घर देखकर ही रहूँगा ! वो अब ऐसी एरिया में रुकी जहाँ 'लोग पानी के लिए झगड़ रहे थे, मैंने सोचा कोई सोशल वर्कर होगी इसलिए ऐसी एरिया में है, पर कहीं वह किसी से भी बात नहीं कर रही थी बस आगे बढ़े जा रही थी हालात को देखते हुए मैं भी बढ़ा जा रहा था, अब वो ऐसी जगह से जा रही थी जहाँ के रोड का सिचुएशन बेहद जर्जर था । वह कुछ देर रुकी और फिर बढ़ी, मैं भी बढ़ा उनके कदमों के साथ-साथ । अब इम्तेहान देने की शक्ति मेरी ख़त्म हो चुकी थी । पिछले 4 घंटे से उस लड़की का मैं पीछा किया जा रहा था और वह भी पैदल ! फिर वह गली की ATM में गयी --'पर रूपया नहीं है का बोर्ड टंगी'-- उसे दिखाई पड़ गयी । वह मुड़ी और चल दी । मेरा धैर्य का बांध टूट गया और मैंने निश्चय करके उसे टोक दिया, ऐ सुनो ...?
वो नहीं रुकी, क्योंकि शाम के 7 की घन्टी कुछ देर पहले एक एरिया में सुनाई दे चुकी थी।
शायद उसे लगा -- कही उसके साथ कोई कुछ घटना न हो जाय, इसलिए वो नहीं रुकी ।
फिर हिम्मत करके मैंने कहा, ऐ सुनो.. आपको ही कह रहा हूँ !!
वो रुकी, बोली क्या है ??
मैं अनिश्चय के स्थिति से निकलता, पर दिल की जुबान अपने-आप चल पड़ा, मैं पिछले 4 घंटे से आपका पीछा कर रहा हूँ पर आप ऐसी जगह पर से निकल रहे है कि मेरा अब उबकी करने का मन कर रहा, मैंने यह बात एक ही सुर में कह दिया ।
उसने मुझे देखा और हँस पड़ी । मुझे अटपटा लगा पर उसकी हंसी दिल में शमाँ गई ।
मैंने पूछा क्यों हंस रही हैं आप ? 'उसकी जवाब ने मेरे 4 घंटे की मेहनत' को चार चाँद लगा दिया, उसने कहा मैं तुम्हें जान-बूझकर ऐसी एरिया और ऐसी जगह से लाई हूँ ??
उस परी जैसी लड़की के जवाब ने मेरे 'दिल को और बच्चा' बना दिया ।
मैंने कहा आपने लाया पर मैं तो खुद आपके पीछे आया हूँ !
कैसे ??
कैसे मत पूछों ? मैं बस तुम्हें हालात दिखा रही थी-- 'उदय भारत की'..??
मैंने कहा ऐसा भारत -- जहाँ इतनी गरीबी, भुखमरी, पानी का संकट है पर आप कौन है और मुझे क्यों दिखा रही हैं ?
उसने कहा, मैं तुम्हारी माँ हूँ !
मुझे लगा यह लड़की पगला गयी है, क्या ? या मुझे पागल कर रही है ।
मैं अपने-आप को संतुलित कर कहा -- मेरी माँ तो घर पर है और आप अभी लगती है मात्र 25 की तो बतायेंगी आप किस तरह से मेरी माँ है ?
उसके जवाब ने मुझे shoked कर दिया !
मैं पूरे भारत की माँ हूँ ।
मैंने कहा -- अब आप मुझे इर्रिटेड मत कीजिये ...!
वो बोली पगले मैं भारत माँ हूँ ।
मुझे लगा आज कोई पगली लड़की का क्या मन आ गई है मुझपर ? मैंने क्यों पीछा किया ??
मैं भी क्वेश्चन पर क्वेश्चन दागे जा रहा था ?
भारत माँ और इतनी मॉडर्न !!
उस का उत्तर सुनने से पहले अलार्म की घंटी बजी और मैं जग गया । आँख खुली तो पाया गणतंत्र दिवस अपने 67 वें वसंत में प्रवेश कर गया है ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
"वह कौन थी ? काश ! वो मुझे फिर मिलती !"
आज भरे भीड़ में एक लड़की को देखा ! ये लड़की अमूमन भारतीय लड़की जैसी दिख रही थी-- उस भीड़ में काफी लड़की थी, लेकिन उस 5'10" वाली लंबी लड़की में आखिर क्या था कि मैं उसकी ओर खींचा चला जा रहा था ? वो थी तो साधारण घर की पर पहनावा मॉडर्न युगीन लड़की जैसी -- काली जीन्स के साथ टॉप पहनी "लंबी नाक-नक्श पर मासूम-सा तिल का दाग लिए, जिसके कारण गोरे चेहरे पर नाजुक मुस्कान के साथ वो काफी प्यारी लग रही थी और मैं खड़े भीड़ में बस उसे निहारे जा रहा था । वो जहाँ-जहाँ जा रही थी, मैं उसकी नाजुक क़दमों का पीछा कर रहा था काफी देर तक पीछा करने के बाद वह मुझे काफी गलियों से गुजारते हुए लिए जा रही थी, पर उसे नहीं पता था कि कोई उसका पीछा कर रहा है ! वो अपनी स्मार्टफोन में कुछ लिखती हुई शायद चैटिंग करती हुए आगे गली में बढ़ी जा रही थी !
वो मुझे ऐसी गलियों में प्रवेश करती दिखी, जहाँ स्लम बच्चे नंगे सूखी रोटी को खा रहे थे, मुझे लगा कैसी एरिया में रहती है इतनी मॉडर्न लड़की, पर मेरा सोचना गलत था वो वहां रुकी नहीं आगे बढ़ती जा रही थी अभी तक मैं उसके पीछे '1 घंटा' गवाँ चूका था, वो फिर आगे बढ़ी साथ में मैं भी ! वो चलते जा रही थी बिना थके पर मुझे थका रही थी ।
मैंने भी सोच लिया था इसका घर देखकर ही रहूँगा ! वो अब ऐसी एरिया में रुकी जहाँ 'लोग पानी के लिए झगड़ रहे थे, मैंने सोचा कोई सोशल वर्कर होगी इसलिए ऐसी एरिया में है, पर कहीं वह किसी से भी बात नहीं कर रही थी बस आगे बढ़े जा रही थी हालात को देखते हुए मैं भी बढ़ा जा रहा था, अब वो ऐसी जगह से जा रही थी जहाँ के रोड का सिचुएशन बेहद जर्जर था । वह कुछ देर रुकी और फिर बढ़ी, मैं भी बढ़ा उनके कदमों के साथ-साथ । अब इम्तेहान देने की शक्ति मेरी ख़त्म हो चुकी थी । पिछले 4 घंटे से उस लड़की का मैं पीछा किया जा रहा था और वह भी पैदल ! फिर वह गली की ATM में गयी --'पर रूपया नहीं है का बोर्ड टंगी'-- उसे दिखाई पड़ गयी । वह मुड़ी और चल दी । मेरा धैर्य का बांध टूट गया और मैंने निश्चय करके उसे टोक दिया, ऐ सुनो ...?
वो नहीं रुकी, क्योंकि शाम के 7 की घन्टी कुछ देर पहले एक एरिया में सुनाई दे चुकी थी।
शायद उसे लगा -- कही उसके साथ कोई कुछ घटना न हो जाय, इसलिए वो नहीं रुकी ।
फिर हिम्मत करके मैंने कहा, ऐ सुनो.. आपको ही कह रहा हूँ !!
वो रुकी, बोली क्या है ??
मैं अनिश्चय के स्थिति से निकलता, पर दिल की जुबान अपने-आप चल पड़ा, मैं पिछले 4 घंटे से आपका पीछा कर रहा हूँ पर आप ऐसी जगह पर से निकल रहे है कि मेरा अब उबकी करने का मन कर रहा, मैंने यह बात एक ही सुर में कह दिया ।
उसने मुझे देखा और हँस पड़ी । मुझे अटपटा लगा पर उसकी हंसी दिल में शमाँ गई ।
मैंने पूछा क्यों हंस रही हैं आप ? 'उसकी जवाब ने मेरे 4 घंटे की मेहनत' को चार चाँद लगा दिया, उसने कहा मैं तुम्हें जान-बूझकर ऐसी एरिया और ऐसी जगह से लाई हूँ ??
उस परी जैसी लड़की के जवाब ने मेरे 'दिल को और बच्चा' बना दिया ।
मैंने कहा आपने लाया पर मैं तो खुद आपके पीछे आया हूँ !
कैसे ??
कैसे मत पूछों ? मैं बस तुम्हें हालात दिखा रही थी-- 'उदय भारत की'..??
मैंने कहा ऐसा भारत -- जहाँ इतनी गरीबी, भुखमरी, पानी का संकट है पर आप कौन है और मुझे क्यों दिखा रही हैं ?
उसने कहा, मैं तुम्हारी माँ हूँ !
मुझे लगा यह लड़की पगला गयी है, क्या ? या मुझे पागल कर रही है ।
मैं अपने-आप को संतुलित कर कहा -- मेरी माँ तो घर पर है और आप अभी लगती है मात्र 25 की तो बतायेंगी आप किस तरह से मेरी माँ है ?
उसके जवाब ने मुझे shoked कर दिया !
मैं पूरे भारत की माँ हूँ ।
मैंने कहा -- अब आप मुझे इर्रिटेड मत कीजिये ...!
वो बोली पगले मैं भारत माँ हूँ ।
मुझे लगा आज कोई पगली लड़की का क्या मन आ गई है मुझपर ? मैंने क्यों पीछा किया ??
मैं भी क्वेश्चन पर क्वेश्चन दागे जा रहा था ?
भारत माँ और इतनी मॉडर्न !!
उस का उत्तर सुनने से पहले अलार्म की घंटी बजी और मैं जग गया । आँख खुली तो पाया गणतंत्र दिवस अपने 67 वें वसंत में प्रवेश कर गया है ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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