अबूझ पहली ईश्वर् क्यों उठाया उन्हें ....एक प्रश्न ...?
"इंडिया तूने खो दिया एक महान बेटे को ।
जो ज्ञाता था क़ुरान और भगवदगीता का ।
जो ज्ञाता था अग्नि और पृथ्वी मिसाइल का ।
वो जीवन देने वाले ... 'अनकही, अनसुलझी, अबूझ पहेली'
जिन्हें नाम दिया गया है 'ईश्वर' ?
तूने उसे 'पृथ्वी से उठा लिया'....??
क्योंकि उसने बनायीं थी पृथ्वी मिसाइल...।
जिसने लिया जीवन में दो छुट्टी ...'एक पिता के मरने पर'
और दूजा 'माँ के मरने पर'...।
अरे वो निर्मोही 'ईश्वर' तूने उसे उठा लिया ।
जिसने देश को विकसित किया मिसाइल से...
भारतीयों ने नाम दिया 'मिसाइलमैन'.......
अरे वो अदृश्य पराशक्तियों वाले ईश्वर !
तूने उसे मिसाइल-गति से अपने पास बुला लिया ।
देशभक्ति हो जिसमें देश को दुल्हन मानने वाले
'science पुरुष' के लिए रोने वाला भी,
किसी अपने को नहीं छोड़ा ।।
मैं मानता हूँ की आप हो ज़िद्दी पर ....!!
पर अपनी जिद तो बदलो अपने बच्चों के लिए ।।।
माना मृत्यु चिरंतन सच है,
किन्तु हे मेरे प्रभु !
तेरे पास उनके लिए और 16 साल नहीं थे,
जो शतक पूरा कर लेते ज़िन्दगी के।
ये 16 साल के बच्चे उन्हें कितने प्रिय थे,
तुमसे क्या छिपा है ।
तुम्हारे पास क्या अच्छे लोगो की कमी हो गयी है,
जो पृथ्वी से असामयिक उठा लेते हो ।
इस बार तो हद कर दी,आपने रक्षा पुत्र को उठा लिया ।
सपनों की सच्चाई में जीने वाले को उठा लिया ।
एक अख़बार वितरक जब पायलट नहीं बन पाया,
तब भी हार नहीं मानी
और अग्नि की उड़ान कर मिसाइलमैन कहाया।
स्वदेशी उपग्रह भी छोड़े, 'अणु बम' के लिए बुद्ध फिर मुस्काये,
कोई 'भारतरत्न' राष्ट्रपति बने ,
गीता - क़ुरान भी पढ़ते साथ साथ,
परंतु विज़न 2020 तक पहुँच न पाये ।
परंतु अंतिम प्रयाण रहे बच्चों के साथ, वीणा भी बजाते।
एक बार फिर चाचा नेहरू, 27 (जुलाई) ही बच्चों से दूर चले गए ।
हिन्दू तीर्थ रामेश्वरम में एक मुस्लिम परिवार में जन्मे ।
हे अल्लाह उन्हें फिर भेजियेे यहाँ ....!!
हाँ ! चाचा कलाम, 'वले कुम सलाम',
शत शत श्रद्धा सुमन ।"
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