"बहनदूज क्यों नहीं मनाते हैं, भैया हमारे"
भारत में नारियों की पूजा की जाती है, लेकिन यह पूजा नारी (देवी) की प्रतिमा (मूर्ति) की होती है , जो निर्जीव है । भारत की जीवित नारी अपने भाई के लिए भैयादूज मनाती हैं, पति के लिए तीज और करवा चौथ, बेटे के लिए जिऊतिया करती हैं , किन्तु हम बहन, पत्नी, बेटी जैसी सजीव नारी के लिए ये पुरुष किसी प्रकार के पूजा नहीं करते हैं । बोलिये, चित्रगुप्त महाराज ! आपके शास्त्र में ऐसे कोई पर्व का नाम है, जो जीवित नारी के लिए हो ! .... तो क्यों न हम अपने भाइयों से आग्रह करें कि वे अब से 'बहनदूज' मनाएं ?
भारत में नारियों की पूजा की जाती है, लेकिन यह पूजा नारी (देवी) की प्रतिमा (मूर्ति) की होती है , जो निर्जीव है । भारत की जीवित नारी अपने भाई के लिए भैयादूज मनाती हैं, पति के लिए तीज और करवा चौथ, बेटे के लिए जिऊतिया करती हैं , किन्तु हम बहन, पत्नी, बेटी जैसी सजीव नारी के लिए ये पुरुष किसी प्रकार के पूजा नहीं करते हैं । बोलिये, चित्रगुप्त महाराज ! आपके शास्त्र में ऐसे कोई पर्व का नाम है, जो जीवित नारी के लिए हो ! .... तो क्यों न हम अपने भाइयों से आग्रह करें कि वे अब से 'बहनदूज' मनाएं ?
...मेरी 'दीदी' ।
मेरी 'दीदी की पहल' ,एक पहल आप भी करें !!
मेरी 'दीदी की पहल' ,एक पहल आप भी करें !!
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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