नमस्ते PM अंकल ,
मासिक प्रसारण 'मन की बात' के माध्यम से मेरा भी 'मन की बात' सुनिए तो ज़रा ! मेरी यह सलाह है कि 'महिला आयोग' की तरह क्यों न 'पुरुष आयोग' का भी गठन
किया जाय, क्योंकि पुरुषों पर भी लगभग आधी आबादी यानी महिलाओं द्वारा अत्यधिक प्रताड़नायें देखी जा रही हैं । मेरे गांव में भी कुछ सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं, उन्हें कुछ महिलाओं ने निजी खुन्नस अथवा भड़ास या जमीन-जायदाद के झगड़े के बनिस्पत झूठे 'एटेम्पट टू रेप' केस में फंसा रखी हैं, तो कई पुरुष को कोर्ट ने बरी किया है । ऐसे में उन पुरुषों के सम्मान में लगे ठेस को कौन वापस करेंगे ! ऐसी घटना न केवल मेरे गाँव की, बल्कि लगभग गाँव-जँवारों की हैं , तो क्यों न 'महिला आयोग' की तर्ज पर 'पुरुष आयोग' भी बने, ताकि 'धर्मनिरपेक्ष' देश पुरुषप्रधानता के आरोप से मुक्त हो 'लैंगिकनिरपेक्ष' भी कहा जा सके ।
सादर ।
आपकी बात जायज़ है । मैने कुछ पुरुषों को बर्बाद होते देखा है, कई घरों को बिखरते देखा है । हाँलाकि षुरुष शोषण के मुकाबले महिला शोषण के उदाहरण ज्यादा है । फिर भी, पुरुष शोषण के शकार होते है । कुछ ऐसे केन्द्रों की स्थापना भी हुई है जो शोषित पुरुषो के लिए काम करती हैं ।
ReplyDelete