'ZERO' आंग्ल या लैटिन में संकेताक्षर या प्रतीक '0' लिए गणित में इसका व्यापक उपयोग है , हिंदी में 'शून्य' नाम से जाना जाता है ! जहाँ आर्यभट्ट को इनका जन्मदाता माना जाता है, किन्तु कई गणितज्ञों का कहना कि 'शून्य' के सृजेता कोई अज्ञात भारतीय थे । वही स्वामी विवेकानंद ने 'शून्य ' पर घंटो व्याख्यान दिए हैं ! आज मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट लेकर आई है -- शून्य से लक्ष्मी तक की यात्रा की कविता । आइये, कवयित्री लक्ष्मी श्रीवास्तवा 'कादम्बिनी' की 'शून्य' को लिए-दिए एक महत्वपूर्ण कविता, पढ़िए:
'शून्य में भटकते बीजगणित'
है शून्य को समर्पण मेरा
शून्य ही जीवन का सार
शू्न्य में निहित है शक्ति
है शून्य से सृष्टि-विस्तार ।
शून्य द्रव्य है शून्य तरल है
कभी सुधा कभी गरल है
ध्वनि में, शब्द में शून्य है
कहीं कठिन कहीं सरल है ।
शून्य ही बीजक सृजन-सूत्र
शून्य है परम ब्रह्म स्वरूप
बूंद रूप जल में घुल रहा
शून्य की महिमा विचित्र ।
दशम् द्वार के पार शून्य
निराकार शून्य, साकार जहाँ
शून्य गणित है, देव रूपम्
जीवन और मरण में शून्य है ।
देह का अवतरण शून्य से
शून्य में ही सर्वस्व तर्पण
शून्य का सार है विलक्षण
है अंतरिक्ष,शून्य का घर्षण ।
ग्रह-नक्षत्रों के चाल-कुचाल
दामिनियों का तेज कौंधना
आकाशगंगा निर्बाध बहना
कि सत्य का आधार शून्य है ।
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बहुत सुंदर कविता |बधाई आपको लक्ष्मी जी |
ReplyDeleteजी !
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteबिल्कुल !
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