मद्य निषेध का सन्देश को लेकर 21 जनवरी को मानव-श्रृंखला बनाये जाना अभूतपूर्व सन्देश है, परंतु महत्वपूर्ण गणतंत्र दिवस की तैयारी को छोड़ महीना पूर्व से बिहार सरकार के सभी मिशिनरी को इस हेतु लगाये जाना आत्मघातक है । इस मानव-श्रृंखला में करोड़ों संख्या जुटाने के नाम पर सरकारी विद्यालयों के बच्चों और शिक्षकों को स्थानीय प्रशासन के माध्यम से धौंस दिलाकर इनमें भिड़ाना बाहरवालों के समक्ष वाहवाही की बात हो सकती है, किन्तु यह किसी भी मायने में बिहार के बच्चों के लिए शुभ-अभियान नहीं है । क्योंकि अभी मैट्रिक और इण्टर परीक्षाओं के फॉर्म भरे जा रहे हैं और वे परीक्षार्थ में तनाव में हैं, दूजे इनमें आरक्षित श्रेणी के परीक्षार्थियों के लिए जाति, आय, आवासीय प्रमाण-पत्र नहीं बनने से वे विकट स्थिति का सामना कर रहे हैं, क्योंकि ब्लॉक-अंचल कार्यालयों के पदाधिकारी और कर्मीगण 21 जनवरी वाले अभियान को सफल बनाने की ऊपरी आदेश-रूपेण गाज को न गिरने देने से बचने के लिए उसी हेतु संलिप्त हैं । ऐसे में समाहरणालय तक इस मानव-श्रृंखला के बहाने सभी काम ठप्प पड़े हैं, उल्टे अरबों राजस्व का अपव्यय तय है ।
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