"क्या त्रेता युग में हमारे भगवन या दैत्य या वानर 'लिंग परीक्षण' करते थे ?"
**"बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ"**
**"बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ"**
'वाल्मीकि रामायण' के अनुसार --
राजा दशरथ, श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, रावण, बालि इत्यादि लगभगराज के पुत्र थे, पर पुत्री न ही थी, लगभग ऋषियों की पुत्रियाँ भी नहीं थी, हालाँकि किसी-किसी के 100-100 पुत्र थे (अपवादरूपेन महाभारत काल में 5 पांडव की कोई बहन नहीं थी, किन्तु दुःशाला 100 कौरवाई में एकमात्र बहन थी) , तो क्या इसका मतलब यह है कि उस युग में 'लिंग परीक्षण' होता था, गर्भ में ही मादा लिंगार्थ भ्रूण की जांच कर लड़की जनने से रोककर गर्भपात करवा दिए जाते थे , यानी अब से भी कड़ा वो बदनाम युग था ....।
हो सकता है, उस काल में पुत्री न होने का कोई गर्भनिरोधक उपाय प्रचलित रहा हो ! लेकिन राजा दशरथ की रानियाँ जब माँ नहीं बन नहीं रही थीं, तो महर्षि वाल्मीकि के दिए खीर खाने के बाद तीनों रानियाँ 'गर्भवती' हो गयी , यह कोई दवा थी या दशरथ साहब 'वीर्यपात' में अक्षम थे , क्या ? ........... या वाल्मीकि का कोई चाल तो नहीं था !
इसलिए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान पूर्वजो के भूल-सुधार के लिए है !
T.Manu--
राजा दशरथ, श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, रावण, बालि इत्यादि लगभगराज के पुत्र थे, पर पुत्री न ही थी, लगभग ऋषियों की पुत्रियाँ भी नहीं थी, हालाँकि किसी-किसी के 100-100 पुत्र थे (अपवादरूपेन महाभारत काल में 5 पांडव की कोई बहन नहीं थी, किन्तु दुःशाला 100 कौरवाई में एकमात्र बहन थी) , तो क्या इसका मतलब यह है कि उस युग में 'लिंग परीक्षण' होता था, गर्भ में ही मादा लिंगार्थ भ्रूण की जांच कर लड़की जनने से रोककर गर्भपात करवा दिए जाते थे , यानी अब से भी कड़ा वो बदनाम युग था ....।
हो सकता है, उस काल में पुत्री न होने का कोई गर्भनिरोधक उपाय प्रचलित रहा हो ! लेकिन राजा दशरथ की रानियाँ जब माँ नहीं बन नहीं रही थीं, तो महर्षि वाल्मीकि के दिए खीर खाने के बाद तीनों रानियाँ 'गर्भवती' हो गयी , यह कोई दवा थी या दशरथ साहब 'वीर्यपात' में अक्षम थे , क्या ? ........... या वाल्मीकि का कोई चाल तो नहीं था !
इसलिए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान पूर्वजो के भूल-सुधार के लिए है !
T.Manu--
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