हमारे देश में स्कूल ,कॉलेजों के हाल, किसी से छिपा थोड़े ही है ? खासकर हाल-फिलहाल की घटनाओं से यह तो पता लग ही जाता है कि 'कॉलेज' पढ़ाई का कम, लेकिन राजनीतिक घटनाओं का अखाड़ा हो गया है ! शिक्षकों का मुद्दत से अभाव का दंश मैंने भी झेला है । इसलिए आजकल के पेरेंट्स बच्चों की उचित शिक्षा के लिए उन्हें बचपन से ही 'कोचिंग' पकड़वा देते हैं , लेकिन 'कोचिंग' भी ज्ञानदान कम, 'पैसे-वसूलने' पर ज्यादा ध्यान देते हैं ! कोचिंग की प्रचार-सामग्रियों को जिस कदर सड़कों पर फेंक दिए जाते है, इससे उत्पन्न समस्या को द्रष्टव्य कराने आज के अंक में मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट लेकर आई है , हरदिल अज़ीज़, हमदम ही नहीं हरकदम दोस्त, शायर और आलेखक Er. सेराज उद्दीन की दर्द के प्यालियाई दास्ताँ...... आइये पढ़ते हैं इसे हम चुपके-चुपके, चुस्के-चुस्के ..........
बढ़ते हैं, एक कदम स्वच्छता की ओर।
दीये तले अँधेरा : पटना में कोंचिग का सच
कहावत 'चिराग तले अँधेरा' न केवल चरितार्थ है, अपितु बिहार की राजधानी पटना में कुकुरमुत्ते की तरह उगे व चल रहे कोचिंग संस्थानों द्वारा संस्थान का पम्फलेट (प्रचार सामग्री) आपको राजधानी के सड़को पर कालीन की भाँति ऐसे पड़े मिलेंगे,जैसे मानो ओले की अभी-अभी वर्षा होकर ख़त्म हुई है । यूँ तो स्वच्छता का पाठ स्कूलों ,कोचिंग आदि में पढ़ाया जाता है, परंतु क्या ये स्वच्छता से जुड़ी बात हैं, बताइये ! ये पहाड़ जैसे हो रहे पम्फलेट गन्दगी को बढ़ावा देते ही हैं, साथ ही पटना नगर निगम के कर्मियों के लिए साफ़ करने हेतु श्रमदान बढ़ा रहे हैं ! इससे भी बड़ी बात है, जिन शब्दों को हम सीखते हैं, वो हमारे पैरो के नीचे कुचले जाकर अपमान का विषय बनते जा रहे हैं। ऐसे में कोचिंग संस्थानों को सोचना चाहिए और बिहार सरकार को भी उचित कदम उठाना चाहिए, ताकि जिस सरस्वती माँ की हम आराधना करते हैं, उन्हें ही इस कोचिंग-ज्ञान से अभिशप्त हो हम इसे पैरों के नीचे कुचलते हुए अपमानित करते हैं । इसलिए इसपर सरकार और प्रशासन को कड़ाई से पालन करते हुए इन कोचिंग संस्थानों के ऐसे निम्न हरकत के हथकंडों को समाप्त कर देना चाहिए । अन्यथा, समझा जाएगा कि यहाँ पे दीये (सरकार) तले अन्धेरा किल्विस की भाँति समाप्त नहीं होगा !
बढ़ते हैं, एक कदम स्वच्छता की ओर।
जय हिंद ! जय बिहार !!
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
Nice beginning...
ReplyDeleteNice
ReplyDelete