"जनरल ओ. डायर तो याद है लेकिन 13 अप्रैल 1919 नहीं !"
हम ऐसे देश में है जहाँ आजकल देशद्रोहियों की भरमार होते जा रहे हैं । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' जैसे स्लोगन पढ़े जा रहे है । धर्म के नाम पर धार्मिक ग्रंथों के साथ अमर्यादित व्यवहार किया जा रहा है । कुछ लोग ये तो जानते है आतंकवादी याकूब मेनन कौन है और उन्हें फाँसी देने से क्यों रोका जाय ? लेकिन वे यह नहीं जानते कि बेगुनाह कुलभूषण जाधव को क्यों पकिस्तान फांसी दे रहा ? आज ऐसे भी निकृष्ट सोच वाले लोग भी है जो संविधान से बड़ा अमर्यादित धार्मिक कानून को ऊपर रखते है ? लेकिन वे 13 अप्रैल 1919 की घटनायें भूल जाते है !!
13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास जलियांवाला बाग में बैसाखी के दिन रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी । इस सभा में बच्चे,युवाओं की फ़ौज, बूढ़े ,महिलाएं और पुरुष मौजूद थे लेकिन इस बाग़ से निकलने का एक ही रास्ता था । इस सभा को भंग करने के लिए अंग्रेज अफसर जनरल रेजीनल्ड डायर ने बिना किसी चेतावनी के अंधाधुंध गोलियां चलवा दीं चूँकि रास्ता एक ही था बाहर निकलने के लिए और वह भी संकरा । इसलिए लोग भागने लगे और सभा में मार्मिक भगदड़ होने लगी। फायरिंग पर फायरिंग होते रहा , बाग के कुएं में लोग जान-बचाने के लिए कूदने लगे लेकिन 2000 से ऊपर लोग जख्मी हुए , हजार से ऊपर लोग मारे गए लेकिन डायर फायरिंग करवाता रहा ।
लेकिन इस घटना के 98 साल बाद भी लोग इस मार्मिक घटना को भूल गयी है । कुछ लोगो को जनरल ओ. डायर जैसे अंग्रेज की तरह बनना पसंद है वे 'भारत तेरे टुकड़े-होंगे' जैसे स्लोगन से देश को बदनाम कर रहे हैं ! कानून को इन लोगो के खिलाफ सख्त करवाई करनी चाहिए । क्योंकि देश से बड़ा कोई नहीं । शहीदों को सादर श्रद्धांजलि ।
T.manu --
हम ऐसे देश में है जहाँ आजकल देशद्रोहियों की भरमार होते जा रहे हैं । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' जैसे स्लोगन पढ़े जा रहे है । धर्म के नाम पर धार्मिक ग्रंथों के साथ अमर्यादित व्यवहार किया जा रहा है । कुछ लोग ये तो जानते है आतंकवादी याकूब मेनन कौन है और उन्हें फाँसी देने से क्यों रोका जाय ? लेकिन वे यह नहीं जानते कि बेगुनाह कुलभूषण जाधव को क्यों पकिस्तान फांसी दे रहा ? आज ऐसे भी निकृष्ट सोच वाले लोग भी है जो संविधान से बड़ा अमर्यादित धार्मिक कानून को ऊपर रखते है ? लेकिन वे 13 अप्रैल 1919 की घटनायें भूल जाते है !!
13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास जलियांवाला बाग में बैसाखी के दिन रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी । इस सभा में बच्चे,युवाओं की फ़ौज, बूढ़े ,महिलाएं और पुरुष मौजूद थे लेकिन इस बाग़ से निकलने का एक ही रास्ता था । इस सभा को भंग करने के लिए अंग्रेज अफसर जनरल रेजीनल्ड डायर ने बिना किसी चेतावनी के अंधाधुंध गोलियां चलवा दीं चूँकि रास्ता एक ही था बाहर निकलने के लिए और वह भी संकरा । इसलिए लोग भागने लगे और सभा में मार्मिक भगदड़ होने लगी। फायरिंग पर फायरिंग होते रहा , बाग के कुएं में लोग जान-बचाने के लिए कूदने लगे लेकिन 2000 से ऊपर लोग जख्मी हुए , हजार से ऊपर लोग मारे गए लेकिन डायर फायरिंग करवाता रहा ।
लेकिन इस घटना के 98 साल बाद भी लोग इस मार्मिक घटना को भूल गयी है । कुछ लोगो को जनरल ओ. डायर जैसे अंग्रेज की तरह बनना पसंद है वे 'भारत तेरे टुकड़े-होंगे' जैसे स्लोगन से देश को बदनाम कर रहे हैं ! कानून को इन लोगो के खिलाफ सख्त करवाई करनी चाहिए । क्योंकि देश से बड़ा कोई नहीं । शहीदों को सादर श्रद्धांजलि ।
T.manu --
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