पिछले साल 'टूटती लाशें' काफी चर्चा का विषय रहा वाकया यह था कि कैसे इलाज के अभाव में एक औरत मर गयी लेकिन अस्पताल के लोग इंसानियत को शर्मसार करने वाला काम कर गए ? उस महिला की लाश को तोड़कर पोटरी में बांधकर उसके पति को दे दिया गया ! पति के पास एम्बुलेंस के पैसे नहीं होने के कारण एक रिक्शा में लाश को गांव तक उसने लाया लेकिन तमाशबीन समाज यह देखता रहा परंतु इस घटना के बाद भी प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया क्योंकि बिहार के अररिया जिले में कुछ महीने पहले एक महिला की लाश पोस्टपार्टम रूम में सड़ती रही लेकिन प्रशासनिक अधिकारी 'चुप' की नींद सोई रही भला हो प्रिंट मीडिया का जिन्होंने 'सोते हुए' लोगों को जगाया और सच्चाई से पर्दा उठ पाया लेकिन क्या हमलोग इंसानियत का फर्ज भूल गए है ?
T. manu--
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