यह 21 वीं सदी है । प्रगतिशीलता यहाँ चरम पर है, तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 क (1) से निःसृत 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के नाम पर हम 'सोशल मीडिया' के लिए मनमाफिक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं और गलत को भी सही साबित करने का बतंगड़ प्रयास करते हैं तथा देश को भी दाँव में भी लगा देते हैं । यह ठीक उसी प्रकार है, जैसे- किसी ज़िद्दी पति या पत्नी या प्रेमी या प्रेमिका को क्रमशः विनम्र पत्नी, पति, प्रेमिका व प्रेमी सहते हैं । यहाँ दोनों प्रकार की असुविधा को लेकर लोग-बाग़ परेशान हैं। आज मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट लेकर आई है, कवयित्री सुदेशना की ऊपरवर्णित विषयों पर 2 कविता, आइये पढ़ते हैं---
एक आदत-सी हो गयी है
एक आदत-सी हो गयी है
एक तमन्ना-सी रहती है
सीली हवा की नमी में
एक खालिश-सी रहती है..!
गूंजती है साँसों की रुबाइयाँ कानो में
जब धड़कता है दिल, तेरे होने के अहसासों से !
पलकों से झांकता है
एक ख्याल बस यूँ ही !
क़दमो के निशान ढूँढ़ता है बस यूँ ही..!
सरगोशी-सी रहती है फ़िज़ा में अब
बाँहों में भी धूप सिमटी-सी रहती है!
जुगनू भी जगमगाने लगे हैं
पलकों के कोरों पर सजने लगे हैं..!
मन है थोड़ा बावरा-सा
अनमना, थोड़ा दीवाना-सा
खुद में ही अब रहने लगी हूँ
कि तेरे नाम को ही पढ़ने लगी हूँ...!!
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सोशल-मीडिया
"मुझे कुछ कहना है
कुछ भी उगलना है"
चाहे मेरा उससे कोई नाता हो या न हो,
बस मुझे चिल्लाकर सारा अटेंशन बटोरना है।
किसी को राष्ट्रवादी तो किसी को उग्रवादी ठहराना है..!
बस मुझे कुछ कहना है।
ये सोशल मीडिया है !
यहाँ सब चलता है..!
धमकी, गाली, असहिष्णुता यहाँ इसका व्यापार है।
अभिमान, स्वाभिमान सब यहाँ बिकता है,
प्रेम, स्नेह से मेरा न अब कोई नाता है,
वेदना से छलनी हुई कितनी संवेदनाएं हैं।
तो क्या हुआ?
ये मेरा अधिकार है,
किसी को न बख्शेंगे,
चाहे वो शहीद पिता हो या कोई निर्भया हो..!
आत्मसम्मान का क्या है,
आत्मा भी यहाँ लहूलुहान है ।
शब्दों के तीर धड़ाधड़ चलाएंगे,
पूरे देश को हिलाएंगे।
'हमे बोलने की स्वतंत्रता है'
ये हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है..!
देश का क्या है ?
ये तो औरों की ज़िम्मेदारी है,
धर्म, जाति के नाम पर होती रहेगी राजनीति है ।
घृणा, द्वेष एक-दूसरे पर उगलेंगे,
हो सके तो मान-मर्यादाओं को भी पार कर जायेंगे,
अरे, ये तो सोशल मीडिया है
यहाँ सब चलता है भाई, यहाँ सब चलता हैं ।
नमस्कार दोस्तों !
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Very nice work. While the first one touches your heart, the second one shakes the same by the bitter truth. Keep it up.
ReplyDeleteThank you Piyush for the appreciation. Thrilled!!
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