कुँवारी लड़कियाँ हार्ड कॉपी की तरह लगनेवाली उनकी शायरी को स्वयं के दिलरूपी सॉफ्टवेयर में छिपा जाती है । उनका शायराना-अंदाज विवाहिता को भी चिढ़ाती हैं । इस गुल वा उस महफ़िल में जब गूंजने लगती है, उनके शे'र, ग़ज़ल या उस जैसे बिंदास काव्य, तो बेसब्री का कोलाहली-इंतजार भी शांत हो मुँह छुपाये वाह-वाह कर उठते हैं ! आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में पाठकगण पढ़िये-- शायराना-अंदाज के फंतासी-प्रियवर श्रीमान रोहित सचान को----
इस बेवफ़ा ज़िन्दगी में ज़रा मुस्कराना सीख लो
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क्यों मरते हो यार किसी के इंतजार में,
मरना है तो मरो अपनी मां की ममता के प्यार में ।
करो अपनी मां के लिए कुछ ऐसा दोस्तों,
ताकि दुनिया की हर मां जिए सिर्फ, तुम्हारे ही इंतजार में ।।
अगर ये गम जिंदगी के लिए-दिए होते हैं,
तो इनको जलाना सीख लो,
अपने गमों के दीयों से भरी महफिलों को--
जगमगाना सीख लो ।
ना आएगी कभी ये गम-ए-जिंदगी दोस्तों,
बस ! इस बेवफा जिंदगी में ज़रा मुस्कराना सीख लो ।।
नमस्कार दोस्तों !
इस बेवफ़ा ज़िन्दगी में ज़रा मुस्कराना सीख लो
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क्यों मरते हो यार किसी के इंतजार में,
मरना है तो मरो अपनी मां की ममता के प्यार में ।
करो अपनी मां के लिए कुछ ऐसा दोस्तों,
ताकि दुनिया की हर मां जिए सिर्फ, तुम्हारे ही इंतजार में ।।
अगर ये गम जिंदगी के लिए-दिए होते हैं,
तो इनको जलाना सीख लो,
अपने गमों के दीयों से भरी महफिलों को--
जगमगाना सीख लो ।
ना आएगी कभी ये गम-ए-जिंदगी दोस्तों,
बस ! इस बेवफा जिंदगी में ज़रा मुस्कराना सीख लो ।।
नमस्कार दोस्तों !
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Good one...
ReplyDeleteNot complete yet...
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