मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में आज संपादक का बोल वचन --
'फिरौती वायरस' पूरी दुनिया में आजकल हाहाकार मचाएं हुए है ! जहाँ देश डिजिटल क्रांति में अंगूठे से रुपये का आदान-प्रदान कर रही हैं वहीं कुछ 'हैकर' रैनसमवेयर सॉफ्टवेयर और वन्नाक्राई वायरस का इस्तेमाल कर पहले तो कंप्यूटर सिस्टम में ईमेल के माध्यम से लिंक भेजते है और यदि लिंक पर क्लिक किया जाय तो पूरा सिस्टम हैकर द्वारा हैक हो जाता है लेकिन इसके बाद वह सिस्टम को आजाद करने के बदले 'फिरौती' की मांग करते है । यदि फिरौती मिल गया तो सिस्टम आजाद और नहीं मिला तो कंप्यूटर के सभी डाटा उड़ा देते है । अभी तक इस वायरस से 20 लाख से ऊपर तक कि भ्रष्ट रुपये हैकर्स ने कमा लिए है । दुनिया के 150 देश के 2 लाख से अधिक कंप्यूटर वन्नाक्राई वायरस के चपेट में आ गए है और विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक 13 लाख कंप्यूटर इस वायरस के शिकार हो सकते है । चूंकि डिजिटल युग में अस्पताल , परिवहन , वित्त और सैन्य संचालन आदि सभी चीजों का उपयोग कंप्यूटरीकृत हो गया है जहां इस वायरस ने सबसे पहला अपना शिकार अस्पतालों को बनाया है लेकिन इस हमलें से बचने का एक मात्र तरीका विशेषज्ञ यह बताते है कि संदिग्ध ईमेल द्वारा भेजे लिंक पर क्लिक न करे और अच्छे एंटीवायरस का उपयोग करें । चूंकि यह बात विश्वविख्यात है कि जो कंपनी वायरस बनाते है वे उनके एंटीवायरस जरूर रखते है लेकिन क्या कंपनी द्वारा रुपया कमाने की यह चाल है या भ्रष्टाचार फैलाने का नया तरीका ? यह तो वक़्त पर ही निर्भर है कि वायरस का एंटीवायरस कौन सी कंपनी लाती है ?
'फिरौती वायरस' पूरी दुनिया में आजकल हाहाकार मचाएं हुए है ! जहाँ देश डिजिटल क्रांति में अंगूठे से रुपये का आदान-प्रदान कर रही हैं वहीं कुछ 'हैकर' रैनसमवेयर सॉफ्टवेयर और वन्नाक्राई वायरस का इस्तेमाल कर पहले तो कंप्यूटर सिस्टम में ईमेल के माध्यम से लिंक भेजते है और यदि लिंक पर क्लिक किया जाय तो पूरा सिस्टम हैकर द्वारा हैक हो जाता है लेकिन इसके बाद वह सिस्टम को आजाद करने के बदले 'फिरौती' की मांग करते है । यदि फिरौती मिल गया तो सिस्टम आजाद और नहीं मिला तो कंप्यूटर के सभी डाटा उड़ा देते है । अभी तक इस वायरस से 20 लाख से ऊपर तक कि भ्रष्ट रुपये हैकर्स ने कमा लिए है । दुनिया के 150 देश के 2 लाख से अधिक कंप्यूटर वन्नाक्राई वायरस के चपेट में आ गए है और विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक 13 लाख कंप्यूटर इस वायरस के शिकार हो सकते है । चूंकि डिजिटल युग में अस्पताल , परिवहन , वित्त और सैन्य संचालन आदि सभी चीजों का उपयोग कंप्यूटरीकृत हो गया है जहां इस वायरस ने सबसे पहला अपना शिकार अस्पतालों को बनाया है लेकिन इस हमलें से बचने का एक मात्र तरीका विशेषज्ञ यह बताते है कि संदिग्ध ईमेल द्वारा भेजे लिंक पर क्लिक न करे और अच्छे एंटीवायरस का उपयोग करें । चूंकि यह बात विश्वविख्यात है कि जो कंपनी वायरस बनाते है वे उनके एंटीवायरस जरूर रखते है लेकिन क्या कंपनी द्वारा रुपया कमाने की यह चाल है या भ्रष्टाचार फैलाने का नया तरीका ? यह तो वक़्त पर ही निर्भर है कि वायरस का एंटीवायरस कौन सी कंपनी लाती है ?
0 comments:
Post a Comment