प्यार, इज़हार, फिर दोस्ती, इन दोस्ती में प्रगाढ़ता, फिर जीने-मरने की कसमें, स्वच्छंद घूमना, डेटिंग और रजा-मर्ज़ी शारीरिक-संबंध बनाना.... फिर बॉयफ्रेंड द्वारा धीरे-धीरे दूरी बनाते जाना.... इसतरह से लगता है, यह संबंध संभोग तक ही था, क्या ? ... तो यह भी तो एकतरह से बलात्कार है, किन्तु इसतरह के बलात्कार में दोनों पक्ष शरीक हैं ! आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में पढ़ते है सुश्री वर्षा गुप्ता 'रैन' की अनकही स्वप्निल लघु प्रेरक कथा, इसे वैचारिक-आलेख के रूप में भी इसे चिह्नित कर सकते हैं । आइये, इसे पढ़ते हैं......
"दोस्ती और प्यार"
माना प्यार की नींव दोस्ती है। सज्जन लोग अपने प्यार की शुरुआत दोस्ती से करते हैं और कुछ ही वक्त में दोस्ती प्यार में तब्दील हो जाती है, दुनिया हसीन प्रतीत होने लगती है, पर सोचिए अगर इमारत बनने के बाद नींव ही खोखली हो जाए तो..., तो क्या वो इमारत टिक पाएगी..? टिक भी पाएगी तो भला कहाँ तक ? बिना नींव की इमारत यूँ तो हास्यप्रद है।
राज और नेन्सी कुछ दिन पहले ही मिले चन्द मुलाकातों में दोस्ती के ताने बाने बुने जाने लगे दोनों अच्छे दोस्त बन गए बोले तो बेस्ट वाले बड्डी।
कुछ बातें व मुलाकातें कॉफी एक दूसरे के पचड़े हल करना और एक दूसरे के हर फैसले को सर आँखों पर रखना आम बात हो गई थी। जज्बातों को नाम देने के जुगाड़ में प्यार की इमारत कब खड़ी हो गई पता ही नहीं चला ! राज नेन्सी की मदद करता और नेन्सी भी हर बात बिना कहे समझ जाती। शुरूआती दौर में एक दूसरे का सहारा बनते एक दूसरे की दखलंदाजी भी नहीं खलती। नेन्सी कभी राज को कोई परेशानी होती , तो ये कहती की तुम्हें मेरी वजह से परेशानी हुई और राज भी ये कह देता नहीं बाबा तुम्हारे वजह से नहीं,तुम्हारे लिए किया है मैंने ये सब ! दोनों मिले फेसबुक पर, लेकिन फेसबुक से व्हाट्सऐप का सफ़र बहुत जल्दी तय हो गया, दोनों ने एक दूसरे को अपने अपने फ्रेंड्स ग्रुप में जगह दी राज के फ्रेंड्स नेन्सी के फ्रेंड्स बने और नेन्सी के दोस्त राज के दोस्त। राज नेन्सी को खोने से डरता था और नेन्सी राज को बस ऐसे ही खूबसूरत लम्हें बित रहे थे। सो एक दिन प्यार का इजहार भी हो गया, लेकिन जैसे जैसे प्यार बढ़ा दोस्ती कम होती गई,क्योंकि एक दूसरे को खोने का डर ख़त्म हो गया व एक दूसरे पर हक़ हो गया। वो शायद भूल गए की जब दोस्ती में प्यार हो तो प्यार में दोस्ती होना भी उतना ही जरुरी है वरना सम्मान खो जाएगा, एक दिन राज ने नेन्सी से कहा सुनो क्लब चले।नेन्सी को ये राज का खुलापन लगा करीब आने की कोशिश भर लगी और राज को नेन्सी की मदद मांगना अब यूँ लगता जैसे वो उसका उपयोग कर रही हो उसका ।
अब रिश्ते में गलतफहमियों के लिए जगह बढ़ गई तो प्यार के लिए जगह कम हो गई। हद की सारी चरमसीमायें पार हो चुकी थी पहले वो एक दूसरे के सब कुछ थे अब प्यार नहीं तो कुछ भी नहीं है।अब दोनों एक गठबंधन में कैसे बंधते नींव ही खोखली हो चुकी थी तो प्यार की इमारत खड़ी कैसे होती ?
"दोस्ती और प्यार"
माना प्यार की नींव दोस्ती है। सज्जन लोग अपने प्यार की शुरुआत दोस्ती से करते हैं और कुछ ही वक्त में दोस्ती प्यार में तब्दील हो जाती है, दुनिया हसीन प्रतीत होने लगती है, पर सोचिए अगर इमारत बनने के बाद नींव ही खोखली हो जाए तो..., तो क्या वो इमारत टिक पाएगी..? टिक भी पाएगी तो भला कहाँ तक ? बिना नींव की इमारत यूँ तो हास्यप्रद है।
राज और नेन्सी कुछ दिन पहले ही मिले चन्द मुलाकातों में दोस्ती के ताने बाने बुने जाने लगे दोनों अच्छे दोस्त बन गए बोले तो बेस्ट वाले बड्डी।
कुछ बातें व मुलाकातें कॉफी एक दूसरे के पचड़े हल करना और एक दूसरे के हर फैसले को सर आँखों पर रखना आम बात हो गई थी। जज्बातों को नाम देने के जुगाड़ में प्यार की इमारत कब खड़ी हो गई पता ही नहीं चला ! राज नेन्सी की मदद करता और नेन्सी भी हर बात बिना कहे समझ जाती। शुरूआती दौर में एक दूसरे का सहारा बनते एक दूसरे की दखलंदाजी भी नहीं खलती। नेन्सी कभी राज को कोई परेशानी होती , तो ये कहती की तुम्हें मेरी वजह से परेशानी हुई और राज भी ये कह देता नहीं बाबा तुम्हारे वजह से नहीं,तुम्हारे लिए किया है मैंने ये सब ! दोनों मिले फेसबुक पर, लेकिन फेसबुक से व्हाट्सऐप का सफ़र बहुत जल्दी तय हो गया, दोनों ने एक दूसरे को अपने अपने फ्रेंड्स ग्रुप में जगह दी राज के फ्रेंड्स नेन्सी के फ्रेंड्स बने और नेन्सी के दोस्त राज के दोस्त। राज नेन्सी को खोने से डरता था और नेन्सी राज को बस ऐसे ही खूबसूरत लम्हें बित रहे थे। सो एक दिन प्यार का इजहार भी हो गया, लेकिन जैसे जैसे प्यार बढ़ा दोस्ती कम होती गई,क्योंकि एक दूसरे को खोने का डर ख़त्म हो गया व एक दूसरे पर हक़ हो गया। वो शायद भूल गए की जब दोस्ती में प्यार हो तो प्यार में दोस्ती होना भी उतना ही जरुरी है वरना सम्मान खो जाएगा, एक दिन राज ने नेन्सी से कहा सुनो क्लब चले।नेन्सी को ये राज का खुलापन लगा करीब आने की कोशिश भर लगी और राज को नेन्सी की मदद मांगना अब यूँ लगता जैसे वो उसका उपयोग कर रही हो उसका ।
अब रिश्ते में गलतफहमियों के लिए जगह बढ़ गई तो प्यार के लिए जगह कम हो गई। हद की सारी चरमसीमायें पार हो चुकी थी पहले वो एक दूसरे के सब कुछ थे अब प्यार नहीं तो कुछ भी नहीं है।अब दोनों एक गठबंधन में कैसे बंधते नींव ही खोखली हो चुकी थी तो प्यार की इमारत खड़ी कैसे होती ?
नमस्कार दोस्तों !
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Beautifully written!! ����
ReplyDelete@Author Krishna K Verma