#justice4rakhiyan : एक अतिमहत्वपूर्ण अभियान पर काफी दोस्तों ने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से अपने-अपने विचार तो रखे ही, साथ ही रक्षाबंधन पर राखी बांधकर इस मुहिम को आगे भी बढ़ाये । इस मुहिम के लिए इतनी अच्छी और सच्ची वैचारिक प्रसार के लिए आप सभी प्रत्यक्ष और परोक्ष चिंतक मित्रों के प्रति हृदयश: आभार । इस मुहिम पर जहाँ भाइयों ने बहनों की कलाई पर राखी बाँधकर नई परंपरा की शुरुआत किये, वहीं सोशल मीडिया पर बहनों ने खुलकर अपने भाइयों से मिले इस प्यार को फ़ोटो के साथ शेयर की । यह मुहिम अभी शुरुआत भर है, लेकिन काफी लोगों ने जब इस मुहिम के प्रसंगश: अपने-अपने विचार रखे, तो हमें लगा कि इन लोगों के चुनिंदा विचारों को मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट में जगह दूँ । ध्यातव्य है, कुछ दोस्तों ने मेरे फेसबुक पोस्ट पर विचार रखा, तो किसी ने मैसेज बॉक्स में, तो किसी ने अपने टाइमलाइन पर ..... । आइये, इन सबके समंजित रूप पढ़ते हैं............
उदास मुस्कान की सुन्दर कवयित्री सुश्री स्वर्णलता विश्वफूल इस अभियान के बारे में लिखती है:--
"वैसे सोशल मीडिया में अनेक मुहिम चल रही हैं, किन्तु पिछले दिनों से एक ऐसी अभियान ने मुझे बाँधी रखी, जो मैं यहाँ शेयर करना चाहती हूँ, यह मुझे सामाजिक अभियानों में न केवल बेहतर लगी, अपितु सामयिक मुहिम में सर्वोत्तम है यह अभियान:-
#justice4राखियाँ
इस अभियान के अंतर्गत भाई ही बहनों की कलाइयों पर 'रक्षा-सूत्र' यानी राखी व रक्षा-बंधन बाँधते हैं । इतना ही नहीं, अभियान-प्रेरक व विचार-सूत्रक विगत 10 वर्षों से न केवल समोदर बहनों को, अपितु धर्म बहनों को रक्षा-सूत्र बाँधते आ रहे हैं । मेरे भाई भी पिछले कई वर्षों से ऐसा ही करते आ रहे हैं, पहले तो मुझे सहित आस-पड़ोस वाले को भी यह अजीब लगते थे, किन्तु अब सब ठीक है ।
मैं सहमत हूँ, इस अभियान के विचारसंवाहक से । कोई बहन रक्षा करने के लिए भाइयों से क्यों आग्रह करे, यह तो भाइयों के दायित्व हैं, वे ही इस संबंध में पहल करें ..... बिल्कुल ही यह अभियान काबिल-ए-तारीफ है । जिन बहनों के समोदर भाई नहीं हैं, ऐसी बहनों के लिए धर्म भाइयों को आगे आने ही होंगे । हम बहनों को परंपरा तोड़ ऐसे अभियान को प्रोत्साहित करने चाहिए ।
शुक्रिया ! इतनी अच्छी अभियान के लिए......!"
कवयित्री साहिबा के भाई साहब ने उन्हें गिफ्ट के रूप में #justice4राखियाँ के शीर्षकात्मक लोगो को पन्ने पर चित्र बना कर दिया !
मशहूर कवयित्री नीतू सुदीप्ति 'नित्या' जी ने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से लिखती हैं--
भतीजे Prince Kundan और Kishan Gupta ने मुझे राखी बाँधी ।
सुश्री पूजा प्रणति राय जी लिखती हैं कि उनके दोनों बच्चों ने एक दूसरे को राखी बांधी ।
ऐसे ही कई तरह के विचार आये हैं । कुछ भाइयों और बहनों ने राय के रूप में 'एकलव्य का अंगूठा' भी प्राप्त कराए । आइये, इस अभियान पर कुछ दोस्तों के कमेंट , जो उनके ही शब्दों में हैं, अग्ररूपेण हैं:--
सुश्री प्रियंका रावत जी की शब्दों में -- मुहिम के पक्षधर, परंतु वह घर न जा पाई ,इस रक्षाबंधन में ।
श्रीमान अभिषेक प्रकाश जी के शब्दों में -- वाह ! क्या आइडिया है, परंतु वह घर से दूर हैं, अन्यथा पहल अवश्य करता !
इंजीनियर अभिनंदन सिंह जी के शब्दों में -- गजब !!!!!!!
इंजीनियर प्रमोद रंजन जी के शब्दों में -- बहुत अच्छा है, सर ,मैंने भी यह किया ।
श्रीमान मनीष अकेला जी के शब्दों में -- जी , जरूर ।
इंजीनियर सेराजउद्दीन जी के शब्दों में --बहुत अच्छा शीर्षक है ।
सुश्री खुशबू शाक्या जी की शब्दों में -- सही बोल रहे हैं , आप !
सुश्री निक्की पुष्कर जी की शब्दों में --बहुत बढ़िया ! मेरी दो बेटियाँ हैं, दोनों एक -दूसरे को राखी बाँधती हैं ।
सुश्री नंदिता तनुजा जी की शब्दों में --खूबसूरत अहसास ...बढ़िया सोच ।
सुश्री नमिता व्यास जी की शब्दों में -- Ek dam sahi hai or Susma ye Kam kar bhi Rahi hai !
सुश्री सुप्रिया सिन्हा जी के शब्द -- बहुत सुंदर !
सुश्री केतकी जानी जी के शब्द -- बढ़िया कांसेप्ट ।
सुश्री लक्ष्मी श्रीवास्तव जी लिखती हैं -- सार्थक पहल ।
सुश्री मनीषा गुप्ता जी कहती हैं -- बहुत सुंदर ।
डॉ. अमरेन्द्र जी के शब्दों में -- इस पोस्ट को पढ़ते-पढ़ते मैं अंदर तक भींग गया । जबकि आज देश की बहनों पर लगातार अत्याचार बढ़ रहा है, हमारी यह सांस्कृतिक पहल बहनों के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगी । आमीन ।
सुश्री अमरीन खान जी की शब्दों में -- सुंदर ।
सुश्री अर्चना गंगवार की शब्दों में - खूबसूरत नजरिया ।
सुश्री कांची सिंघल जी की शब्दों में -- वाह ।
सुश्री प्रेरणा जी की शब्दों में -- वेरी गुड थॉउट ।
श्रीमान सौरभ द्विवेदी के शब्दों में -- गुड ।
सुश्री नीलोफर नीलू जी की शब्दों में -- बहुत खूब जी ।
सुश्री सीमा भाटिया जी की शब्दों में -- बहुत बढ़िया ।
श्रीमान अभिषेक भाष्कर सिंह जी के शब्दों में -- बहुत उम्दा ।
सुश्री नीलिमा शर्मा जी की शब्दों में -- मेरा बेटा तो १०वर्ष से अपनी मौसेरी बहन को राखी बांध रहा है कि मैं क्या दीदी ही मेरी हर जगह रक्षा करती ! दोनों एक दूजे को राखी बांधते हैं ।
सुश्री वर्षा गुप्ता जी की शब्दों में -- बहुत सुंदर ।
श्रीमान सुनील भारद्वाज जी के शब्दों में -- बहुत बढ़िया ।
सुश्री अभिधा मिश्रा शर्मा जी की शब्दों में -- बेहतरीन ।
सुश्री कात्यायनी दीपक सिंह जी की शब्दों में -- बहुत बढ़िया ।
काफी दोस्तों ने अभियान पर 7 अगस्त से पहले तक अपनी राय रखी और बहुतों ने बहनों की कलाई को खाली न होने दिया, लेकिन कुछ दोस्तों ने इस अभियान को चुनौती भी दे डाली --
वात्सल्य जी के शब्दों में -- i hate this ,रीतिरिवाज को तोड़-मरोड़ रहे हो।
आदि-आदि ।
थोड़े से आलोचना, किन्तु इतने दोस्तों के विचारों से जहाँ यह अभियान इस बार अत्यधिक आशा के साथ खूब ही फला-फूला, इसे खत्म तो नहीं कहूँगा, लेकिन अगलीबार हर भाई अपनी बहनों की कलाइयों पर राखी बांधे ,तब लगेगा कि justice हुआ है मुहिम
#justice4राखियाँ के प्रति कि रूढ़िवादी परंपरा में तथ्य का ज़बरदस्त लोच आ पाया है !
उदास मुस्कान की सुन्दर कवयित्री सुश्री स्वर्णलता विश्वफूल इस अभियान के बारे में लिखती है:--
"वैसे सोशल मीडिया में अनेक मुहिम चल रही हैं, किन्तु पिछले दिनों से एक ऐसी अभियान ने मुझे बाँधी रखी, जो मैं यहाँ शेयर करना चाहती हूँ, यह मुझे सामाजिक अभियानों में न केवल बेहतर लगी, अपितु सामयिक मुहिम में सर्वोत्तम है यह अभियान:-
#justice4राखियाँ
इस अभियान के अंतर्गत भाई ही बहनों की कलाइयों पर 'रक्षा-सूत्र' यानी राखी व रक्षा-बंधन बाँधते हैं । इतना ही नहीं, अभियान-प्रेरक व विचार-सूत्रक विगत 10 वर्षों से न केवल समोदर बहनों को, अपितु धर्म बहनों को रक्षा-सूत्र बाँधते आ रहे हैं । मेरे भाई भी पिछले कई वर्षों से ऐसा ही करते आ रहे हैं, पहले तो मुझे सहित आस-पड़ोस वाले को भी यह अजीब लगते थे, किन्तु अब सब ठीक है ।
मैं सहमत हूँ, इस अभियान के विचारसंवाहक से । कोई बहन रक्षा करने के लिए भाइयों से क्यों आग्रह करे, यह तो भाइयों के दायित्व हैं, वे ही इस संबंध में पहल करें ..... बिल्कुल ही यह अभियान काबिल-ए-तारीफ है । जिन बहनों के समोदर भाई नहीं हैं, ऐसी बहनों के लिए धर्म भाइयों को आगे आने ही होंगे । हम बहनों को परंपरा तोड़ ऐसे अभियान को प्रोत्साहित करने चाहिए ।
शुक्रिया ! इतनी अच्छी अभियान के लिए......!"
मशहूर कवयित्री नीतू सुदीप्ति 'नित्या' जी ने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से लिखती हैं--
भतीजे Prince Kundan और Kishan Gupta ने मुझे राखी बाँधी ।
सुश्री पूजा प्रणति राय जी लिखती हैं कि उनके दोनों बच्चों ने एक दूसरे को राखी बांधी ।
ऐसे ही कई तरह के विचार आये हैं । कुछ भाइयों और बहनों ने राय के रूप में 'एकलव्य का अंगूठा' भी प्राप्त कराए । आइये, इस अभियान पर कुछ दोस्तों के कमेंट , जो उनके ही शब्दों में हैं, अग्ररूपेण हैं:--
सुश्री प्रियंका रावत जी की शब्दों में -- मुहिम के पक्षधर, परंतु वह घर न जा पाई ,इस रक्षाबंधन में ।
श्रीमान अभिषेक प्रकाश जी के शब्दों में -- वाह ! क्या आइडिया है, परंतु वह घर से दूर हैं, अन्यथा पहल अवश्य करता !
इंजीनियर अभिनंदन सिंह जी के शब्दों में -- गजब !!!!!!!
इंजीनियर प्रमोद रंजन जी के शब्दों में -- बहुत अच्छा है, सर ,मैंने भी यह किया ।
श्रीमान मनीष अकेला जी के शब्दों में -- जी , जरूर ।
इंजीनियर सेराजउद्दीन जी के शब्दों में --बहुत अच्छा शीर्षक है ।
सुश्री खुशबू शाक्या जी की शब्दों में -- सही बोल रहे हैं , आप !
सुश्री निक्की पुष्कर जी की शब्दों में --बहुत बढ़िया ! मेरी दो बेटियाँ हैं, दोनों एक -दूसरे को राखी बाँधती हैं ।
सुश्री नंदिता तनुजा जी की शब्दों में --खूबसूरत अहसास ...बढ़िया सोच ।
सुश्री नमिता व्यास जी की शब्दों में -- Ek dam sahi hai or Susma ye Kam kar bhi Rahi hai !
सुश्री सुप्रिया सिन्हा जी के शब्द -- बहुत सुंदर !
सुश्री केतकी जानी जी के शब्द -- बढ़िया कांसेप्ट ।
सुश्री लक्ष्मी श्रीवास्तव जी लिखती हैं -- सार्थक पहल ।
सुश्री मनीषा गुप्ता जी कहती हैं -- बहुत सुंदर ।
डॉ. अमरेन्द्र जी के शब्दों में -- इस पोस्ट को पढ़ते-पढ़ते मैं अंदर तक भींग गया । जबकि आज देश की बहनों पर लगातार अत्याचार बढ़ रहा है, हमारी यह सांस्कृतिक पहल बहनों के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगी । आमीन ।
सुश्री अमरीन खान जी की शब्दों में -- सुंदर ।
सुश्री अर्चना गंगवार की शब्दों में - खूबसूरत नजरिया ।
सुश्री कांची सिंघल जी की शब्दों में -- वाह ।
सुश्री प्रेरणा जी की शब्दों में -- वेरी गुड थॉउट ।
श्रीमान सौरभ द्विवेदी के शब्दों में -- गुड ।
सुश्री नीलोफर नीलू जी की शब्दों में -- बहुत खूब जी ।
सुश्री सीमा भाटिया जी की शब्दों में -- बहुत बढ़िया ।
श्रीमान अभिषेक भाष्कर सिंह जी के शब्दों में -- बहुत उम्दा ।
सुश्री नीलिमा शर्मा जी की शब्दों में -- मेरा बेटा तो १०वर्ष से अपनी मौसेरी बहन को राखी बांध रहा है कि मैं क्या दीदी ही मेरी हर जगह रक्षा करती ! दोनों एक दूजे को राखी बांधते हैं ।
सुश्री वर्षा गुप्ता जी की शब्दों में -- बहुत सुंदर ।
श्रीमान सुनील भारद्वाज जी के शब्दों में -- बहुत बढ़िया ।
सुश्री अभिधा मिश्रा शर्मा जी की शब्दों में -- बेहतरीन ।
सुश्री कात्यायनी दीपक सिंह जी की शब्दों में -- बहुत बढ़िया ।
काफी दोस्तों ने अभियान पर 7 अगस्त से पहले तक अपनी राय रखी और बहुतों ने बहनों की कलाई को खाली न होने दिया, लेकिन कुछ दोस्तों ने इस अभियान को चुनौती भी दे डाली --
वात्सल्य जी के शब्दों में -- i hate this ,रीतिरिवाज को तोड़-मरोड़ रहे हो।
आदि-आदि ।
थोड़े से आलोचना, किन्तु इतने दोस्तों के विचारों से जहाँ यह अभियान इस बार अत्यधिक आशा के साथ खूब ही फला-फूला, इसे खत्म तो नहीं कहूँगा, लेकिन अगलीबार हर भाई अपनी बहनों की कलाइयों पर राखी बांधे ,तब लगेगा कि justice हुआ है मुहिम
#justice4राखियाँ के प्रति कि रूढ़िवादी परंपरा में तथ्य का ज़बरदस्त लोच आ पाया है !
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