अलविदा 'टॉम ऑल्टर' सर !!!
मैं हमेशा उस टी.वी. सीरियल को देखा हूँ, देखता आ रहा हूँ । हाँ, मैंने उस धारावाहिक के सभी एपिसोड को सहेज रखा है । उस सीरियल की जितनी तारीफ करूँ, कम है ! कोई भी छात्र-छात्रा अपने-अपने अक्स को उस धारावाहिक में उतरते देख सकते हैं । टॉम ऑल्टर सर ने उस सीरियल में अपनी शुरुआती रियल ज़िन्दगी को 'अदा' के तौर पर जीवंत किये है, भारत के एक सरकारी विद्यालय के शिक्षक बन, वह भी इतिहास जैसे विषय के सांस्कृतिक-शिक्षक होकर।
मैं उस सीरियल के किसी पात्र को न भूल पाऊंगा, न बॉक्सिंग सीखने के प्रति कटिबद्ध अली को, न खट-पट के नटखट व चुलबुली रज्जो को, न ही मध्यमवर्गीय परिवार की आयशा के बैडमिंटन खिलाड़ी बनने की ललक और हनक को और न ही समीर के स्माइल को, न ही ड्रीमगर्ल सुहानी को ! ....और टॉम सर को तो मैं कभी भूल ही नहीं सकता ! ....और भूल नहीं सकता मैं, रील लाइफ का वह पात्र, जो मुझसे जरा भी अलग नहीं हैं ! हाँ सर, मैं आपके चहेते स्टूडेंट्स में अतिचहेते 'राधे' की बात कर रहा हूँ ।
आप ऐसी दुनिया के लिए जिस शिद्दत से निकल गए है, उस यात्रा के बारे में न मैं जानता हूँ, न ही कोई सजीव प्राणी ! हाँ, स्वर्गीय प्राणी इस यात्रा को बता सकते हैं ! परंतु आपके इस यात्रा में वापसी यात्रा का कोई नियम नहीं है । आप जिस भी लोक में रहें, शिष्यमंडली से घिरे रहें ! हिंदी टी.वी. सीरियल 'यहां के हम सिकंदर' की भाँति हर एपिसोड में हर शिष्यों के ज़िंदगी की मुश्किल पहेली को सुलझाते हुए !
सादर नमन ! अश्रुपूरित श्रद्धांजलि !!
-- प्रधान प्रशासी-सह-संपादक ।
मैं हमेशा उस टी.वी. सीरियल को देखा हूँ, देखता आ रहा हूँ । हाँ, मैंने उस धारावाहिक के सभी एपिसोड को सहेज रखा है । उस सीरियल की जितनी तारीफ करूँ, कम है ! कोई भी छात्र-छात्रा अपने-अपने अक्स को उस धारावाहिक में उतरते देख सकते हैं । टॉम ऑल्टर सर ने उस सीरियल में अपनी शुरुआती रियल ज़िन्दगी को 'अदा' के तौर पर जीवंत किये है, भारत के एक सरकारी विद्यालय के शिक्षक बन, वह भी इतिहास जैसे विषय के सांस्कृतिक-शिक्षक होकर।
मैं उस सीरियल के किसी पात्र को न भूल पाऊंगा, न बॉक्सिंग सीखने के प्रति कटिबद्ध अली को, न खट-पट के नटखट व चुलबुली रज्जो को, न ही मध्यमवर्गीय परिवार की आयशा के बैडमिंटन खिलाड़ी बनने की ललक और हनक को और न ही समीर के स्माइल को, न ही ड्रीमगर्ल सुहानी को ! ....और टॉम सर को तो मैं कभी भूल ही नहीं सकता ! ....और भूल नहीं सकता मैं, रील लाइफ का वह पात्र, जो मुझसे जरा भी अलग नहीं हैं ! हाँ सर, मैं आपके चहेते स्टूडेंट्स में अतिचहेते 'राधे' की बात कर रहा हूँ ।
आप ऐसी दुनिया के लिए जिस शिद्दत से निकल गए है, उस यात्रा के बारे में न मैं जानता हूँ, न ही कोई सजीव प्राणी ! हाँ, स्वर्गीय प्राणी इस यात्रा को बता सकते हैं ! परंतु आपके इस यात्रा में वापसी यात्रा का कोई नियम नहीं है । आप जिस भी लोक में रहें, शिष्यमंडली से घिरे रहें ! हिंदी टी.वी. सीरियल 'यहां के हम सिकंदर' की भाँति हर एपिसोड में हर शिष्यों के ज़िंदगी की मुश्किल पहेली को सुलझाते हुए !
सादर नमन ! अश्रुपूरित श्रद्धांजलि !!
-- प्रधान प्रशासी-सह-संपादक ।
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