"कविता के तुक्के"
दाग थी वहीं-कहीं, पता चला यहीं है,
इशारे भद्दे लिए, आँखें उनकी / यहीं-कहीं है,
सोची, बधाई दूँ, नववर्ष की / एक गुलदस्ता
पर, उन्होंने कहा- तुम खुद गुलदस्ते हो !
×× ×× ××
एक पत्थर तबियत से उछाला / हवा को फाड़ गयी
दूजे पत्थर मैंने उछाली / नदियाँ विभाजित हो गयी
तीजे पत्थर ने / मेहँदी रंगायी
चोथे ने दिल को कर तार-तार / बदनाम कर गयी ।
×× ×× ××
आज न ईद है, ना ही दीवाली,
जश्ने आज़ादी / इस पार - उस पार,
तोप उगल रहे शोले, ए.के. की तड़तड़ाहट,
चौकीदार है, सोची थी / खून भरे गुब्बारे निकले ।
×× ×× ××
इशारे भद्दे लिए, आँखें उनकी / यहीं-कहीं है,
सोची, बधाई दूँ, नववर्ष की / एक गुलदस्ता
पर, उन्होंने कहा- तुम खुद गुलदस्ते हो !
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एक पत्थर तबियत से उछाला / हवा को फाड़ गयी
दूजे पत्थर मैंने उछाली / नदियाँ विभाजित हो गयी
तीजे पत्थर ने / मेहँदी रंगायी
चोथे ने दिल को कर तार-तार / बदनाम कर गयी ।
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आज न ईद है, ना ही दीवाली,
जश्ने आज़ादी / इस पार - उस पार,
तोप उगल रहे शोले, ए.के. की तड़तड़ाहट,
चौकीदार है, सोची थी / खून भरे गुब्बारे निकले ।
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