दुनिया में हर मोह का अंत 'मृत्यु' पर आकर समाप्त हो जाती है । हम 'परफेक्शन' की तलाश में भटकते रहते हैं, लेकिन इस अजीब संसार में परफेक्शन मतलब मृत्यु है और मृत्यु को शाश्वत सत्य कहा गया है । एक दृष्टि से वे अध्यात्मानुसार मोक्ष भी मृत्यु है क्या ? ....लेकिन जिस व्यक्ति के जन्म के बाद 'संज्ञा' कह कई-कई नाम दे देते हैं, वहीं मरने के बाद वो जीवित व्यक्ति 'बॉडी' बन जाती हैं । वैसे 'संज्ञाहीन' से मतलब 'डेडबॉडी' से ही है । जो हो, मौत के बाद यादें ही जीने का सहारा बन जाती है, ताकि हम उनके हर उन स्वप्नों को पूर्ण कर सकें,जो उन्होंने अपने लिए और हमारे लिए संजोए रखे थे ! आइये, आज पढ़ते हैं-- मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में लेखिका पौत्री सुश्री आकृति विज्ञा 'अर्पण' के वो पत्र, जो उन्होंने स्वर्गीया दादी को संबोधित लिखी हैं..........
स्वर्गीया दादी की याद में एक खुला खत
सुश्री आकृति विज्ञा 'अर्पण' |
स्वर्गीया दादी की याद में एक खुला खत
हृदय स्पर्शी पत्र अर्पण दादीजी की याद में आंसू आ गए।
ReplyDeleteRulaa diya.... Paglii!!
ReplyDeleteबहुत खूब दादी की सम्पूर्ण यादे सिमटी है . .बालमन मानता ही नहीं ...
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