6 दिसम्बर को कई घटनाएं हुई, वह दुर्घटनाएं थी । भारत में 1992 में इस तिथि को अयोध्या में एक ऐतिहासिक इमारत को ढहा दी गई, जिनपर मुकद्दमें अबतक चल रहे हैं । अगर कोई इमारत विवादित भी है, किन्तु वह अगर ऐतिहासिक है, तो यह देश की संपत्ति है, चाहे वह किसी भी कौम की हो ।
भारत के पहले अनुसूचित जाति के युवक, जिन्होंने मैट्रिक से लेकर Ph D, D Litt तक उपाधि प्राप्त किये । अर्थशास्त्र में Ph D करनेवाले पहले एशियाई डॉ0 भीमराव सकपाल अम्बेडकर ने शनै:-शनै: अपनी प्रतिभा को पहले दुनिया में, फिर देश में स्थापित किये । भारत में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना में उनकी अवधारणा ही माने जाते हैं । कहा जाता है, वे नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामांकित हुए थे ! अर्थशास्त्र में उनकी पकड़ काफी मजबूत थी, अपितु 'विधि' की उन्हें मानद उपाधि मिली थी ।
गाँधी जी से मतभेद के बावजूद दोनों एक - दूसरे के प्रति मनभेद नहीं रखते थे । उनकी कई मशहूर किताबों के कारण तथा जबतक अनुसूचित वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें शिक्षित नहीं किया जाएगा व आरक्षण नहीं दिया जाएगा, देश आगे बढ़ नहीं सकता-- संबंधी सिद्धांतों के कारण 'संविधान सभा' में अम्बेडकर साहब को शामिल किया गया और कालांतर में श्री बी एन राव के सचिवत्व पर प्राथमिकता देते हुए संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष उन्हें डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने नियुक्त किया ।
जीवन के अंतिम दिनों में बौद्ध धर्म अपना लिए थे । वर्ष 1956 के 6 दिसम्बर को लंबी बीमारी के बाद बाबा साहब का निधन हो गया । केंद्र की कांग्रेसी सरकार ने उनकी प्रतिभा की कद्र 1992 में ही की, जब डॉ0 साहब को मरणोपरांत 'भारत रत्न' प्रदान किया गया ।
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6 दिसम्बर को ऐसी घटना से जोड़ हम स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि मंत्री और भारतीय संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर के निधन तिथि व बौद्ध धर्म के अनुसार 'महापरिनिर्वाण' को भूलते जा रहे हैं । बाबा साहब अपने अंतिम दिनों में बौद्ध भिक्षुक बन गए थे । वर्ष 1956 में मृत्यु को प्राप्त बाबा साहब को कई सरकारी मंथन के बाद 1992 में ही मरणोपरांत 'भारत रत्न' से नवाजा गया था।
आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा की भांति दलितों के भगवान के रूप में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर अभिहित हैं । जिनके सुफल विचार और सिद्धांत के कारण ही वर्त्तमान केंद्रीय सरकार ने 'भीम' एप्स शुरू किया है । हमें बाबा साहब के विचार अपनाने चाहिए । आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में पढ़ते हैं डॉ0 सदानंद पॉल का लघुवालेख..., आइये पढ़े और बाबा साहब को विनम्र श्रद्धांजलि दें।
भारत के पहले अनुसूचित जाति के युवक, जिन्होंने मैट्रिक से लेकर Ph D, D Litt तक उपाधि प्राप्त किये । अर्थशास्त्र में Ph D करनेवाले पहले एशियाई डॉ0 भीमराव सकपाल अम्बेडकर ने शनै:-शनै: अपनी प्रतिभा को पहले दुनिया में, फिर देश में स्थापित किये । भारत में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना में उनकी अवधारणा ही माने जाते हैं । कहा जाता है, वे नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामांकित हुए थे ! अर्थशास्त्र में उनकी पकड़ काफी मजबूत थी, अपितु 'विधि' की उन्हें मानद उपाधि मिली थी ।
गाँधी जी से मतभेद के बावजूद दोनों एक - दूसरे के प्रति मनभेद नहीं रखते थे । उनकी कई मशहूर किताबों के कारण तथा जबतक अनुसूचित वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें शिक्षित नहीं किया जाएगा व आरक्षण नहीं दिया जाएगा, देश आगे बढ़ नहीं सकता-- संबंधी सिद्धांतों के कारण 'संविधान सभा' में अम्बेडकर साहब को शामिल किया गया और कालांतर में श्री बी एन राव के सचिवत्व पर प्राथमिकता देते हुए संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष उन्हें डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने नियुक्त किया ।
जीवन के अंतिम दिनों में बौद्ध धर्म अपना लिए थे । वर्ष 1956 के 6 दिसम्बर को लंबी बीमारी के बाद बाबा साहब का निधन हो गया । केंद्र की कांग्रेसी सरकार ने उनकी प्रतिभा की कद्र 1992 में ही की, जब डॉ0 साहब को मरणोपरांत 'भारत रत्न' प्रदान किया गया ।
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