आज से कुछ बरस पहले तक शहरी संस्कृति में और ग्रामीण परिवेश में तो अब भी 'बेटी बचाओ' पर ध्यान नहीं दिया जा रहा ! हाँ, भ्रूणहत्या कम हुई है, किन्तु 'बेटी' को पुत्र के समान नहीं मानते हैं लोग, उन्हें तो संतान तक नहीं मानी जाती ! महिलाओं के कम अनुपात वाले राज्य हरियाणा की मूलतः रहनेवाली सायना नेहवाल को भी उनकी दादी जरा भी मानती नहीं थी, किन्तु वे वह कर गयी, जो बेटा नहीं कर पाता है ! हरियाणा ने मानुषी छिल्लर को भी जन्म दी है , किन्तु आज के अंक में ऐसी 'बेटी किरण' की कहानी, जो देश का नाम रौशन कर दी । श्री दीपक कुमार की हस्तलिखित लिपि में प्रस्तुत लघुकथा गाँव की एक और सुश्री सायना नेहवाल की कहानी है । देश डिजिटल क्रांति की ओर उन्मुख हो रही है, लेकिन कागज के पृष्ठों पर लिखी हुई कहानी को यहाँ हूबहू देकर मैसेंजर ऑफ ऑर्ट ने श्लाघनीय कार्य किया है । आइये, पढ़ते है श्रीमान दीपक कुमार की हस्तलिखित लघु प्रेरक कथा (लप्रेक) को... और यादें ताज़ा करते है, स्मार्टफोन के जमाने में 'कलम' की रोशनाई को ....
श्रीमान दीपक कुमार |
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