वह सिर्फ नाम नहीं बल्कि ब्रांड है, ब्रांड की आलोचना तभी होती है, जब वह काफी अनुभव प्राप्त कर लें और मार्किट में पूरी तरह चलने लगे लेकिन जब मार्किट में दबदबा न बनें, तो वह ब्रांड बंद हो जाता है या वह ब्रांड खुद ही मार्किट से निकल आते हैं । महेंद्र सिंह धौनी को जब लगा कि वे टेस्ट में न खेल पा रहे हैं, तो उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी । जब उन्हें लगा कि युवाओं को आगे बढ़कर टीम का दारोमदार संभालना चाहिए, तो उन्होंने वनडे और टी-20 कप्तान से इस्तीफा दे दिया । न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 मैच में भारतीय टीम 40 रनों से हार गई लेकिन जिसके बाद बड़े-बड़े क्रिकेटर ने धौनी को संन्यास लेने की राय दे दी । क्या वे लोग यह मैच बारीकी से नहीं देख पायें कि किस तरह धौनी ने 37 गेंद में 49 रन की पारी खेली ? परंतु उसके बाद श्रीलंका टीम के खिलाफ धौनी की फिनिशर पारी क़ाबिल-ए-तारीफ है । क्रिकेट अनिश्चितता का खेल है लेकिन जब शुरुआती बल्लेबाज ही अपने हुनर का जलवा न दिखा पायें, तो ... इसमें धौनी पर दोषारोपण क्यों ? क्या उन्हें यह नहीं पता की अच्छे फिनिशर भारतीय टीम में एक वहीं है जिसे हम माही कहते है और माही किसी ब्रांड से कम नहीं है !आइये आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में पढ़ते है, ठंड भरी दिन में 'कैप्टन कूल' को ...
वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में अभी तक का सबसे कम स्कोर का रिकॉर्ड ज़िम्बाब्वे के पास है (35 रन), लेकिन जितनी बार भी कम स्कोर बनी ( कोई भी टीम) हैं,अधिकतर में श्रीलंकाई टीम जरूर होती हैं। भारत और श्रीलंका के बीच धर्मशाला में हुए प्रथम ODI मैच में एक समय ऐसा लग रहा था, भारतीय टीम जिम्बाब्वे से भी कम स्कोर में ऑल आउट हो जाएगी, लेकिन हर प्रारूप की कप्तानी को छोड़ चुके कैप्टन कूल धौनी की 87 गेंद पर खेली गई 65 रनों की पारी से ऐसा लगा, जो लोग उनके बल्लेबाजी और बढ़ती उम्र पर सवाल उठते हैं, उन्हें एक बार अन्य सभी बल्लेबाजों और गेंदबाजों पर भी सवाल उठाने चाहिए क्योंकि खेल की हर विद्या में धौनी फिट बैठते हैं, परंतु यदि उन्हें जब भी ऐसा लगता है कि अब खेल नहीं पाऊंगा तो वह टेस्ट की तरह अचानक संन्यास की घोषणा कर देते है । अब यदि धौनी वनडे क्रिकेट में 102 रन बना लेते हैं, तो उनके वनडे में 10,000 रन हो जाएंगे, जोकि 10,000 रन तक पहुँचनेवाले चौथे भारतीय क्रिकेटर होंगे ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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