आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, ऐसी दास्ताँ जिसे हम सभी ने सुनी, लेकिन कभी आत्मीय रूप से तो कभी भावनात्मक रूप से इस घटना से जुड़े रहे, लेकिन निदान किसी ने नहीं किया। आइये पढ़ते हैं...
3 दिसम्बर 1984 को दुनिया की सबसे बड़ी 'गैस - त्रासदी' हुई, जो कि भोपाल अवस्थित वारेन एंडरसन की 'यूनियन कार्बाइड' फैक्ट्री में MIC (मिथाईल आयसो सायनेट) नामक ज़हरीली गैस के रिसाव से हुई । गैस - रिसाव का कारण जंग लगे गैस पाइप को रिपोर्ट करने बाद भी कई वर्षों से चलताऊ बनाये रखना रहा और क्षतिग्रस्त पाइप से रिसाव रहा । फैक्ट्री के विदेशी मालिक एंडरसन के द्वारा बार - बार ऐसे पाइप के बदलने संबंधी नज़रअंदाजी से गैस लीक हुआ ।
'यूनियन कार्बाइड' के ऑफिसर्स की ड्यूटी तो उस समय नहीं थी, वे सभी बच गए । किन्तु जिनकी ड्यूटी थी, वे सभी भारतीय थे यानी ऑपरेटर, कर्मचारी, मज़दूर और पास ही स्थित 'मज़दूर क्वार्टर और आसपास के निवासी ! यह गैस इतनी ज़हरीली थी कि तत्काल 10,000 लोग मारे गए, सप्ताह - महीना - साल के अंतराल में 5,000 और लोग मर गए । हज़ारों आबादी दिव्यांगता के शिकार हुए, जो कि हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे 'अणु बम' से हुए विक्षत लोगों के बाद उनके पीढ़ी दर पीढ़ी 'जेनरेशन' के दिव्यांगता की भाँति भोपाल गैस - त्रासदी से बची गर्भवती माताएँ के बच्चे दिव्यांग पैदा हुए, छोटे बच्चे भी आजन्म दिव्यांग रह गए ।
फैक्ट्री के मालिक को मात्र 6 घंटे का हिरासत मिला, जमानत पर बाहर निकलते ही गधे की सींग की भाँति मृत्युपर्यन्त गायब ! फिर कोई सजा नहीं, पीड़ितों को मुआवज़ा भी नहीं । वर्ष 2014 में एंडरसन का गुमनामी में मृत्यु प्राप्त हुई, किन्तु हज़ारों हत्याओं के दोषी को कोई सज़ा नहीं हुई, सिर्फ प्राकृतिक और उम्रानुसार निधन मात्र !
'भोपाल गैस - त्रासदी' को लेकर एक फ़िल्म में श्री राजपाल यादव ने जीवंत भूमिका निभाई हैं । पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को हुई हत्या के बाद उस वर्ष 3 दिसम्बर को भोपाल में हुई यह त्रासदी भारतीय इतिहास की सबसे जघन्यतम हत्या थी ! आज वहाँ कचरा जमा है, सरकार को चाहिए, इसे शीघ्र हटाए और पीड़ितों को अपने स्तर से मुआवज़ा दे, ताकि उनसे वे ताउम्र स्वास्थ्य-लाभ और जीवनयापन कर सके ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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