प्रख्यात रंगकर्मी सफदर हाशमी ने कहीं लिखा है--
"किताबें करती हैं बातें,
बीते जमाने की
दुनिया की, इंसानों की,
आज की, कल की,
एक-एक पल की ।"
इन काव्य -बिंबों में लीन हो आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और लेखक श्रीमान दिलीप भाटिया की हस्तलिखित रचनाएँ, जिनमें कुछ अन्यत्र उद्धृत है, तो कुछ उन्हें 'दिलीप अंकल' के सम्बोधनार्थ 'व्हाट्सएप' पर प्रेषित पोस्टकार्ड लिए । हाँ, पोस्टकार्ड ही है यह ! पोस्टकार्ड पर भी हस्तांकित रचनाएँ हैं । इन रचनाओं को पढ़ते हुए, हमारे पाठकगण निश्चित ही भावुक हो जाएंगे, MoA ने श्रीमान दिलीप साहब के इन रचनात्मक कतरनें को एक शीर्षक दिया है, यथा:- 'मीठे संतरें की फांक सदृश रचनाएँ' ! तो आइए, इस फांक से हम पढ़ते हुए संतरें की मीठी रस पाते हैं....श्रीमान दिलीप भाटिया
"मीठे संतरे की फांक सदृश रचनाएँ"
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'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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