क्या मौत के बाद भी ज़िन्दगी है ? विज्ञान इसे नहीं मानता और मैं भी मूल रूप से विज्ञान का छात्र हूँ । किन्तु हां, इसतरह के बुझौअल दुनिया में निवास करने वाले दार्शनिकों के दर्शन में और साहित्यकारों की रचनाओं में प्राणस्वामी 'यमराज' का जिक्र है, तो स्वर्ग-नरक लिए मायावी दुनिया के होने का भी उल्लेख है । गलत काम और बुरे आचरण को पाप के अंतर्गत माना गया है और ऐसे कुकृत्यकारक को अगर किसी कारण धरती पर दंड नहीं मिलता है, तो कहते हैं, उनकी मृत्यु के बाद उन्हें (शायद उनकी आत्मा को!) महती कष्टदायक 'नरक' यातना के लिए भेजा जाता है, किन्तु जो अच्छे और सज्जन व्यक्ति हैं, उन्हें सुख-स्वर्ग की यात्रा कराया जाता है । दोनों स्थिति लाइनहाजिर व सचिवालय में रहने हेतु प्रतीक्षालय - मात्र है, फिर वहीं से उनके पूर्वजन्म के लेखाधारित पुनर्जन्म हेतु कहाँ और किस प्राणी में जन्म होंगे, यह वस्तुस्थिति तय होती हैं ! विज्ञान इसतरह की कथा को 'गल्प' (गप्प) से आगे नहीं मानते ! तथापि कोई आदमी गलत काम नहीं करें, इसपर आज मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट लेकर आई है, जब शरीर से प्राण-पखेरू निकल जाती है और 'स्वर्ग-नरक' में आने-जाने की घटनाएं शुरू हो जाती हैं यानी घटनाओं में जब लाशें जलती हैं या कब्रगाहों में शव को मिट्टी मिलती हैं, तब क्या उस 'शरीर रूपी लाश' की सुरक्षा हो पाती हैं ! सर्वाधिक पठित व्यंग्य-कथा 'टूटती लाशें' ऐसी ही चिंता का उद्भेदन की है । पढ़िए तो जरा.......
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
"टूटती लाशें "
वो कब की जग चुकी थी, लेकिन उनकी 80 वर्षीया वृद्धायी चेहरा पर सिकन, थकावट और उस जगह का अजनबीपन उसे कसोटे जा रही थी कि अचानक उसे याद आई कि वो इतनी 'चंगी-भली' कैसे है , प्लेटफार्म पार करते वक़्त वह तो ट्रेन की चपेट में आ गयी थी । उसे महसूस हुई कि उनकी बूढ़ी हो चुकी सारे कल-पुर्जे तो सही सलामत हैं, लेकिन 'एक्सीडेंट' तो हुई थी !
तो क्या वह अभी 'हॉस्पिटल' में है.... यह सोचकर उसने अपनी 'बूढ़ी -आँखों' की गोलाई को इधर-उधर देखने हेतु ले गयी, पर वह 'अजनबी' जगह उसे 'हॉस्पिटल' माफिक नहीं लग रही थी ...? पर वह जगह 'महलनुमा' जरूर लग रहा था और वह इक बड़ा-सा वर्गाकार चमकदार दरवाजा लगा था उनमें, वह अभी अपने को सोफे पर सोई पा रही थी ..... न सोचते हुए भी अपनी वृद्धायी और अशिक्षित दिमाग पर जोड़ डाली पर 'ढाक के तीन पात' की तरह ही दिमाग वहीँ मसक के रह गयी.... कोई जवाब नहीं सूझ पायी ।
वो कब की जग चुकी थी, लेकिन उनकी 80 वर्षीया वृद्धायी चेहरा पर सिकन, थकावट और उस जगह का अजनबीपन उसे कसोटे जा रही थी कि अचानक उसे याद आई कि वो इतनी 'चंगी-भली' कैसे है , प्लेटफार्म पार करते वक़्त वह तो ट्रेन की चपेट में आ गयी थी । उसे महसूस हुई कि उनकी बूढ़ी हो चुकी सारे कल-पुर्जे तो सही सलामत हैं, लेकिन 'एक्सीडेंट' तो हुई थी !
तो क्या वह अभी 'हॉस्पिटल' में है.... यह सोचकर उसने अपनी 'बूढ़ी -आँखों' की गोलाई को इधर-उधर देखने हेतु ले गयी, पर वह 'अजनबी' जगह उसे 'हॉस्पिटल' माफिक नहीं लग रही थी ...? पर वह जगह 'महलनुमा' जरूर लग रहा था और वह इक बड़ा-सा वर्गाकार चमकदार दरवाजा लगा था उनमें, वह अभी अपने को सोफे पर सोई पा रही थी ..... न सोचते हुए भी अपनी वृद्धायी और अशिक्षित दिमाग पर जोड़ डाली पर 'ढाक के तीन पात' की तरह ही दिमाग वहीँ मसक के रह गयी.... कोई जवाब नहीं सूझ पायी ।
इसी ऊहापोह में अचानक ही उसे 'मर्द कदमों' की आहट कानों सुनाई पड़ी, जो कि उस चमकदार दरवाजा को खोलते हुए आ रहे थे ।
बुढ़िया ने अपनी मस्तक दरवाजे की तरफ की , उसे मात्र दो व्यक्ति दिखाई पडी, पर जगह की तरह वो शख्स भी उन्हें 'अनजान' के माफिक लगे, वृद्धा ने जैसे उन्हें देखी तो सवालों की झड़ी लगा दी ।
आपलोग कौन है ? मैं यहाँ कैसे आई ?? कहाँ हूँ मैं ???
मेरी ट्रेन तो एक्सीडेंट हुई थी, फिर मैं यहाँ कैसे ????
आगंतुक में किसी ने कहा - एकसाथ इतने प्रश्नों के उत्तर देने से पहले मैं आपको बता दूँ कि मैं 'यम' हूँ यानी मृत्यु का देवता और आप अभी यमलोक में हैं .....
बुढ़िया ने अपनी मस्तक दरवाजे की तरफ की , उसे मात्र दो व्यक्ति दिखाई पडी, पर जगह की तरह वो शख्स भी उन्हें 'अनजान' के माफिक लगे, वृद्धा ने जैसे उन्हें देखी तो सवालों की झड़ी लगा दी ।
आपलोग कौन है ? मैं यहाँ कैसे आई ?? कहाँ हूँ मैं ???
मेरी ट्रेन तो एक्सीडेंट हुई थी, फिर मैं यहाँ कैसे ????
आगंतुक में किसी ने कहा - एकसाथ इतने प्रश्नों के उत्तर देने से पहले मैं आपको बता दूँ कि मैं 'यम' हूँ यानी मृत्यु का देवता और आप अभी यमलोक में हैं .....
.... लेकिन मैं मरी कब और मैं तो मुस्लिम महिला हूँ, फिर 'हिन्दू यमलोक' में कैसे ? मुझे तो 'अल्लाह ताला' के यहाँ ही ना होनी चाहिए थी ?
आप मृत्यु को कैसे प्राप्त की, ये तो मैं बतला सकता हूँ , पर अन्य सवालों के जवाब का उत्तर से मैं आपको संतुष्ट नहीं कर पाउँगा ।
वृद्धा-- क्यों बेटे ?
यम ने बेटे-जैसे सम्बोधन सुनकर भावविभोर हो गए और उसने बुढ़िया को माई कहना ही उचित समझा।
यम ने बेटे-जैसे सम्बोधन सुनकर भावविभोर हो गए और उसने बुढ़िया को माई कहना ही उचित समझा।
यम ने हाथ में 'yam apple10' मोबाइल-सेट पॉकेट से निकाले और चित्रगुप्त से कहा--
जरा अपना 'Wifi' तो 'ऑन' करना, 'माई' को 'you tube' से जारी 'वीडियो' दिखाना है कि कैसे उनकी मृत्यु हुई ।
जरा अपना 'Wifi' तो 'ऑन' करना, 'माई' को 'you tube' से जारी 'वीडियो' दिखाना है कि कैसे उनकी मृत्यु हुई ।
चित्रगुप्त-- क्या सर, यह वीडियो इतना वायरल हो गया , की यमलोक के साईट पर भी अपलोड हो गया है।
यम-- हाँ भाई ,धरती वासी एक पत्रकार ने इस माई को इतना फेमस कर दिया है न कि यहाँ के सोशल नेटवर्क साइट 'यम बुक' में सिर्फ इन्ही की खबर है (फेसबुक की तरह yambook), नरक में रहने वालों ने इनकी वीडियो को इतने शेयर और कमेंट पर कमेंट किये हैं कि हमारी सरकार भी हिल गयी है ।चित्रगुप्त, wifi on करना तो फ़ास्ट ।
चित्रगुप्त-- क्या सर , यमलोक के स्वामी होते हुए भी आप 'डेटा-पैक' नहीं डलवाते हैं (बुढ़िया इनदोनो की बातों को गौर से सुन रही थी और सोच रही थी कि यमलोक में भी मोबाइल, जिसे वह तो धरती पर देखती थी ), पर सर , आपके पास इतना महंगा मोबाइल कैसे ? कही लंबा हाथ मारे हैं क्या ?
यम-- नहीं रे , यह तो धरतीवासी ही कर सकते हैं । पता है , धरती पर के 10 ईमानदार व्यक्ति खोजने के बाद ही मुझे तोहफा-स्वरुप हमारे पार्टी के उच्च भगवन ने यह मोबाइल गिफ्ट में दिया है , अब बकझक मत कर और wifi on कर bro.
चित्रगुप्त-- माई, ये देखिये, आप अपनी मृत्यु का वीडियो कि कैसे मरी ?
माई--(देखती हुई) (कैसे वह प्लेटफॉर्म पार कर रही थी और कैसे ट्रेन के धक्के से हॉस्पिटल पहुँची).....पर ये मेरे 'शरीर' के साथ ऐसा क्यों कर रहे है ? मेरे नाजुक और बूढ़े कमर को ये ऐसे क्यों तोड़ रहे हैं, बेटे और मुझे बांध कर ये दोनों कहाँ ले जा रहा है मुझे ? तुम तो मृत्यु के देवता हो 'ज़िन्दगी और मौत' तुम्हारे हाथ में है । मैं मुस्लिम बुढ़िया, लेकिन हिन्दू धर्म के बारे काफी कम, किन्तु जो कुछ भी जानती हूँ कि किसी भी धर्म में 'इंसानों के साथ ऐसा बर्ताव तो नहीं किया जाता है न !
यम-- माई यह तो आपकी गलतियों की सजा है ।
माई-- .... पर मैंने क्या गलतियां की , बेटे ?
यम तो माई के नचिकेता से भी भयानक और 'विगर्भ' सवालों से बचने का प्रयास कर रहा था , पर ऐसा नहीं हो पा रहा था ...!
यम--(चित्रगुप्त की तरफ मुखातिब होते हुए) चित्र , माई के प्रश्नों का उत्तर तुम दो ।
माई-- .... पर मैंने क्या गलतियां की , बेटे ?
यम तो माई के नचिकेता से भी भयानक और 'विगर्भ' सवालों से बचने का प्रयास कर रहा था , पर ऐसा नहीं हो पा रहा था ...!
यम--(चित्रगुप्त की तरफ मुखातिब होते हुए) चित्र , माई के प्रश्नों का उत्तर तुम दो ।
चित्र-- माई , मैं चित्रगुप्त हूँ , मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखनेवाले । अभी तक 'यम सर' ने मेरा परिचय नहीं कराया था न !
माई - हाँ , सुनी हूँ और tv पर देखी भी हूँ तुम्हे ।
चित्र - मुझे और tv पर , पर मैं तो आजतक 'नीचे की दुनिया में सुट्टिंग' करने गया ही नहीं !
यम-- (बीच में टोकते हुए) 'मानव' रूपी चित्र ....पहले माई को जवाब दे , उनसे ही प्रश्न करने लगा तू ।
चित्र - मुझे और tv पर , पर मैं तो आजतक 'नीचे की दुनिया में सुट्टिंग' करने गया ही नहीं !
यम-- (बीच में टोकते हुए) 'मानव' रूपी चित्र ....पहले माई को जवाब दे , उनसे ही प्रश्न करने लगा तू ।
चित्र - आपकी गलती बस इतनी है कि आप "भ्रष्ट देश में जन्म" लिए हैं ।
माई - लेकिन ये तो मेरी गलती नहीं है कि ये तो 'भेजने वाले अल्लाह' की गलती है ।
चित्र - यह न अल्लाह की गलती है न यम की, आप बच सकती थी , लेकिन भ्रष्ट डॉक्टर के कारण आप मारी गयी, जो कि आपके मृत शरीर को पोस्टमार्टम करने ले जा रहे हैं, यह देखिये....
[तभी चित्रगुप्त का yamsapp (whatsapp की भाँति) भिनभिनाया ]
.....एक मिनट माई एक वीडियो आया है बस डाउनलोड कर लूँ , यम सर ! आप भी देखिये .....!! माई आप भी !!! आपकी जैसीे ही 'इंसानियत को घृणित' कर देने वाली घटना ।
[तभी चित्रगुप्त का yamsapp (whatsapp की भाँति) भिनभिनाया ]
.....एक मिनट माई एक वीडियो आया है बस डाउनलोड कर लूँ , यम सर ! आप भी देखिये .....!! माई आप भी !!! आपकी जैसीे ही 'इंसानियत को घृणित' कर देने वाली घटना ।
yamsapp वीडियो चालू किया गया । एक पत्रकार अपने काम को निष्ठा से 'न्यूज़' में कह आ रहा था कि कैसे एक आदिवासी व्यक्ति ने अपनी पत्नी की बेजान पड़ी लाश को कंधे पर रखकर 10-12 KM जाकर गाँव तक लाया, लेकिन 'जाति पीड़ित' समाज इसे देखता रहा , किसी का हाथ मदद के लिए आगे नहीं आया कि उनके कोई साथ दे, लेकिन इक पत्रकार ने इस न्यूज़ को देश के हर जवान के साथ यम लोक में भी प्रचारित कर दिया । उस पत्रकार ने सिर्फ न पत्रकारी का काम , बल्कि DM को फ़ोन कर वहां के बारे में बताकर एम्बुलेंस भी उपलब्ध कराया , लेकिन इन सबके बावजूद पृथ्वीवासी उस पत्रकार को आलोचित ही कर रहे थे , किसी ने 'लाश' को तो छोड़िये उनके 12 साल बेटी की माँ के गुजरने का दर्द भी नहीं समझ पाया यदि समझ पाया भी तो मात्र पैरों में उनकी स्लिपर लोगों को दिखाई दिया । खास बात यह थी कि जन्माष्टमी के दिन ऐसी घटना का होना, यम सर ! कान्हा पर भी लांछन लगा सकता है.......
चित्र ने सुझाव देते हुए कहा ।
चित्र ने सुझाव देते हुए कहा ।
वीडियो देखने के बाद माई और यम के आँखों से बस अश्रुधार ही गिर रहे थे ...।
माई-- इंसानियत तो है ही नहीं !!
यम-- इंसानियत होती तो आप अभी ज़िंदा रहती माई । आप अब यमाइयत की ईमानदारी देखिये !!
माई-- इंसानियत तो है ही नहीं !!
यम-- इंसानियत होती तो आप अभी ज़िंदा रहती माई । आप अब यमाइयत की ईमानदारी देखिये !!
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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