वैसे तो चैट पर सबसे पहला उपन्यास लिखने का श्रेय प्रेमचंद को जाता है, लेकिन उस समय फेसबुक का बोलबाला नहीं था । जब भी फेसबुक की बात आती है, तो युवा पीढ़ी अजीब नशा में खो जाते हैं, इसी अजीब नशा पर गहराई से अध्ययन कर श्रीमान सूरज प्रकाश जी ने लिखा है नॉट इक्वल टू लव उपन्यास । आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं प्रस्तुत उपन्यास की समीक्षा, जिसे सुश्री मंगला रस्तोगी जी ने समीक्षित कर उपकृत की है, आइये देर न करते हुए इसे पढ़ ही डालते हैं ---
नॉट इक्वल टू लव --
सोशल मीडिया पर आधारित हिंदी का पहला चैट उपन्यास अभी कुछ दिन पहले ही मिली ।
सुश्री मंगला रस्तोगी |
सूरज प्रकाश जी का "नॉट इक्वल टू लव" रोचक उपन्यास है जिसे एक प्रयोगवादी उपन्यास भी कहा जा सकता है !
यदि आपके पास समय अभाव नहीं है, तो एक ही बार में पढना पसंद करेंगे । इस रोचक उपन्यास की पहली खासियत यही है एक बार पढ़ना शुरू हुआ, तो पूरा पढ़े बिना आपके हाथ से छूटेगा ही नहीं।
नॉट इक्वल टू लव की समीक्षा के तौर पर पाठकों द्वारा बहुत कुछ लिखा जा रहा है, जो इस की सफलता, रोचकता को दर्शाता है ! फेसबुक चैट पर लिखे उपन्यास की भाषा शैली, संवाद शैली, पात्र चयन सभी कुछ प्रशंसनीय है !
सबसे अच्छी बात पढ़ते हुए कहीं कोई बोरियत महसूस नहीं हुई बल्कि आगे...! क्या होने वाला है कि उत्सुकता बरकरार रहती है ? यही कारण है कि उपन्यास को एक बार पढ़ना शुरू करने के बाद समाप्त होने तक आप उससे जुड़े रहते हैं ।
उपन्यास को पढ़ते हुए कई बार लगा कि किसी आत्मकथा को पढ़ा जा रहा है। उसका कारण उपन्यास के लेखक सूरज प्रकाश जी के व्यक्तित्व की झलक का नजर आना, जिन पाठकों ने सूरज प्रकाश जी के साहित्य को पढ़ा होगा, वह जरूर इस बात को नोटिस करेंगे ।
उपन्यास के दोनों पात्र नायक "देव" और नायिका "छवि" हमारे आसपास के ही जाने पहचाने पात्र लगते हैं । जिनकी मित्रता एक सकारात्मक सोच लेकर फेसबुक से शुरू होती है ।सोशल मीडिया या Facebook को आज भी जहां अधिकतर लोगों ने समय की बर्बादी का कारण मान कर नकार दिया है वहीं लेखक ने अपनी बौद्धिकता, सजगता, अनुभवपरकता का सफल प्रयोग करते हुए सिद्ध किया है कि सकारात्मकता और नकारात्मकता वास्तव में व्यक्ति के भीतर विद्यमान होती हैं। वह जैसी सोच का धनी है वैसी ही उसे प्राप्ति होती है।
उपन्यास में चैट के साथ बीच बीच में छोटी छोटी शायरी,कविता की कुछ पंक्तियाँ और गीत ग़ज़ल के लिंक भी दिए गए हैं। साहित्य, संगीत से जुड़े पाठकों के साथ ही ओशो फैन्स के लिए भी बहुत कुछ है ।
नायक देव और नायिका छवि ने एक दूसरे को कभी देखा नहीं है फिर भी Facebook पर चैट करते हुए दोनों एक दूसरे के भावों को विचारों को बखूबी समझते हैं। बिना किसी शारीरिक आकर्षण के भावनात्मक रूप से एक दूसरे से जोड़ने की कोशिश कथाकार की उच्च कोटि की मनोदशा को बताती है।
नॉट इक्वल टू लव के कुछ अंश जो मुझे पसंद आये, यथा --
"हमारे देश में बहुत सी असन्तुष्ट और अतृप्त आत्माएं रहती हैं, Facebook ऐसी अंसतुष्ट और अतृप्त आत्माओं की भावनात्मक शरणस्थली है, ऐसी ज़्यादातर असन्तुष्ट और अतृप्त आत्माएं यहाँ एक मजबूत कन्धा तलाश रही हैं ताकि अपना सिर कुछ देर के लिए टिका सकें, लेकिन डरती भी हैं कि कन्धा देने वाला कहीं पीठ पर ही हाथ न फेरने लग जाये। कई रिश्तों की एक्सपायरी डेट होती है। ये रिश्ते खून के भी हो सकते हैं और सामाजिक निर्वाह के भी --
तुम ही तो बोलते हो,
सुन भी रहे हो तुम ही,
तुम ही निहारते हो,
और आईना हो तुम ही,
क्या हो तुम और कौन हो ?
ये भी पता नहीं,
ना दूर हो ना पास हो,
पर हो यहीं कहीं !
@ आभासी मित्रों से जो शुभकामनाएं मिलती हैं, वो रीयल होती हैं.. ऐसा मैने महसूस किया है !
@ सही कहा फेसबुक बेशक आभासी है, लेकिन यहाँ मिलने वाले दोस्त खरे हैं !
@फेसबुक को लेकर कई मतभेद हो सकते हैं.. इतना बुरा भी नहीं है फेसबुक !
* छवि, जीवन कई बार कहानी से ज्यादा हैरान करता है और कहानी कई बार जीवन से ज्यादा विचित्र होती है !
* एक जगह देव छवि से कहता है, अपने आप को अभिव्यक्त करने का माध्यम मिल जाना बहुत सुख देता है लेखक बनना है, तो पढ़े खूब !
*ये सारी दुनिया की समस्या है, जो लोग काम नहीं कर रहे होते, वे सब से ज्यादा बिजी होते हैं और जो पहले से बिजी होते है वे अपनी पसंद का कामों के लिए समय निकाल ही लेते हैं !
*दुष्यंत जी की दो लाइनें -
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग होनी चाहिये !
चलते चलते—
मेरी नजर में ज़िंदगी का महत्वपूर्ण सबक...! हम ज़िन्दगी भर गलत दरवाजे ही खटखटाते रह जाते हैं और कोई कहीं और बंद दरवाजों के पीछे हमारे इन्तजार में पूरी उम्र गुजार देता है और हमें या तो खबर ही नहीं मिल पाती या इतनी देर हो जाती है कि तब कोई भी चीज़ मायने नहीं रखती, बहुत देर हो चुकी होती है !
माननीय सूरज प्रकाश जी की लेखनी कमाल की है। भविष्य में हमें नए प्रयोगों के साथ सूरज जी का साहित्य पढ़ने का अवसर मिलता रहे, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ सूरज प्रकाश जी को मेरा सदर नमन !
अब और अधिक कुछ कहने की जरूरत नहीं..., आगे की जानकारी के लिए आप बिना देर किए नॉट इक्वल टू लव..., मंगवायें और पढ जायें एक ही बार में ?
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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