कवितायें कहने और सुनाने की हर व्यक्ति-विशेष की अलग-अलग अदायें होती हैं। आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं कवयित्री सुश्री पूजा जी की एक कविता..., आइये देर न करते हुए पढ़ते हैं, क्योंकि युवा कवयित्री ने विशेष अंदाज में सम्प्रति कविता को रची है, इसे करीने से सजाई है ! तो 'अपनी जमीन पर' कविता पढ़ ही डालते हैं.....
अपनी जमीन पर
एक दिन
अपनी जमीन पर ही
हम उगायेंगे सपने
हाथ बढा़येंगे एक साथ
खेतों में एक साथ कंधा मिलायेंगे और देखते-देखते
एक दिन हम सब एक हो जायेंगे ।
कोई तो बतलाओ मुझे
यह खाई ही
अब तक क्यों बँटी रही इस देश में
अमीर क्यों और अमीर होता गया
और गरीब और गरीब
जनता शांत है
क्योंकि --
उसे भरोसा था इस सरकार पर
कि अब आयेंगे अच्छे दिन
हमारे घर पर भी
लगेंगे खुशी के मेले
पिता के कंधे पर लदे भार कुछ तो कम होंगे
लेकिन कुछ ना मिला इस सरकार से भी
पिछली सरकारों की तरह ।
अब
हम चुप तो बिल्कुल नहीं बैठेंगे
इसलिये एक दिन अपनी जमीन पर ही
उगा देंगे ऐसे सपने
जिससे उनके दिखाये
सभी सपने अधूरे हो जायें।
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
सुश्री पूजा |
अपनी जमीन पर
एक दिन
अपनी जमीन पर ही
हम उगायेंगे सपने
हाथ बढा़येंगे एक साथ
खेतों में एक साथ कंधा मिलायेंगे और देखते-देखते
एक दिन हम सब एक हो जायेंगे ।
कोई तो बतलाओ मुझे
यह खाई ही
अब तक क्यों बँटी रही इस देश में
अमीर क्यों और अमीर होता गया
और गरीब और गरीब
जनता शांत है
क्योंकि --
उसे भरोसा था इस सरकार पर
कि अब आयेंगे अच्छे दिन
हमारे घर पर भी
लगेंगे खुशी के मेले
पिता के कंधे पर लदे भार कुछ तो कम होंगे
लेकिन कुछ ना मिला इस सरकार से भी
पिछली सरकारों की तरह ।
अब
हम चुप तो बिल्कुल नहीं बैठेंगे
इसलिये एक दिन अपनी जमीन पर ही
उगा देंगे ऐसे सपने
जिससे उनके दिखाये
सभी सपने अधूरे हो जायें।
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
बेहतरीन कविता । वर्तमान राजनीति पर गहरी चोट करती हुई जीवन की ही सच्चाई से अवगत करती है। कथ्य और शैली भी अलहदा प्रभावित करती है। बधाई पूजा!
ReplyDeleteयह कविता उस दौर को लेकर लिखी हुई है,जब हर तरफ से जनता में गुस्सा फुट रहा हो।कविता काफी चोट करती है।समाज की बात करती है,हाँ उसी समाज में जहाँ हम रोज़ जी रहे है,बदलाव के साफ-साफ संकेत इस कविता में दिखाई दे रहे है।बधाई पूजा,ऐसे ही बेजोड़ कवितायें लिखते रहो।जिससे समाज में बदलाव होता रहे,पुनः बधाई
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