नूतन वर्ष 2019 के प्रथम माह में प्रवेश.... एकसाथ नववर्ष, मकर संक्रांति, गणतंत्र दिवस, राष्ट्रीय मतदाता दिवस और अब शहीद दिवस भी । हर माह की तरह 2019 का प्रथम माह, जो कि लेकर आई है, 'इनबॉक्स इंटरव्यू' । यह स्तम्भ 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' का नियमित मासिक स्तम्भ है ।
21वीं सदी की सबसे अमूल्य भावना पढ़ाई है और अगर आप शिक्षक हैं, तो एक बेहतर समाज व माहौल देने का हरसंभव प्रयास करते रहेंगे ! मुझे बचपन से पढ़ने में रुचि रही है, तभी तो मैंने कुल 6001 वां किताब इसी माह पढ़कर खत्म की है, लेकिन पढ़ने के साथ-साथ हमने उस पढ़ाई को अनुशासन के लिए संग्रहित रखे रहा, यह भी महत्वपूर्ण है । मैं कोशिश करता हूँ कि जितनी भी किताब पढ़ूँ, उनका कुछ प्रतिशत गुण अपने जीवन में भी लागू करूँ । कुछ प्रतिशत इसलिए, क्योंकि प्रकृति ने कुछ गुण हमें जन्मजात भी दिये हैं । आज यहाँ ऐसी बातों को इसलिए उद्धृत कर रहा हूँ, क्योंकि इस साक्षात्कार में हम जिस शख्सियत से पाठकगणों को मिलाने जा रहे हैं, वे सर्वगुण सम्पन्न हैं ।
तो आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में रू-ब-रू करा रहे हैं व इनबॉक्स इंटरव्यू में पढ़ रहे हैं, जहां हम आपसे मुलाकात कराने जा रहे हैं व 14 गझिन सवालों के सुलझे जवाब दे रही हैं.... आदरणीया लेखिका, कवयित्री और शिक्षिका डॉ. सुलक्षणा अहलावत जी ! आइये पढ़ते हैं, उनकी ज़िंदगी के बारे में हमारे अनसुलझे सवालों के साथ....
प्र.(1.)आपके कार्यों को इंटरनेट के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उ:-
लिखने के प्रति उस वक्त तक कोई रुचि नहीं थी, किन्तु शादी के बाद पति से प्रेरणा पाकर वर्ष 2014 से लेखन-कार्य शुरू की और पहली बार फेसबुक पर लिखी !
प्र.(2.)आप किस तरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ और मेरी शादी भी मध्यमवर्गीय परिवार में हुई है। पिता जी नेवी में कार्यरत थे, इसलिए घर से ही अनुशासन की सीख मिली । पिताजी से ही यह सीख पाई कि कर्म प्रधान होता है और इसलिए भी आज यह मुकाम हासिल हुई है।
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
देखिये, बतौर 'शिक्षिका' देश का भविष्य मेरे हाथ में है, क्योंकि बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं, उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी मेरे हाथों भी है। दूसरी तरफ एक लेखिका होने के नाते भी अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को जागरूक करने की जिम्मेदारी भी मेरे हाथों है । दोनों ही सूरतों में अच्छी शिक्षा और साफ-सुथरे साहित्य का सृजन कर मैं लोगों को व समाज को एक दिशा देने का प्रयास करती रहती हूँ।
प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उ:-
रुकावट और बाधाएं तो जीवन में बहुत आई। स्थायी नौकरी के लिए नौ साल से ज्यादा संघर्ष करना पड़ी। लेखन के क्षेत्र में भी अपने आप को स्थापित करने के लिए भी बहुत संघर्ष करनी पड़ी ।
प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:-
लेखन कार्य में आर्थिक दिक्कत तो आज भी है, यही वजह है कि तबतक मेरी कोई भी किताब प्रकाशित नहीं हुई थी, किन्तु मेरी मेहनत रंग आई और अब 'मन का के ठिकाना' मेरी हरियाणवी काव्य-संग्रह पाठकों के लिए ला पाई हूँ ।
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
मुझे शिक्षिका बनाना तो मेरे पिताजी का सपना था और लेखिका अपने पति की प्रेरणा से बनी। मेरे दोनों कार्यों से मेरे दोनों परिवार बहुत खुश हैं।
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
आप सभी मेरे सहयोगी हैं, क्योंकि एक लेखिका अपने पाठकों के बगैर कुछ भी नहीं है, परंतु लेखन कार्य में मेरे सहयोगी मेरे पति हैं, यदि वो नहीं होते, तो आज मैं एक लेखिका के रूप में भी नहीं होती।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:-
मैं शिक्षिका एवं लेखिका दोनों के तौर पर अपनी संस्कृति से जुड़ी हुई हूँ। मेरी प्रयास यह रहेगी कि मैं अपनी संस्कृति को जीवित रखूँ और जन-जन तक इसे पहुँचाऊँ । मेरी रचनाओं में आपको भारतीय और हरियाणवी संस्कृति की झलक तथा अपनी मिट्टी से सौंधी खुशबू जरूर आएगी।
प्र.(9.)भ्रष्टा चारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
एक शिक्षिका के तौर पर बच्चों में राष्ट्रहित की भावना को भरकर, नैतिक मूल्यों से अवगत करवाकर, संस्कृति और सभ्यता के प्रति उनमें लगाव पैदा करके और एक लेखिका होने के नाते अपनी लेखनी से लोगों को जागरूक कर भ्रष्टाचारमुक्त राष्ट्र के निर्माण का प्रयास लिए सतत प्रयत्नशील है।
प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उ:-
आर्थिक सहयोग तो नहीं मिला, परन्तु अनेक समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और वेबसाइट्स के संपादकों का सहयोग मिला । अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में और समाज को दिशा देने में ऐसे सहयोग भी मेरे लिए अनमोल हैं ।
प्र.(11.)आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
शिक्षा के क्षेत्र में कहूँ तो अधिकारियों का पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाती। अगर लेखिका के तौर पर कहूँ, तो एक बात से बहुत कष्ट पहुंचती है कि जब मेरी ही रचना किसी अन्य के नाम से मेरे पास आती है। उस वक़्त दिल टूट जाता है कि हमें एक नाम ही तो मिलता है, वो भी हमसे छीना जा रहा है।
प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
जी ! अभी हाल फिलहाल ही मेरी हरियाणवी काव्य संग्रह प्रकाशित हुई है, तो लगभग 60 से अधिक समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, ब्लॉग्स और वेबसाइट पर मेरी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जो अब भी नित्य नूतन होती रहती हैं।
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
@ 13 नवंबर 2016 को शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने पर शिक्षा दीक्षा शिरोमणी सम्मान - 2016 प्राप्त,
@ 01 जनवरी 2017 को हरियाणवी लेखन के लिए "बोल हरियाणा उत्सव - 2017" में माननीय शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार श्री राम बिलास शर्मा जी द्वारा सम्मानित,
@ 22 जनवरी 2017 को उन्नत हरियाणा फाउंडेशन (रजि) द्वारा "उन्नत हरियाणा सम्मान" से नवाजी गई,
@ 02 फरवरी 2017 को इन्द्रधनुष साहित्यिक संस्था, धामपुर (उत्तर प्रदेश) द्वारा "काव्य मर्मज्ञ सम्मान" से सम्मानित,
@ 08 फरवरी 2017 को शैली साहित्यिक मंच, रोहतक (रजि) द्वारा "साहित्य-सोम" सम्मान से सम्मानित,
@ 25 फरवरी 2017 को एआर फाउंडेशन और निवेदिता फाउंडेशन द्वारा "ह्यूमैनिटी अचीवर्स अवार्ड - 2017" से सम्मानित,
@ 08 मार्च 2017 को महिला दिवस पर "प्रेरणा समिति हरियाणा" के मंच पर कुरुक्षेत्र में उपायुक्त आदरणीया सुमेधा कटारिया जी द्वारा "नारी सशक्तिकरण सम्मान" से सम्मानित,
@ 08 मार्च 2017 को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर "मेरा स्वर्णिम हिन्द" संस्था के मंच पर गाँव- रधाना (जिला-जींद) में पुलिस अधीक्षक आदरणीय शशांक आंनद जी द्वारा शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों के लिये सम्मानित,
@ 08 मार्च 2017 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर "गहमर वेलफेयर सोसाइटी" गहमर उत्तर प्रदेश द्वारा शिक्षा एवं साहित्य के लिए "तेजस्विनी सम्मान - 2017" से नवाजी गई,
@ 11 मार्च 2017 को नई दिल्ली में आगमन साहित्यिक संस्था द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर "प्राइड ऑफ़ वीमेन अवार्ड - 2017" से सम्मानित,
@ जनवरी 2017 में साहित्यपिडिया डॉट कॉम वेबसाइट द्वारा आयोजित साहित्यपिडिया काव्य प्रतियोगिता में सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुई,
@ 14 मई 2017 को मातृ दिवस के अवसर पर "प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति" द्वारा करनाल में महाराणा प्रताप को समर्पित "नेशन प्राइड अवार्ड" फ़िल्म अभिनेता आदरणीय रज़ा मुराद जी के हाथों ससम्मान प्राप्त,
@ 14 मई 2017 को मातृ दिवस के अवसर पर "आयरन लेडी संस्था" द्वारा रोहतक में भाजपा के करनाल से सांसद आदरणीय अश्वनी चोपड़ा जी की धर्मपत्नी श्रीमती किरण चोपड़ा के हाथों "आयरन लेडी अवार्ड"प्राप्त,
@ 28 मई 2017 को हरियाणा प्रेस क्लब द्वारा कुरुक्षेत्र में आयोजित हरियाणा स्वर्ण जयंती सम्मान समारोह में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री, हरियाणा सरकार माननीय कृष्ण कुमार बेदी जी के हाथों शिक्षा साहित्य अवार्ड प्राप्त,
@ 02 जून 2017 को बेटियाँ देश की शान फाउंडेशन द्वारा चरखी दादरी में शिक्षा व कला रत्न सम्मान से सम्मानित,
@ 04 जून 2017 को गज केसरी युग समाचार पत्र के विमोचन के अवसर पर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में सत्यम ग्रुप द्वारा सम्मानित ।
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:- मेरी कर्मभूमि मेवात हरियाणा है। अपने समाज से एक ही अपील है कि वो शिक्षा का व्यापार ना होने दें और अच्छा साहित्य पढ़ें तथा अच्छे साहित्यकारों को प्रोत्साहित करते रहें।
21वीं सदी की सबसे अमूल्य भावना पढ़ाई है और अगर आप शिक्षक हैं, तो एक बेहतर समाज व माहौल देने का हरसंभव प्रयास करते रहेंगे ! मुझे बचपन से पढ़ने में रुचि रही है, तभी तो मैंने कुल 6001 वां किताब इसी माह पढ़कर खत्म की है, लेकिन पढ़ने के साथ-साथ हमने उस पढ़ाई को अनुशासन के लिए संग्रहित रखे रहा, यह भी महत्वपूर्ण है । मैं कोशिश करता हूँ कि जितनी भी किताब पढ़ूँ, उनका कुछ प्रतिशत गुण अपने जीवन में भी लागू करूँ । कुछ प्रतिशत इसलिए, क्योंकि प्रकृति ने कुछ गुण हमें जन्मजात भी दिये हैं । आज यहाँ ऐसी बातों को इसलिए उद्धृत कर रहा हूँ, क्योंकि इस साक्षात्कार में हम जिस शख्सियत से पाठकगणों को मिलाने जा रहे हैं, वे सर्वगुण सम्पन्न हैं ।
तो आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में रू-ब-रू करा रहे हैं व इनबॉक्स इंटरव्यू में पढ़ रहे हैं, जहां हम आपसे मुलाकात कराने जा रहे हैं व 14 गझिन सवालों के सुलझे जवाब दे रही हैं.... आदरणीया लेखिका, कवयित्री और शिक्षिका डॉ. सुलक्षणा अहलावत जी ! आइये पढ़ते हैं, उनकी ज़िंदगी के बारे में हमारे अनसुलझे सवालों के साथ....
डॉ. सुलक्षणा अहलावत |
प्र.(1.)आपके कार्यों को इंटरनेट के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उ:-
लिखने के प्रति उस वक्त तक कोई रुचि नहीं थी, किन्तु शादी के बाद पति से प्रेरणा पाकर वर्ष 2014 से लेखन-कार्य शुरू की और पहली बार फेसबुक पर लिखी !
प्र.(2.)आप किस तरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ और मेरी शादी भी मध्यमवर्गीय परिवार में हुई है। पिता जी नेवी में कार्यरत थे, इसलिए घर से ही अनुशासन की सीख मिली । पिताजी से ही यह सीख पाई कि कर्म प्रधान होता है और इसलिए भी आज यह मुकाम हासिल हुई है।
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
देखिये, बतौर 'शिक्षिका' देश का भविष्य मेरे हाथ में है, क्योंकि बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं, उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी मेरे हाथों भी है। दूसरी तरफ एक लेखिका होने के नाते भी अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को जागरूक करने की जिम्मेदारी भी मेरे हाथों है । दोनों ही सूरतों में अच्छी शिक्षा और साफ-सुथरे साहित्य का सृजन कर मैं लोगों को व समाज को एक दिशा देने का प्रयास करती रहती हूँ।
प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं
उ:-
रुकावट और बाधाएं तो जीवन में बहुत आई। स्थायी नौकरी के लिए नौ साल से ज्यादा संघर्ष करना पड़ी। लेखन के क्षेत्र में भी अपने आप को स्थापित करने के लिए भी बहुत संघर्ष करनी पड़ी ।
प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:-
लेखन कार्य में आर्थिक दिक्कत तो आज भी है, यही वजह है कि तबतक मेरी कोई भी किताब प्रकाशित नहीं हुई थी, किन्तु मेरी मेहनत रंग आई और अब 'मन का के ठिकाना' मेरी हरियाणवी काव्य-संग्रह पाठकों के लिए ला पाई हूँ ।
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
मुझे शिक्षिका बनाना तो मेरे पिताजी का सपना था और लेखिका अपने पति की प्रेरणा से बनी। मेरे दोनों कार्यों से मेरे दोनों परिवार बहुत खुश हैं।
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
आप सभी मेरे सहयोगी हैं, क्योंकि एक लेखिका अपने पाठकों के बगैर कुछ भी नहीं है, परंतु लेखन कार्य में मेरे सहयोगी मेरे पति हैं, यदि वो नहीं होते, तो आज मैं एक लेखिका के रूप में भी नहीं होती।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:-
मैं शिक्षिका एवं लेखिका दोनों के तौर पर अपनी संस्कृति से जुड़ी हुई हूँ। मेरी प्रयास यह रहेगी कि मैं अपनी संस्कृति को जीवित रखूँ और जन-जन तक इसे पहुँचाऊँ । मेरी रचनाओं में आपको भारतीय और हरियाणवी संस्कृति की झलक तथा अपनी मिट्टी से सौंधी खुशबू जरूर आएगी।
प्र.(9.)भ्रष्टा
उ:-
एक शिक्षिका के तौर पर बच्चों में राष्ट्रहित की भावना को भरकर, नैतिक मूल्यों से अवगत करवाकर, संस्कृति और सभ्यता के प्रति उनमें लगाव पैदा करके और एक लेखिका होने के नाते अपनी लेखनी से लोगों को जागरूक कर भ्रष्टाचारमुक्त
प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उ:-
आर्थिक सहयोग तो नहीं मिला, परन्तु अनेक समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और वेबसाइट्स के संपादकों का सहयोग मिला । अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में और समाज को दिशा देने में ऐसे सहयोग भी मेरे लिए अनमोल हैं ।
प्र.(11.)आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
शिक्षा के क्षेत्र में कहूँ तो अधिकारियों का पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाती। अगर लेखिका के तौर पर कहूँ, तो एक बात से बहुत कष्ट पहुंचती है कि जब मेरी ही रचना किसी अन्य के नाम से मेरे पास आती है। उस वक़्त दिल टूट जाता है कि हमें एक नाम ही तो मिलता है, वो भी हमसे छीना जा रहा है।
प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
जी ! अभी हाल फिलहाल ही मेरी हरियाणवी काव्य संग्रह प्रकाशित हुई है, तो लगभग 60 से अधिक समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, ब्लॉग्स और वेबसाइट पर मेरी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जो अब भी नित्य नूतन होती रहती हैं।
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
@ 13 नवंबर 2016 को शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने पर शिक्षा दीक्षा शिरोमणी सम्मान - 2016 प्राप्त,
@ 01 जनवरी 2017 को हरियाणवी लेखन के लिए "बोल हरियाणा उत्सव - 2017" में माननीय शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार श्री राम बिलास शर्मा जी द्वारा सम्मानित,
@ 22 जनवरी 2017 को उन्नत हरियाणा फाउंडेशन (रजि) द्वारा "उन्नत हरियाणा सम्मान" से नवाजी गई,
@ 02 फरवरी 2017 को इन्द्रधनुष साहित्यिक संस्था, धामपुर (उत्तर प्रदेश) द्वारा "काव्य मर्मज्ञ सम्मान" से सम्मानित,
@ 08 फरवरी 2017 को शैली साहित्यिक मंच, रोहतक (रजि) द्वारा "साहित्य-सोम" सम्मान से सम्मानित,
@ 25 फरवरी 2017 को एआर फाउंडेशन और निवेदिता फाउंडेशन द्वारा "ह्यूमैनिटी अचीवर्स अवार्ड - 2017" से सम्मानित,
@ 08 मार्च 2017 को महिला दिवस पर "प्रेरणा समिति हरियाणा" के मंच पर कुरुक्षेत्र में उपायुक्त आदरणीया सुमेधा कटारिया जी द्वारा "नारी सशक्तिकरण सम्मान" से सम्मानित,
@ 08 मार्च 2017 को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर "मेरा स्वर्णिम हिन्द" संस्था के मंच पर गाँव- रधाना (जिला-जींद) में पुलिस अधीक्षक आदरणीय शशांक आंनद जी द्वारा शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों के लिये सम्मानित,
@ 08 मार्च 2017 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर "गहमर वेलफेयर सोसाइटी" गहमर उत्तर प्रदेश द्वारा शिक्षा एवं साहित्य के लिए "तेजस्विनी सम्मान - 2017" से नवाजी गई,
@ 11 मार्च 2017 को नई दिल्ली में आगमन साहित्यिक संस्था द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर "प्राइड ऑफ़ वीमेन अवार्ड - 2017" से सम्मानित,
@ जनवरी 2017 में साहित्यपिडिया डॉट कॉम वेबसाइट द्वारा आयोजित साहित्यपिडिया काव्य प्रतियोगिता में सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुई,
@ 14 मई 2017 को मातृ दिवस के अवसर पर "प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति" द्वारा करनाल में महाराणा प्रताप को समर्पित "नेशन प्राइड अवार्ड" फ़िल्म अभिनेता आदरणीय रज़ा मुराद जी के हाथों ससम्मान प्राप्त,
@ 14 मई 2017 को मातृ दिवस के अवसर पर "आयरन लेडी संस्था" द्वारा रोहतक में भाजपा के करनाल से सांसद आदरणीय अश्वनी चोपड़ा जी की धर्मपत्नी श्रीमती किरण चोपड़ा के हाथों "आयरन लेडी अवार्ड"प्राप्त,
@ 28 मई 2017 को हरियाणा प्रेस क्लब द्वारा कुरुक्षेत्र में आयोजित हरियाणा स्वर्ण जयंती सम्मान समारोह में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री, हरियाणा सरकार माननीय कृष्ण कुमार बेदी जी के हाथों शिक्षा साहित्य अवार्ड प्राप्त,
@ 02 जून 2017 को बेटियाँ देश की शान फाउंडेशन द्वारा चरखी दादरी में शिक्षा व कला रत्न सम्मान से सम्मानित,
@ 04 जून 2017 को गज केसरी युग समाचार पत्र के विमोचन के अवसर पर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में सत्यम ग्रुप द्वारा सम्मानित ।
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:- मेरी कर्मभूमि मेवात हरियाणा है। अपने समाज से एक ही अपील है कि वो शिक्षा का व्यापार ना होने दें और अच्छा साहित्य पढ़ें तथा अच्छे साहित्यकारों को प्रोत्साहित करते रहें।
"आप यूं ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !
नमस्कार दोस्तों !
मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !
हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com
शानदार !
ReplyDeleteउम्दा सवाल व बेहतरीन जवाब !
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