हर माह की भाँति इस माह भी 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' के लिए 'इनबॉक्स इंटरव्यू' एक उत्सव की तरह अभिनंदन लिए प्रस्तुत है । जब 'अभिनंदन' शब्द की बात आई, तो वायुसेना के विंग कमांडर श्री अभिनंदन वर्धमान का जिक्र स्वत: हो उठता है, जो अभी पाकिस्तानी सेना के कैद में है और जिसकी रिहाई के लिए सम्पूर्ण देश उमड़ पड़ा है । फरवरी 2019 के अंतिम सप्ताह में व भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने जिसतरह से पुलवामा में सीआरपीएफ से लदे बस में फिदाइन हमला किया और हमारे 40 से अधिक अर्द्धसैनिक बल वीरगति को प्राप्त किये, यह तो देश की सहनशक्ति से बाहर की बात हो गई ! बावजूद हमें युद्ध नहीं, शांति चाहिए ।
हिंदी की महान साहित्यकार कृष्णा दी (कृष्णा सोबती), महान साहित्यालोचक 'नाम बड़े सिंह' यानी नामवर सिंह आदि साहित्यिक-शिखरों के जाने से हिंदी की जो अपूरणीय क्षति हुई, उनकी भरपाई 21वीं सदी में तो संभव नहीं है ! इसी माह हमने 'प्रेम दिवस' (14 फरवरी) भी मनाया । बिहार में जन्म लेकर और जेएनयू से उच्च शिक्षा प्राप्त कर 'नीली आँखों वाली' से जन्म-जन्मांतर के लिए प्रेमपाश में बंध और बिंधकर विदेश में जा बसे श्रीमान राकेश शंकर भारती ने भारतीय गरीबी में पलकर जिसतरह से संघर्ष दर संघर्ष आगे बढ़ते हुए यूक्रेन रहकर राष्ट्रभाषा 'हिन्दी' की सेवा कर रहे हैं, यह कृत्य सत्यश: अभिनंदन करने योग्य है । श्री भारती की यह स्तुत्य और महती प्रयास हिंदी साहित्य में 'माईल स्टोन' है ।
आइये, 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में श्री राकेश शंकर भारती से 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' द्वारा पूछे गए 14 गझिन सवालों के बिल्कुल सरल जवाब को हम आत्मसात करते हैं, तो लीजिए इसे पढ़ ही डालते हैं......
प्र.(1.)आपके कार्यों को इंटरनेट / सोशल मीडिया / प्रिंट मीडिया के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उ:-
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली से जापानी भाषा और साहित्य में बी.ए. और एम. ए. किया है और यूक्रेन रूसी भाषा सीखने आया और यहीं बस गया। मैं कहानी और उपन्यास लिखता हूँ। जो चीज़ मुझे पसंद नहीं है और जिससे मेरे दिल में उदगार होता रहता है, तो इसे मैं शब्दों में लिखता हूँ।
प्र.(2.) आप किस तरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मैं एक साधारण निम्नवर्गीय किसान परिवार से आता हूँ। जीवन में जितने संघर्ष, खाने-पीने के अभाव, बचपन में स्कूल की किताबें ख़रीदने के लिए तड़पना, समाज के द्वारा गरीबी के नाम पर प्रताड़ित करना, जिसे मैं अभी भी नहीं भूल सका हूँ, यही मेरी रचनाओं की प्रेरणा के स्रोत हैं और इससे मुझे शक्ति भी मिलती है।
प्र.(3.) आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आम लोग किस तरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
मेरे दिल के अंदर जो परेशान आत्मा निवास कर रही है, उसे ही मैं शब्दों के माध्यम से व्यक्त करता हूँ और इसे समाज के एक प्रतिशत लोग भी पढ़ लें, तो समाज में ज़रूर थोड़ी-बहुत तब्दीली आयेगी और यही तब्दीली मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी होगी।
प्र.(4.) आपके कार्य में आये जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उ:-
जब तक किसी ढंग के प्रकाशक से किताब प्रकाशित नहीं हो और ढंग से प्रचार-प्रसार नहीं हो, तो अच्छी किताब भी लोग तक नहीं पहुँच पाती है। किताब छपवाना एक बहुत टेढ़ा काम है।
प्र.(5.) अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:-
मेरे दिल में जो परेशान आत्मा निवास करती है, वह हर हाल में भूखे-नंगे रहे, तब भी बाहर निकलेगी, इससे मैं पार नहीं पा सकता।
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
अपनी ज़िंदगी के संघर्ष ने मुझे लिखना सिखा दिया। वे समझते हैं कि अगर इस क्षेत्र में पैसा नहीं हो तो बेकार की ज़िंदगी बर्बाद नहीं करनी चाहिए, लेकिन इस कार्य में मेरे कुछ दोस्तों और पत्नी का समर्थन मिल रहा है।
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
मेरी पत्नी और कुछ गिने-चुने लेखक मित्र।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:-
अपने समाज में सुधार की बहुत जरूरत है, पाँच प्रतिशत लोग भी साहित्य से जुड़ जाये, तो इससे हमारे समाज पर बहुत असर पड़ेगा और ऊँच-नीच और भेदभाव में बहुत हद तक कमी आ जायेगी।
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
अगर लोग साहित्य और शिक्षा से जुड़ें और समाज में जागरूकता आ जाये तो इन सारी समस्याओं का समाधान अपने आप निकल जायेगा।
प्र.(10.) इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उ:-
अभी तक तो नहीं।
प्र.(11.) आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
अभी तक तो नहीं ।
प्र.(12.) कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
अभी जल्द ही रश्मि प्रकाशन, लखनऊ, से दिल्ली के रेड लाइट एरिया पर मेरी किताब- "कोठा नंबर-64" आ रही है।
प्र.(13.) इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
अभी तक तो नहीं ।
प्र.(14.) आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
अभी मैं अपनी पत्नी और दो नन्हें बच्चों के साथ यूक्रेन में रह रहा हूँ और साहित्य-सृजन में सक्रिय हूँ। अपनी भाषा, साहित्य, समाज के लिए विदेश में रहकर भी काम कर रहा हूँ। हम कहीं भी रहें, विदेश में और देश में भी रहकर अपनी पहचान, भाषा, समाज और देश के नाम रौशन करते रहें।
हिंदी की महान साहित्यकार कृष्णा दी (कृष्णा सोबती), महान साहित्यालोचक 'नाम बड़े सिंह' यानी नामवर सिंह आदि साहित्यिक-शिखरों के जाने से हिंदी की जो अपूरणीय क्षति हुई, उनकी भरपाई 21वीं सदी में तो संभव नहीं है ! इसी माह हमने 'प्रेम दिवस' (14 फरवरी) भी मनाया । बिहार में जन्म लेकर और जेएनयू से उच्च शिक्षा प्राप्त कर 'नीली आँखों वाली' से जन्म-जन्मांतर के लिए प्रेमपाश में बंध और बिंधकर विदेश में जा बसे श्रीमान राकेश शंकर भारती ने भारतीय गरीबी में पलकर जिसतरह से संघर्ष दर संघर्ष आगे बढ़ते हुए यूक्रेन रहकर राष्ट्रभाषा 'हिन्दी' की सेवा कर रहे हैं, यह कृत्य सत्यश: अभिनंदन करने योग्य है । श्री भारती की यह स्तुत्य और महती प्रयास हिंदी साहित्य में 'माईल स्टोन' है ।
आइये, 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में श्री राकेश शंकर भारती से 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' द्वारा पूछे गए 14 गझिन सवालों के बिल्कुल सरल जवाब को हम आत्मसात करते हैं, तो लीजिए इसे पढ़ ही डालते हैं......
श्रीमान राकेश शंकर भारती |
प्र.(1.)आपके कार्यों को इंटरनेट / सोशल मीडिया / प्रिंट मीडिया के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उ:-
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली से जापानी भाषा और साहित्य में बी.ए. और एम. ए. किया है और यूक्रेन रूसी भाषा सीखने आया और यहीं बस गया। मैं कहानी और उपन्यास लिखता हूँ। जो चीज़ मुझे पसंद नहीं है और जिससे मेरे दिल में उदगार होता रहता है, तो इसे मैं शब्दों में लिखता हूँ।
प्र.(2.) आप किस तरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मैं एक साधारण निम्नवर्गीय किसान परिवार से आता हूँ। जीवन में जितने संघर्ष, खाने-पीने के अभाव, बचपन में स्कूल की किताबें ख़रीदने के लिए तड़पना, समाज के द्वारा गरीबी के नाम पर प्रताड़ित करना, जिसे मैं अभी भी नहीं भूल सका हूँ, यही मेरी रचनाओं की प्रेरणा के स्रोत हैं और इससे मुझे शक्ति भी मिलती है।
प्र.(3.) आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आम लोग किस तरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
मेरे दिल के अंदर जो परेशान आत्मा निवास कर रही है, उसे ही मैं शब्दों के माध्यम से व्यक्त करता हूँ और इसे समाज के एक प्रतिशत लोग भी पढ़ लें, तो समाज में ज़रूर थोड़ी-बहुत तब्दीली आयेगी और यही तब्दीली मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी होगी।
प्र.(4.) आपके कार्य में आये जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उ:-
जब तक किसी ढंग के प्रकाशक से किताब प्रकाशित नहीं हो और ढंग से प्रचार-प्रसार नहीं हो, तो अच्छी किताब भी लोग तक नहीं पहुँच पाती है। किताब छपवाना एक बहुत टेढ़ा काम है।
प्र.(5.) अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:-
मेरे दिल में जो परेशान आत्मा निवास करती है, वह हर हाल में भूखे-नंगे रहे, तब भी बाहर निकलेगी, इससे मैं पार नहीं पा सकता।
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
अपनी ज़िंदगी के संघर्ष ने मुझे लिखना सिखा दिया। वे समझते हैं कि अगर इस क्षेत्र में पैसा नहीं हो तो बेकार की ज़िंदगी बर्बाद नहीं करनी चाहिए, लेकिन इस कार्य में मेरे कुछ दोस्तों और पत्नी का समर्थन मिल रहा है।
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
मेरी पत्नी और कुछ गिने-चुने लेखक मित्र।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:-
अपने समाज में सुधार की बहुत जरूरत है, पाँच प्रतिशत लोग भी साहित्य से जुड़ जाये, तो इससे हमारे समाज पर बहुत असर पड़ेगा और ऊँच-नीच और भेदभाव में बहुत हद तक कमी आ जायेगी।
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
अगर लोग साहित्य और शिक्षा से जुड़ें और समाज में जागरूकता आ जाये तो इन सारी समस्याओं का समाधान अपने आप निकल जायेगा।
प्र.(10.) इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उ:-
अभी तक तो नहीं।
प्र.(11.) आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
अभी तक तो नहीं ।
प्र.(12.) कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
अभी जल्द ही रश्मि प्रकाशन, लखनऊ, से दिल्ली के रेड लाइट एरिया पर मेरी किताब- "कोठा नंबर-64" आ रही है।
प्र.(13.) इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
अभी तक तो नहीं ।
प्र.(14.) आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
अभी मैं अपनी पत्नी और दो नन्हें बच्चों के साथ यूक्रेन में रह रहा हूँ और साहित्य-सृजन में सक्रिय हूँ। अपनी भाषा, साहित्य, समाज के लिए विदेश में रहकर भी काम कर रहा हूँ। हम कहीं भी रहें, विदेश में और देश में भी रहकर अपनी पहचान, भाषा, समाज और देश के नाम रौशन करते रहें।
"आप यूं ही हँसते रहें, मुस्कराते रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !
नमस्कार दोस्तों !
मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !
हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com
खूबसूरत साक्षात्कार ।
ReplyDeleteआभार व्यक्त करता हूँ
ReplyDeleteNice Interview. As long as I know Rakesh, he is very talented and meritorious student since school time. I keep my fingers crossed for his success in future. Best of luck Rakesh.
ReplyDeleteराकेश शंकर भारती एक समर्थ और उत्साही युवा लेखक हैं जो युक्रेन में रहकर हिंदी की सेवा कर रहे हैं। इनसे भविष्य में बहुत आशाएं है। यहां उनसे लिया गया इंटरव्यू अच्छा लगा।
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