आइये मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं, देवता और मानव के बीच प्रेम-विवाह का प्रतीक है 'महाशिवरात्रि' ---
महाशिवरात्रि हिन्दू आस्था का महान पर्व तो है ही, साथ ही देवता और मानव के बीच प्रेम-संबंध, फिर विवाह होने के प्रतीकार्थ पर्व भी है । हिमालय व हिमाचल नरेश की पुत्री पार्वती तो मानवी थी, किंतु इनसे महादेव शंकर के बीच जब प्रेम-संबंध प्रगाढ़ हुई, तो पार्वती की माँ मैनावती की अनिच्छा के बावजूद पार्वती से भगवान शिव की शादी सम्पन्न हो पाई । इसी शादी को महाशिवरात्रि कहते हैं । हिन्दू धर्म में इस महापर्व के बाद से ही नर-नारी की शादी सम्पादित होती आ रही है । इस दिन कुंभ स्नान की अंतिम तिथि भी निर्धारित है, जो कि मकर संक्रांति से आरम्भ हुई थी । देवी-देवता से मानव-मानवी के बीच शादी की यह पहली ऐतिहासिक घटना है । बाद में देवी गंगा से हस्तिनापुर के राजा शांतनु की शादी, तो सूर्यदेव से राजकुमारी कुंती के प्रेम-संबंध और फिर संतानोत्पत्ति भी हुई ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
महाशिवरात्रि हिन्दू आस्था का महान पर्व तो है ही, साथ ही देवता और मानव के बीच प्रेम-संबंध, फिर विवाह होने के प्रतीकार्थ पर्व भी है । हिमालय व हिमाचल नरेश की पुत्री पार्वती तो मानवी थी, किंतु इनसे महादेव शंकर के बीच जब प्रेम-संबंध प्रगाढ़ हुई, तो पार्वती की माँ मैनावती की अनिच्छा के बावजूद पार्वती से भगवान शिव की शादी सम्पन्न हो पाई । इसी शादी को महाशिवरात्रि कहते हैं । हिन्दू धर्म में इस महापर्व के बाद से ही नर-नारी की शादी सम्पादित होती आ रही है । इस दिन कुंभ स्नान की अंतिम तिथि भी निर्धारित है, जो कि मकर संक्रांति से आरम्भ हुई थी । देवी-देवता से मानव-मानवी के बीच शादी की यह पहली ऐतिहासिक घटना है । बाद में देवी गंगा से हस्तिनापुर के राजा शांतनु की शादी, तो सूर्यदेव से राजकुमारी कुंती के प्रेम-संबंध और फिर संतानोत्पत्ति भी हुई ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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