कवितायें ज़िंदगी की हक़ीक़त से हमें रूबरू कराती है, लेकिन समय के साथ कवितायें लिखने व कहने की कला भी परिवर्तित हुई है, परंतु आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, दिल को छूती कवितायें...,जो हैं तो छोटी-छोटी, लेकिन बड़ी बात कह जाती है...
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'गरीबी' दर्द देती ही है --
कभी 'भूखे' रखकर,
तो कभी कुछ और देकर ।
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'गरीबी' प्यार भी देती है,
'अपमान' भी देती है ।
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दुःख क्या होता है,
यह उन गरीबों से पूछिये --
जिनके पास खाने के लिए न तो खाना,
और पीने के लिए न तो पानी है ।
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प्यार करने के लिए 'दिल' बड़ी होनी चाहिए,
'अमीर व गरीब' होना तो अपने-अपने हाथ में हैं।
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अमीर कभी 'गरीब' नहीं होते,
यदि होते --
तो वो 'अमीर' ही क्यों होते ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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'गरीबी' दर्द देती ही है --
कभी 'भूखे' रखकर,
तो कभी कुछ और देकर ।
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'गरीबी' प्यार भी देती है,
'अपमान' भी देती है ।
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दुःख क्या होता है,
यह उन गरीबों से पूछिये --
जिनके पास खाने के लिए न तो खाना,
और पीने के लिए न तो पानी है ।
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प्यार करने के लिए 'दिल' बड़ी होनी चाहिए,
'अमीर व गरीब' होना तो अपने-अपने हाथ में हैं।
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अमीर कभी 'गरीब' नहीं होते,
यदि होते --
तो वो 'अमीर' ही क्यों होते ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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