मैं जितनी भी किताबें पढ़ता हूँ कोशिश रहती है कि उस किताब के लेखक तक यह बात पहुँचा पाऊँ कि आपकी किताब मुझे कैसी लगी ? चूँकि बचपन से जिस माहौल में रहा हूँ, सच से यारी-सी हो गयी है, इसलिए कभी भी झूठी प्रशंसा हो नहीं पाती है, जिसके कारण कुछ लेखक मित्रों से मेरी यारी बन नहीं पाती है, लेकिन कुछ लेखक मित्रों को मेरी यह कला बेहद पसंद आती है व उनसे इतनी अच्छी दोस्ती बन गयी है कि यह दोस्ती अपनापन दे आती है। आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं महात्मा गाँधीजी की Autobiography : 'The Story Of My Experiment With Truth' की लघु प्रेरक समीक्षा ---
महात्मा गांधीजी की Autobiography मैं कितनी ही बार पढ़ चुका हूँ और हरबार जब मैं इस किताब को पढ़ता हूँ, तो पुरानी बातों को भी नई तरीके से जानता हूँ। यह किताब पूर्णतः सच से प्रेरित है । मुझे ऐसा लगता है कि हर भारतीय को एक बार यह पुस्तक जरूर पढ़ना चाहिए ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
महात्मा गांधीजी की Autobiography मैं कितनी ही बार पढ़ चुका हूँ और हरबार जब मैं इस किताब को पढ़ता हूँ, तो पुरानी बातों को भी नई तरीके से जानता हूँ। यह किताब पूर्णतः सच से प्रेरित है । मुझे ऐसा लगता है कि हर भारतीय को एक बार यह पुस्तक जरूर पढ़ना चाहिए ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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