अगस्त माह एकतरफ पहले 'परमाणु विस्फोट' की भयावहता के कारण कुख्यात है, तो भारतीय स्वतंत्रता व स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर प्रतिष्ठापित भी हैं । हमारे सुधी पाठकों के लिए चर्चित अर्द्धसाप्ताहिकी 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' में प्रतिमाह बहुचर्चित कॉलम 'इनबॉक्स इंटरव्यू' कई वर्षों से प्रकाशित व प्रसारित होती आयी हैं, इसी कड़ी में माह-अगस्त, 2019 हेतु 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' लेकर आई है, युवा लेखिका श्रीमती सुरभि सिंघल के विचारों को ! अभी तक 2 चर्चित पुस्तकों की लेखिका सुरभि जी जिस भाँति से 14 गझिन प्रश्नों के बड़ी सहजता से उत्तर दी हैं, क़ाबिलेगौर करनेवाली है । "वापसी इम्पॉसिबल" नामक बेस्ट सेलर पुस्तक की लेखिका श्रीमती सिंघल के साक्षात्कार से हम रूबरू होते हैं ! तो आइये, इसे हम पढ़ ही डालते हैं....
प्र.(1.)आपके कार्यों को इंटरनेट, सोशल मीडिया व प्रिंट मीडिया के माध्यम से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उ:-
पुस्तकों को लिखकर, अपने लेखों को सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों (फेसबुक, ट्वीटर, ब्लॉग इत्यादि) के माध्यम से प्रस्तुत कर नारी मुक्ति , नारी के प्रति सम्मान भाव व समानता के एजेंडे पर अलख जगाने का कार्य कर रही हूँ।
प्र.(2.) आप किस तरह की पृष्ठभूमि से आई हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाई हैं ?
उ:-
मैं उ० प्र० के एक छोटे से कस्बे धनौरा से हूँ । संयुक्त परिवार में नारी की दशा के अवलोकन, पिता की भूमिका और गुरूजनों के मार्गदर्शन ने मुझे प्रेरित की, जिनके सापेक्षतः ही नारीशक्ति, नारीजन्य जागरण आदि को छोटे शहरों तक प्रभावशाली तरीके से प्रसारित करा सकी, क्योंकि लोगों में एतदर्थ जागरूकता पैदा करना आवश्यक ही नहीं, अत्यावश्यक है।
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
लेखन अगर प्रभावशाली हो तो लोग पढ़ते-पढ़ते ही सुकृति पर विश्वास करने लग जाते हैं।
प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उ:-
महिला होना, छोटे शहर से होना, अंग्रेजियत से दूरी रखना, कम उम्र का होना और संसाधनों का अभाव... ऐसे मुख्य अड़चनें हैं, जिनसे रूबरू होनी पड़ी है !
प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:-
आर्थिक दिक्कत तो आई ही, क्योंकि अपना पेट काटकर किताबों को प्रकाशित करवाई। सोशल मीडिया पर सक्रियता भी तो स्वयं के अर्थ और स्वसमय के व्यय पर ही टिकी है।
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
नारी होने के कारण, नारीजन्य कष्टों को समझना ज्यादा ही आसान है । जहाँ परिवार ने भी मुझे सहयोग प्रदान करने में आनाकानी की। फिर भी कुछ तो किया, परंतु उसकी प्रशंसा करने से गाहे-बगाहे बचती रही !
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
खुद ही जुतना पड़ा ! सहायता करने के बजाय लोग हतोत्साहित करने में ज्यादा ही सक्रिय रहे। बाद में, मदद के लिए कुछ हाथ आगे आए भी, तो उनके इरादे नेक नहीं थे, यह बिल्कुल संदेहास्पद लगे ! कार्य की गुणवत्ता के बजाय, खुद के नारी होने के कारण उनका ध्येय कुछ और सोच लिए था !
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:-
मेरी कार्य से भारतीय संस्कृति का पुनरुत्थान होने में मदद मिलेगी, क्योंकि मेरे लेखन-कार्य से जहां नारी-पुरूष के बीच समत्व और समान अधिकार की बात पनपेगी यानी नारी भी पुरुष के बराबर है !
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
नारी का सम्मान या बराबरी का दर्जा निरन्तर मिलने से पुरुष-आधारित पारिवारिक, सामाजिक व राजनीतिक सत्ता पर अंकुश लगेगा ! तब प्रतियोगितात्मक भावना पनपेगी और एतदर्थ ईमानदारी ही सर्वोच्च स्थान पाने की मुख्य कसौटी बन जायेगी, जिसके कारण भ्रष्टाचार का ह्रास होगा।
प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उ:-
अभी तक इंतजार ही कर रही हूँ, कोई दस्तक अभी तक सुनाई नहीं पड़ी है !
प्र.(11.) आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
ईश्वर की कृपा से अभी तक बची रही हूं।
प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
प्रथम पुस्तक "फीवर 104 डिग्री फारेनहाइट" नवंबर, 2017 में प्रकाशित हुई, जिनकी द्वितीय संस्करण शीघ्र आनेवाली है । यह युवावर्ग को केंद्र में रखकर लिखी गयी है, जिसे महिलाओं के साहस व हिम्मत के प्रसंगश: दृश्यित कराई गई है । दूसरी पुस्तक "वापसी इम्पॉसिबल" वर्ष 2018 में प्रकाशित हुई, जिसे पाठकों ने भरपूर प्यार व स्नेह दिया, इसलिए भी तो इसे साल की सर्वाधिक लोकप्रिय हिंदी किताबो में स्थान दी गई है।
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
अभी तक सुधी पाठकों से ही सम्मान व प्रशंसा हासिल हुई है। टीवी चैनलों पर एतदर्थ इंटरव्यू भी आ चुकी है, किंतु किसी संस्था ने अबतक किसी सम्मान के काबिल नहीं समझी है !
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
खुद के मोबाइल फोन और कंप्यूटर के द्वारा ही लेखनजन्य मिशन का संचालन की जा रही है । राष्ट्र, प्रांत, जिला और समाज से यही उम्मीद है कि इस तरह की रचना व सरंचना का विकास करें, ताकि लघुस्तर पर कार्य करनेवालों को भी समायावसर सहायता मुहैया होती रहे !
श्रीमती सुरभि सिंघल |
प्र.(1.)आपके कार्यों को इंटरनेट, सोशल मीडिया व प्रिंट मीडिया के माध्यम से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उ:-
पुस्तकों को लिखकर, अपने लेखों को सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों (फेसबुक, ट्वीटर, ब्लॉग इत्यादि) के माध्यम से प्रस्तुत कर नारी मुक्ति , नारी के प्रति सम्मान भाव व समानता के एजेंडे पर अलख जगाने का कार्य कर रही हूँ।
प्र.(2.) आप किस तरह की पृष्ठभूमि से आई हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाई हैं ?
उ:-
मैं उ० प्र० के एक छोटे से कस्बे धनौरा से हूँ । संयुक्त परिवार में नारी की दशा के अवलोकन, पिता की भूमिका और गुरूजनों के मार्गदर्शन ने मुझे प्रेरित की, जिनके सापेक्षतः ही नारीशक्ति, नारीजन्य जागरण आदि को छोटे शहरों तक प्रभावशाली तरीके से प्रसारित करा सकी, क्योंकि लोगों में एतदर्थ जागरूकता पैदा करना आवश्यक ही नहीं, अत्यावश्यक है।
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
लेखन अगर प्रभावशाली हो तो लोग पढ़ते-पढ़ते ही सुकृति पर विश्वास करने लग जाते हैं।
प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उ:-
महिला होना, छोटे शहर से होना, अंग्रेजियत से दूरी रखना, कम उम्र का होना और संसाधनों का अभाव... ऐसे मुख्य अड़चनें हैं, जिनसे रूबरू होनी पड़ी है !
प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:-
आर्थिक दिक्कत तो आई ही, क्योंकि अपना पेट काटकर किताबों को प्रकाशित करवाई। सोशल मीडिया पर सक्रियता भी तो स्वयं के अर्थ और स्वसमय के व्यय पर ही टिकी है।
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
नारी होने के कारण, नारीजन्य कष्टों को समझना ज्यादा ही आसान है । जहाँ परिवार ने भी मुझे सहयोग प्रदान करने में आनाकानी की। फिर भी कुछ तो किया, परंतु उसकी प्रशंसा करने से गाहे-बगाहे बचती रही !
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
खुद ही जुतना पड़ा ! सहायता करने के बजाय लोग हतोत्साहित करने में ज्यादा ही सक्रिय रहे। बाद में, मदद के लिए कुछ हाथ आगे आए भी, तो उनके इरादे नेक नहीं थे, यह बिल्कुल संदेहास्पद लगे ! कार्य की गुणवत्ता के बजाय, खुद के नारी होने के कारण उनका ध्येय कुछ और सोच लिए था !
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:-
मेरी कार्य से भारतीय संस्कृति का पुनरुत्थान होने में मदद मिलेगी, क्योंकि मेरे लेखन-कार्य से जहां नारी-पुरूष के बीच समत्व और समान अधिकार की बात पनपेगी यानी नारी भी पुरुष के बराबर है !
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
नारी का सम्मान या बराबरी का दर्जा निरन्तर मिलने से पुरुष-आधारित पारिवारिक, सामाजिक व राजनीतिक सत्ता पर अंकुश लगेगा ! तब प्रतियोगितात्मक भावना पनपेगी और एतदर्थ ईमानदारी ही सर्वोच्च स्थान पाने की मुख्य कसौटी बन जायेगी, जिसके कारण भ्रष्टाचार का ह्रास होगा।
प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उ:-
अभी तक इंतजार ही कर रही हूँ, कोई दस्तक अभी तक सुनाई नहीं पड़ी है !
प्र.(11.) आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
ईश्वर की कृपा से अभी तक बची रही हूं।
प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
प्रथम पुस्तक "फीवर 104 डिग्री फारेनहाइट" नवंबर, 2017 में प्रकाशित हुई, जिनकी द्वितीय संस्करण शीघ्र आनेवाली है । यह युवावर्ग को केंद्र में रखकर लिखी गयी है, जिसे महिलाओं के साहस व हिम्मत के प्रसंगश: दृश्यित कराई गई है । दूसरी पुस्तक "वापसी इम्पॉसिबल" वर्ष 2018 में प्रकाशित हुई, जिसे पाठकों ने भरपूर प्यार व स्नेह दिया, इसलिए भी तो इसे साल की सर्वाधिक लोकप्रिय हिंदी किताबो में स्थान दी गई है।
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
अभी तक सुधी पाठकों से ही सम्मान व प्रशंसा हासिल हुई है। टीवी चैनलों पर एतदर्थ इंटरव्यू भी आ चुकी है, किंतु किसी संस्था ने अबतक किसी सम्मान के काबिल नहीं समझी है !
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
खुद के मोबाइल फोन और कंप्यूटर के द्वारा ही लेखनजन्य मिशन का संचालन की जा रही है । राष्ट्र, प्रांत, जिला और समाज से यही उम्मीद है कि इस तरह की रचना व सरंचना का विकास करें, ताकि लघुस्तर पर कार्य करनेवालों को भी समायावसर सहायता मुहैया होती रहे !
"आप यूं ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !
नमस्कार दोस्तों !
मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !
हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com
She is superb writer as well as good human being.....god bless you surbhi ji
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