खेल-खेल में, खेल कब 'पॉलिटिक्स' बन आता है 'खेल' को भी मालूम नहीं पड़ता, क्योंकि जहाँ 1 गोल्ड जीतने पर पीवी सिंधु के ऊपर पुरस्कारों की झड़ी लग गयी हैं, वहीं हिमा दास द्वारा 6 गोल्ड जीतने पर भी मीडियाई कुतियापा चुप्पी साधे हुई हैं।
आज 'राष्ट्रीय खेल दिवस' है। सभी खेल प्रेमियों, खिलाड़ियों को 'खेल दिवस' की हार्दिक बधाई, परंतु 'खेल' को 'खेल' ही रहने दें 'खेल' न बनावें । आइये, आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जयंती पर विशेष लघु आलेख...
आज 'राष्ट्रीय खेल दिवस' है। सभी खेल प्रेमियों, खिलाड़ियों को 'खेल दिवस' की हार्दिक बधाई, परंतु 'खेल' को 'खेल' ही रहने दें 'खेल' न बनावें । आइये, आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जयंती पर विशेष लघु आलेख...
यह अजीब है कि जिनके नाम व जन्मदिवस पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है तथा जिन्होंने अपने दम पर 6 ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक दिलाया और जिनकी उपलब्धि पर हिटलर तक घबराये थे, उस विश्व हॉकी के महान भारतीय जादूगर मेजर ध्यानचंद को भारत सरकार 'भारत रत्न' सम्मान से नवाज़ना नहीं चाहता ! जिस भाँति से खेलों में ध्यानचंद से कहीं जूनियर सचिन तेंदुलकर को 'भारत रत्न' से विभूषित किया गया, उनसे पहले बिल्कुल ही ध्यानचंद को इस सम्मान से सम्मान किया जाना चाहिए था । उनकी जयन्ती के अवसर पर तथा इस हेतु 'राष्ट्रीय खेल दिवस' (29 अगस्त) की हार्दिक शुभकामनायें सहित देश वासियों को ऐसे रत्न से लगाव रखकर पुरजोर तरीके से मेजर ध्यानचंद के लिए मरणोपरांत भारत रत्न' की मांग भारत सरकार से किये जाने चाहिए ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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