आजकल बड़ा आदमी वो है, जिसने इनकम टैक्स विभाग का कम से कम 50-60 लाख रुपये दबाया हुआ है । जो किसी बैंक का 20-25 करोड़ रुपये का कर्ज डकार गए हो ! जिसपर अदालतों में दर्जनों मुकद्दमे पेंडिंग पड़े हों, जो 20-25 केसों में जमानत पर बाहर हो, जो स्मगलर व ब्लैकमार्केटियर व नुक्कड़ नेता हो या ऐसे लोगों का जोड़ीदार हो, जो गुंडे-बदमाशों के साथ उठता-बैठता हो या वो थाना-स्टाफ न होकर भी थाने में बिचौलिया व दलाली के माफिक बैठे रहते हों और संदिग्ध चरित्र के लोगों का हमप्याला, हमनिवाला हो । जो बातें कभी छुपाकर रखने लायक मानी जाती थीं, आज की सोसाइटी में वही बातें बखान करने लायक और डींग हाँकने लायक मानी जाती है । इतना ही नहीं, ऊंची पहुंच वाला हो और बड़े लोगों के साथ उठता बैठता हो !.... इस तरह की बहुत-सी बातें आजकल देखने को मिलती हैं। आइये आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कुछ ऐसा, जिसका सही रूप में हम सभी को जरूरत है ---
पानी-पानी जग करता, बिन पानी सब सून....! पानी की कमीवाला देश इजराइल कई-कई वर्षो में जलसंकट और सूखे के डर से निकल पानी की अधिकता वाला देश बन एक इतिहास ही रच डाला । वर्षा पानी से खेती आदि ने किसानों की हालत मजबूत की । स्कूली बच्चों को हम शिक्षित करते वर्षा पानी को जमा करने को, किंतु सेल्फी लेने में हम पानी को भी पीछे छोड़ देते । आज युवा 275 नदियों पर के संकट को कम आंकते हैं। गर्मी और ताप बढ़ते ही नलकूपों के टोटे सूखते जा रहे हैं ।
झील, झंखार, नदी, तालाब आदि सही मायनों में जल को रोकता है । कुआं कही ही नजर आती ? जल दिवस में हमारा रूल होने क्या चाहिए ? सोचने की फुरसत में लोग अल्लू अर्जुन की मूवी का मजा लेते युवा पीढ़ी क्यों कर सोचेंगें ? प्रतिवर्ष 4 अरब क्यूबिक मीटर पानी हमें सहेजना होगा । तभी हम जल ही जीवन है के संकल्प को साकार कर पाएंगे । सही मायनों में हमारा जग पानी से भरा होना चाहिए । एक ग्लास निकला नहीं कि हमारे लिए दो बूंद के लाले पड़ जाएंगे।
[फ़ोटो साभार -- गूगल]
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
पानी-पानी जग करता, बिन पानी सब सून....! पानी की कमीवाला देश इजराइल कई-कई वर्षो में जलसंकट और सूखे के डर से निकल पानी की अधिकता वाला देश बन एक इतिहास ही रच डाला । वर्षा पानी से खेती आदि ने किसानों की हालत मजबूत की । स्कूली बच्चों को हम शिक्षित करते वर्षा पानी को जमा करने को, किंतु सेल्फी लेने में हम पानी को भी पीछे छोड़ देते । आज युवा 275 नदियों पर के संकट को कम आंकते हैं। गर्मी और ताप बढ़ते ही नलकूपों के टोटे सूखते जा रहे हैं ।
झील, झंखार, नदी, तालाब आदि सही मायनों में जल को रोकता है । कुआं कही ही नजर आती ? जल दिवस में हमारा रूल होने क्या चाहिए ? सोचने की फुरसत में लोग अल्लू अर्जुन की मूवी का मजा लेते युवा पीढ़ी क्यों कर सोचेंगें ? प्रतिवर्ष 4 अरब क्यूबिक मीटर पानी हमें सहेजना होगा । तभी हम जल ही जीवन है के संकल्प को साकार कर पाएंगे । सही मायनों में हमारा जग पानी से भरा होना चाहिए । एक ग्लास निकला नहीं कि हमारे लिए दो बूंद के लाले पड़ जाएंगे।
[फ़ोटो साभार -- गूगल]
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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