#लप्रेस #लघु_प्रेरक_समीक्षा
शर्मा जी के उपन्यास की कहानी मन को जहाँ छूती है, वहीं पुस्तक में शब्दों का चयन, उन्हें महान उपन्यासकार साबित भी करती है। आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं श्रीमान वेद प्रकाश शर्मा जी के उपन्यास 'नसीब मेरा दुश्मन' की लघु, लेकिन प्रेरक समीक्षा...
उपन्यास 'नसीब मेरा दुश्मन' की कहानी एक ऐसे घर से शुरू होती है, जिनके घर पर जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं, लेकिन भाग्य का खेल कुछ और ही होता है। एक बच्चा अरबपति सेठ के घर पर बड़ा होता है, दूजा झोपड़ पट्टी में ! झोपड़ पट्टी वाले बच्चे को ऐसा लगने लगता है कि नसीब उसका दुश्मन है, क्योंकि यदि सेठ उसे गोद लेता, तो आज वह वहां पर होता, जहाँ उसका जुड़वां भाई है । कुछ ऐसी ही ताने-बाने से लिखी गयी है यह उपन्यास। उपन्यास की कहानी, जहां हमें रोमांचित करती है तो वहीं सोचने पर मजबूर भी करती है कि कहानी में आगे क्या-क्या होने वाला है ?
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
शर्मा जी के उपन्यास की कहानी मन को जहाँ छूती है, वहीं पुस्तक में शब्दों का चयन, उन्हें महान उपन्यासकार साबित भी करती है। आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं श्रीमान वेद प्रकाश शर्मा जी के उपन्यास 'नसीब मेरा दुश्मन' की लघु, लेकिन प्रेरक समीक्षा...
उपन्यास 'नसीब मेरा दुश्मन' की कहानी एक ऐसे घर से शुरू होती है, जिनके घर पर जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं, लेकिन भाग्य का खेल कुछ और ही होता है। एक बच्चा अरबपति सेठ के घर पर बड़ा होता है, दूजा झोपड़ पट्टी में ! झोपड़ पट्टी वाले बच्चे को ऐसा लगने लगता है कि नसीब उसका दुश्मन है, क्योंकि यदि सेठ उसे गोद लेता, तो आज वह वहां पर होता, जहाँ उसका जुड़वां भाई है । कुछ ऐसी ही ताने-बाने से लिखी गयी है यह उपन्यास। उपन्यास की कहानी, जहां हमें रोमांचित करती है तो वहीं सोचने पर मजबूर भी करती है कि कहानी में आगे क्या-क्या होने वाला है ?
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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