पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर और 'सूचना प्रौद्योगिकी' क्षेत्र में बेजोड़ शख्स श्रीमान संदीप नैयर ने जब हिंदी का दामन थामा, तो एक से बढ़कर एक रचनायें उनके दिमाग से निकलती गयी। आइये मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं, श्रीमान संदीप जी के उपन्यास डार्क नाइट की लघु प्रेरक समीक्षा...
#लप्रेस #लघु_प्रेरक_समीक्षा
शायदतन लोगों ने इस किताब की आलोचना की हैं और आलोचना करनेवालों में अधिकतर लेखक ही हैं, जो पाठक बन बैठे हैं, लेकिन पाठकों वाला दर्द वह सब नहीं ला पायें हैं, शायद अधिकतर लेखकों ने खुशवंत सिंह को नहीं पढ़ा है, क्योंकि यदि पढ़ते तो इस किताब की आलोचना इतनी तुच्छता लिये न करते ! 'डार्क नाइट' कैसी किताब है व इस किताब की कहानी क्या है, इसकी चर्चा करना जरूरी नहीं समझता हूँ, क्योंकि हर पाठकवर्ग में इस उपन्यास की चर्चा है, लेकिन यह किताब उनलोगों पर एक चोट है, जो बंद कमरे में 'यौनिक लिप्सा' में रहते हैं और समाज में आते ही अपने आप को 'दूध का धुला' कहते हैं ।
अगर किताब को प्रशंसकों के साथ-साथ एक बेहतरीन प्रकाशक मिली होती, तो यह किताब 'बेस्टसेलर' की लिस्ट में शामिल होने सहित हम जैसे पाठकों के द्वारा उपन्यास पढ़ते हुए ही नहीं, अपितु सिनेमा के पर्दें पर निहारते भी व्यतीत होते ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
#लप्रेस #लघु_प्रेरक_समीक्षा
शायदतन लोगों ने इस किताब की आलोचना की हैं और आलोचना करनेवालों में अधिकतर लेखक ही हैं, जो पाठक बन बैठे हैं, लेकिन पाठकों वाला दर्द वह सब नहीं ला पायें हैं, शायद अधिकतर लेखकों ने खुशवंत सिंह को नहीं पढ़ा है, क्योंकि यदि पढ़ते तो इस किताब की आलोचना इतनी तुच्छता लिये न करते ! 'डार्क नाइट' कैसी किताब है व इस किताब की कहानी क्या है, इसकी चर्चा करना जरूरी नहीं समझता हूँ, क्योंकि हर पाठकवर्ग में इस उपन्यास की चर्चा है, लेकिन यह किताब उनलोगों पर एक चोट है, जो बंद कमरे में 'यौनिक लिप्सा' में रहते हैं और समाज में आते ही अपने आप को 'दूध का धुला' कहते हैं ।
अगर किताब को प्रशंसकों के साथ-साथ एक बेहतरीन प्रकाशक मिली होती, तो यह किताब 'बेस्टसेलर' की लिस्ट में शामिल होने सहित हम जैसे पाठकों के द्वारा उपन्यास पढ़ते हुए ही नहीं, अपितु सिनेमा के पर्दें पर निहारते भी व्यतीत होते ।
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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