समाज की सोच जल्दी बदलती नहीं है, लेकिन समय के साथ परिवर्तन भी आवश्यक है ! आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं सुश्री रीमा मिश्रा की लघुकथा और समझने की कोशिश करते हैं, समाज में उपस्थित बुराइयों को...
'सपने एक लड़की की'
आज वह घड़ी आ गई जिसका उसे न जाने कबसे इंतज़ार था, यह सोच वह मंद-मंद मुस्कुरा रही थी । बहुत सारे सपने ख्वाहिशें अब उसके दिल में जन्म लेने लगी थी !
आईने में अपनी सूरत देख मुस्कुराना खुद से ही शर्माना, नए ख्वाब बुनने लगी थी। ऐसा उसके साथ होना स्वाभाविक ही था, क्योंकि शादी के सतरंगी सपने तो हर लड़की देखती हैं... फिर कुछ दिनों बाद मंगनी जो होने वाली थी उसकी, सबने उसे पसंद जो कर लिया था, लड़का भी 'बिना' को भा गयी थी...
मन में बहुत सारी इच्छाओं का जन्म होने लगा और फिर पांचवे दिन लड़के वालों का फोन आया, यह मंगनी नहीं हो सकती ! वजह थी, उनकी कुंडली में चौदह गुण ही मिले ।
'बिना' के पाँव तले मानो धरती खिसक गई, क्या यह वजह इतनी मायने रखती थी ? उसके सपनों को तोड़ने के लिए जिसकी नींव अभी-अभी उसके चंचल व कोमल मन ने रखी थी।
सुश्री रीमा मिश्रा |
'सपने एक लड़की की'
आज वह घड़ी आ गई जिसका उसे न जाने कबसे इंतज़ार था, यह सोच वह मंद-मंद मुस्कुरा रही थी । बहुत सारे सपने ख्वाहिशें अब उसके दिल में जन्म लेने लगी थी !
आईने में अपनी सूरत देख मुस्कुराना खुद से ही शर्माना, नए ख्वाब बुनने लगी थी। ऐसा उसके साथ होना स्वाभाविक ही था, क्योंकि शादी के सतरंगी सपने तो हर लड़की देखती हैं... फिर कुछ दिनों बाद मंगनी जो होने वाली थी उसकी, सबने उसे पसंद जो कर लिया था, लड़का भी 'बिना' को भा गयी थी...
मन में बहुत सारी इच्छाओं का जन्म होने लगा और फिर पांचवे दिन लड़के वालों का फोन आया, यह मंगनी नहीं हो सकती ! वजह थी, उनकी कुंडली में चौदह गुण ही मिले ।
'बिना' के पाँव तले मानो धरती खिसक गई, क्या यह वजह इतनी मायने रखती थी ? उसके सपनों को तोड़ने के लिए जिसकी नींव अभी-अभी उसके चंचल व कोमल मन ने रखी थी।
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
0 comments:
Post a Comment