21वीं सदी में भी लड़के और लड़कियों में भेदभाव की घटनाएं देखने को प्रतिदिन मिल जाती है, किंतु लोगों की मानसिकता बदलने में समय लगती है ! आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की टटकी कड़ी में पढ़ते हैं कवयित्री सुश्री ईशिका गोयल जी की अद्वितीय कविता...
'बवाल है...बवाल है...लड़कियां कमाल हैं'
कहते हैं
लड़कियों को कपड़े पहनने की तहज़ीब नहीं
उनको गंदी नज़रों से देखना क्या यह अजीब नहीं ?
छोटे कपड़े
रात को घूमने से टोकते हो
क्या कभी अपने बेटों को भी ऐसे रोकते हो तुम ?
बचपन से लड़की पर पाबंदी लगाते हो
क्या कभी अपने बेटे को ग़लत राह पर
ना चलने की शिक्षा दे पाते हो तुम ?
लड़की अन्य घर जायेगी हमेशा का है यह नारा
बहू तो अपने घर भी आयेगी
इसका अंतर समझाना
क्या फर्ज नहीं तुम्हारा ?
ऐसा ना कर
वैसा ना कर
यहाँ मत जा
वहाँ मत जा
यह मत पहन
वो मत पहन
ऐसा ही बना दिया गया
रहन-सहन...
गंदी नज़रों से देखते हो
सीटी मार छेड़ते हो
रोज़ लाखों की ज़िन्दगी से खेलते हो
भूल क्यों जाते हो ?
खुद की भी मां-बहन है
यह ख्याल ज़हन तक में क्यों ना लाते हो ?
लड़ती भी हूँ
झगड़ती भी हूँ
अब खुद के लिए खटती भी हूँ
लोगों की ऐसी सोच का क्या करना ?
जब अकेले ही है आगे बढ़ना...
बात घरवालों की आ जाती है
इसलिए जिंदगी हार-सी जाती है
कब तक घुट-घुटकर जीऊं
क्यों हर बार बलिदान दूँ
क्यों तुम्हारे अत्याचार बर्दाश्त करूँ मैं ?
गलत हो जाये
तो लड़की ही तो गलत है
अपने बेटे की हरकतें
तो बहुत सही है
लड़की की जान चली जाये
तो पक्का उसका ही दोष है
अगर चुप रहकर सह जाये
तो उसके चरित्र में ही खोट है...
शर्म तुम्हें नहीं आयेगी
देखना एक दिन तेरी यह रूह मिट्टी में ही मिल जाएगी...
बात अपने लड़के पर आए
जी....
हमारा बेटा तो एकदम बेकसूर है
कब तक गलत हर लड़की को कहते जाओगे
कब तक गुनाह अपने बेटे का छुपाओगे
गुनहगार बेटियों को ठहराओगे ?
डरती नहीं अब
ना डरूंगी
मुझे खिलौना समझने वालों
खेल तुम्हारी ज़िन्दगी का बना दूंगी
अब पीछे भी नहीं हटूँगी
हराने वाली सोच पर जीत का का झंडा फहरा दूँगी...
समय है बदल जाओ
थोड़ा अपनी गलत सोच पर भी विराम लगाओ...
लड़के रोते नहीं यह बचपन से सिखाते हो
लड़के रूलाते नहीं
यह क्यों नहीं समझाते हो ?
लड़का-लड़की में भेद करते हो
बेटे की चाह में बेटी की कदर ही भूल जाते हो...
बेटा ठुकरा दे तो उसे किस्मत की बात कहते हो
बेटी एक दिन फोन न करे
एहसान फरामोश उसे समझते हो...
बेटा होने पर डिब्बे मिठाई के भरते हो
बेटी होने पर अफसोस की आहें भरते हो
क्यों जनाब ऐसा करते हो ?
हौसलों की हम मिसाल हैं
हर लड़की बेमिसाल है
अगर अड़ गई तो करदे बूरा हाल है...
बवाल है
बवाल है
नारी-शक्ति कमाल है...
अब लड़कों को हराना है
तहज़ीब
संस्कार
अब उन्हें सिखाना है !
कवयित्री ईशिका गोयल |
'बवाल है...बवाल है...लड़कियां कमाल हैं'
कहते हैं
लड़कियों को कपड़े पहनने की तहज़ीब नहीं
उनको गंदी नज़रों से देखना क्या यह अजीब नहीं ?
छोटे कपड़े
रात को घूमने से टोकते हो
क्या कभी अपने बेटों को भी ऐसे रोकते हो तुम ?
बचपन से लड़की पर पाबंदी लगाते हो
क्या कभी अपने बेटे को ग़लत राह पर
ना चलने की शिक्षा दे पाते हो तुम ?
लड़की अन्य घर जायेगी हमेशा का है यह नारा
बहू तो अपने घर भी आयेगी
इसका अंतर समझाना
क्या फर्ज नहीं तुम्हारा ?
ऐसा ना कर
वैसा ना कर
यहाँ मत जा
वहाँ मत जा
यह मत पहन
वो मत पहन
ऐसा ही बना दिया गया
रहन-सहन...
गंदी नज़रों से देखते हो
सीटी मार छेड़ते हो
रोज़ लाखों की ज़िन्दगी से खेलते हो
भूल क्यों जाते हो ?
खुद की भी मां-बहन है
यह ख्याल ज़हन तक में क्यों ना लाते हो ?
लड़ती भी हूँ
झगड़ती भी हूँ
अब खुद के लिए खटती भी हूँ
लोगों की ऐसी सोच का क्या करना ?
जब अकेले ही है आगे बढ़ना...
बात घरवालों की आ जाती है
इसलिए जिंदगी हार-सी जाती है
कब तक घुट-घुटकर जीऊं
क्यों हर बार बलिदान दूँ
क्यों तुम्हारे अत्याचार बर्दाश्त करूँ मैं ?
गलत हो जाये
तो लड़की ही तो गलत है
अपने बेटे की हरकतें
तो बहुत सही है
लड़की की जान चली जाये
तो पक्का उसका ही दोष है
अगर चुप रहकर सह जाये
तो उसके चरित्र में ही खोट है...
शर्म तुम्हें नहीं आयेगी
देखना एक दिन तेरी यह रूह मिट्टी में ही मिल जाएगी...
बात अपने लड़के पर आए
जी....
हमारा बेटा तो एकदम बेकसूर है
कब तक गलत हर लड़की को कहते जाओगे
कब तक गुनाह अपने बेटे का छुपाओगे
गुनहगार बेटियों को ठहराओगे ?
डरती नहीं अब
ना डरूंगी
मुझे खिलौना समझने वालों
खेल तुम्हारी ज़िन्दगी का बना दूंगी
अब पीछे भी नहीं हटूँगी
हराने वाली सोच पर जीत का का झंडा फहरा दूँगी...
समय है बदल जाओ
थोड़ा अपनी गलत सोच पर भी विराम लगाओ...
लड़के रोते नहीं यह बचपन से सिखाते हो
लड़के रूलाते नहीं
यह क्यों नहीं समझाते हो ?
लड़का-लड़की में भेद करते हो
बेटे की चाह में बेटी की कदर ही भूल जाते हो...
बेटा ठुकरा दे तो उसे किस्मत की बात कहते हो
बेटी एक दिन फोन न करे
एहसान फरामोश उसे समझते हो...
बेटा होने पर डिब्बे मिठाई के भरते हो
बेटी होने पर अफसोस की आहें भरते हो
क्यों जनाब ऐसा करते हो ?
हौसलों की हम मिसाल हैं
हर लड़की बेमिसाल है
अगर अड़ गई तो करदे बूरा हाल है...
बवाल है
बवाल है
नारी-शक्ति कमाल है...
अब लड़कों को हराना है
तहज़ीब
संस्कार
अब उन्हें सिखाना है !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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