आइये,
मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं श्रीमती रचना भोला 'यामिनी' जी की अद्वितीय रचना....
मेरे लिए उसकी चाहना ठीक वैसा असर रखती थी
जैसे दुखते हुए दांत में लौंग के तेल का फाहा
तेज़ मिर्ची से जली जीभ पर बर्फ का एक चौरस टुकड़ा
बंद गले की ख़राश दूर करने को मुँह में रखी मुलट्ठी
बुखार में माथे पर धरा भीगा रूमाल
और फिर एक दिन जब ख़त्म हो गए सारे असर,
तो उसकी चाहना--
दांत के तीखे दर्द, जली जीभ, बंद गले और बुखार की पीड़ा से कहीं बढ़ कर
हाड़ में छिपी दिन-रात टस-टस करने लगी
चाहनाओं के इलाज के नुस्ख़ों वाली क़िताब गुम है
अब क्या करेगा बैद ?
मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं श्रीमती रचना भोला 'यामिनी' जी की अद्वितीय रचना....
श्रीमती रचना भोला 'यामिनी' |
मेरे लिए उसकी चाहना ठीक वैसा असर रखती थी
जैसे दुखते हुए दांत में लौंग के तेल का फाहा
तेज़ मिर्ची से जली जीभ पर बर्फ का एक चौरस टुकड़ा
बंद गले की ख़राश दूर करने को मुँह में रखी मुलट्ठी
बुखार में माथे पर धरा भीगा रूमाल
और फिर एक दिन जब ख़त्म हो गए सारे असर,
तो उसकी चाहना--
दांत के तीखे दर्द, जली जीभ, बंद गले और बुखार की पीड़ा से कहीं बढ़ कर
हाड़ में छिपी दिन-रात टस-टस करने लगी
चाहनाओं के इलाज के नुस्ख़ों वाली क़िताब गुम है
अब क्या करेगा बैद ?
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