देश के इस्लाम धर्मावलम्बियों के लिए रमजान का महीना लॉकडाउन 2.0 में आरंभ हो चुका है । लॉकडाउन अवधि में कई धर्मों के कई पर्व-त्योहार धार्मिक स्थलों के बगैर मनाये गए, तो महापुरुषों की जयंतियाँ भी लोग घर पर सोशल और फिजिकल डिस्टेंसिंग में मनाए। रमजान का पवित्र माह भी संयमी और सुरक्षित जीवन जीने का संदेश देते हैं । रोजेदारों को संयमित, सुरक्षित और सोशल डिस्टेंसिंग में रोजा रखने की सदाग्रह है, जो कि समाज और मानवहित में महानतम संदेश साबित होंगे ! बिल्कुल टटका, किन्तु अपुष्ट रपटों के आलोक में कोरोना कहर के कारण देश में 3 मई तक लॉकडाउन है, हालाँकि यह डेटलाइन बढ़ भी सकती है, तथापि रचनाकर्म में संलग्न लोग घर पर ही रहकर स्वाध्यायी जीवनशैली अपना बैठे हैं । ऐसे में यूट्यूबरों के कार्य और भी बढ़ गए हैं, जो घर पर रहकर पुस्तक-समीक्षा आदि सुकृत्यों का वीडियो you tube पर डाल रहे हैं । अप्रैल 2020 माह के लिए 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' अपने मासिक स्तम्भ 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के लिए हिंदी भाषा में प्रस्तुत करनेवाली यूट्यूबर श्रीमती सुरभि मौर्या से ली गई इंटरव्यू को 14 गझिन सवालों के सरल उत्तरों के साथ अग्रांकित प्रकाशित है । आइये, हम उन्हें और उनके कार्यों व कठिनाइयों को जानने का प्रयास करते हैं.....
प्र.(1.)आपके कार्यों को सोशल मीडिया के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उ:-
मेरा शुरु से ही हिन्दी के लिए खास जुड़ाव रहा है। किताबें हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। वास्तव में हम किसी भी कार्य-क्षेत्र से संबंधित हो, किताबें अवश्य पढ़नी चाहिये। हिन्दी में बहुत सी अच्छी किताबें हैं। मैं अपने यूट्यूब चैनल Indian Youtuber Suranaya के माध्यम से लोगों को इन किताबों से परिचित करवाना चाहती हूँ। हर व्यक्ति की किताबों की पसंद अलग-अलग होती है। मैं बस अपनी वीडियो के माध्यम से उनकी पसंद उन तक पहुँचाने का प्रयास कर रही हूँ। इस उम्मीद में कि शायद बिना अधिक परिश्रम के वो अपनी पसंद की किताब के विषय में जान सकेंगे। इस चैनल के माध्यम से आप हिन्दी किताबों के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, उन किताबों पर आप अपने विचार भी व्यक्त कर सकते हैं।
प्र.(2.)आप किसतरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मेरा नाम सुरभि मौर्या है।भूगोल एवं मानव विज्ञान विषय से स्नातक मैंने Allahabad University से किया है। परास्नातक भूगोल विषय में हूँ। वर्तमान में वाराणसी में हूँ।
मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ। मेरे पिता जी बचपन से ही हमें पढ़ने के लिए काफी प्रेरित करते थे। मुझे याद है जब मैं छोटी थी, तो मेरे लिए अलग-अलग प्रकार की किताबें लाया करते थे। ग्रीष्मावकाश तो लगता था कि केवल कॉमिक्स और कहानियों को पढ़ने के लिए होता है, किन्तु समय के साथ काफी परिवर्तन आए। एक समय ऐसा आया कि जब मैंने इन किताबों के साथ ही अपना भविष्य देखा। बस, दिल की बात सुनी और उसी दिशा में आगे बढ़ती गई। बहुत से लोगों ने कहा कि इस दिशा में कुछ कर पाना आसान नहीं है शायद सफल भी न हो, किन्तु आत्मसंतुष्टि इसी से जुड़ी है।
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
कहा जाता है, किताबें हमारी मित्र होती हैं। ये किसी भी परिस्थिति से हमें बाहर निकलने में मदद करती हैं। एक अच्छा साहित्य जहाँ हमें सोचने के नए आयाम देता है । वह हमें भावनात्मक सहारा भी देता है। ज्यादातर महान शख्सियतों में किताब पढ़ने के गुण पाए जाते हैं, क्योंकि जीवन में कुछ विशेष करने के लिए हमें हमेशा नई चीजों को सीखते रहना चाहिये।
इसी सकारात्मक विचार के साथ मेरा यूट्यूब चैनल Indian Youtuber Suranaya हमेशा नई किताबों से लोगो को परिचित करवाता है।
प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उ:-
मेरा विषय किताब पढ़ने से सम्बंधित है, इसलिये ध्यान से किताबें पढ़ती हूँ। इसके बाद ही प्रभावशाली स्क्रिप्ट लिखना, वीडियो एडिटिंग करना इत्यादि कार्य होती हैं। प्रथमतः, मुझे अपनी बेटी के कारण रात का समय ही मिल पाती है, जिस समय मैं पढ़ती हूँ और वीडियो बनाती हूँ। वीडियो बनने के बाद उसकी एडिटिंग भी करनी होती है। एडिटिंग का कार्य मैं खुद करती हूँ, जिनके बारे में मुझे कोई बताने वाला नहीं है, किन्तु इंसानी जिज्ञासा के कारण मैं इसे सीख पाती हूँ एवं अपना कार्य कुशलता पूर्वक कर पाती हूँ, किन्तु इन सबके कारण मैं वीडियो जल्दी पोस्ट नहीं कर पाती हूँ, लेकिन प्रयास में हूँ कि इस छोटी सी समस्या को दूर कर सकूँ !
प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:-
वास्तव में किताबें पढ़ने के लिए अत्यधिक पैसों की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिये आर्थिक समस्या जैसी कोई बात नहीं है। इसमें जिस चीज की सर्वाधिक आवश्यकता होती है, वो है समय और रुचि !
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
जैसा कि मैंने पहले ही बता चुकी हूँ कि मुझे किताबें पढ़ना पसंद है और यह भी सर्वविदित है कि साहित्य समाज को दिशा दिखाता है । वैसे भी साहित्य को समाज का दर्पण भी कहा गया है । अगर मेरे इस प्रयास से मैं किसी को हिन्दी साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित कर पायी, तो मैं इस प्रयास को सार्थक समझूँगी। मुझे परिवार से यथासंभव मदद मिलती है।
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
मुझे मेरे पति के द्वारा वीडियो रिकॉर्ड करने में मदद मिलती है, परंतु वीडियो से सम्बंधित अन्य शेष कार्य मुझे अकेले ही करने होते हैं। इसके अलावा मुझे दोस्तों, परिजनों और शुभचिंतको से कुछ सलाह मिल जाती है।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:-
किताबों में सभ्यता एवं संस्कृति समाहित होती हैं । किताबें ही इन संस्कृतियों को विभिन्न देशकाल में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तान्तरित करने का कार्य करती है । हिन्दी ही वह भाषा है, जिसे हम बचपन से सुनते, समझते एवं वार्त्तालाप करते आये हैं। ऐसे में हिन्दी में लिखी किताबें या भविष्यकाल में लिखी जाने वाली किताबें ही इन संस्कृतियों को आगे ले जाएंगी।
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
जब हम छोटे होते हैं, तो कक्षा में हमें नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाता है। इस विश्वास में कि हमारे अंदर नैतिक मूल्यों का विकास होगा। हमारा व्यवहार हमारे आस-पास के वातावरण से प्रभावित होते हैं । अच्छी किताबें हमारी जितनी मनोरंजन करती हैं, उससे कहीं अधिक हमारा सामाजिक और नैतिक विकास करती हैं। इनसे सीखी गई चीजों को हम जाने-अनजाने अपने व्यवहार में परिलक्षित पाते हैं।
प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये।
उ:-
आज के समय में जहाँ किसी के पास समय नहीं है, वहाँ लोग अपना वो कीमती समय मेरे वीडियो को देते हैं । उनके समय से अधिक कीमती मेरे लिए और क्या होगा ?
प्र.(11.)आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
नहीं, अभी ऐसा कुछ नहीं हुआ !
प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
नहीं।
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
मेरे कार्य घर से ही हो रहे हैं। लोगों को यही संदेश देना चाहूँगी कि हर कोई साहित्य में रुचि लें, जिनसे हमारी हिन्दी की समृद्ध और सृजनात्मक साहित्यिक परम्परा बनी रहे !
आप यूं ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !
यूट्यूबर सुरभि मौर्या |
प्र.(1.)आपके कार्यों को सोशल मीडिया के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उ:-
मेरा शुरु से ही हिन्दी के लिए खास जुड़ाव रहा है। किताबें हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। वास्तव में हम किसी भी कार्य-क्षेत्र से संबंधित हो, किताबें अवश्य पढ़नी चाहिये। हिन्दी में बहुत सी अच्छी किताबें हैं। मैं अपने यूट्यूब चैनल Indian Youtuber Suranaya के माध्यम से लोगों को इन किताबों से परिचित करवाना चाहती हूँ। हर व्यक्ति की किताबों की पसंद अलग-अलग होती है। मैं बस अपनी वीडियो के माध्यम से उनकी पसंद उन तक पहुँचाने का प्रयास कर रही हूँ। इस उम्मीद में कि शायद बिना अधिक परिश्रम के वो अपनी पसंद की किताब के विषय में जान सकेंगे। इस चैनल के माध्यम से आप हिन्दी किताबों के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, उन किताबों पर आप अपने विचार भी व्यक्त कर सकते हैं।
प्र.(2.)आप किसतरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मेरा नाम सुरभि मौर्या है।भूगोल एवं मानव विज्ञान विषय से स्नातक मैंने Allahabad University से किया है। परास्नातक भूगोल विषय में हूँ। वर्तमान में वाराणसी में हूँ।
मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ। मेरे पिता जी बचपन से ही हमें पढ़ने के लिए काफी प्रेरित करते थे। मुझे याद है जब मैं छोटी थी, तो मेरे लिए अलग-अलग प्रकार की किताबें लाया करते थे। ग्रीष्मावकाश तो लगता था कि केवल कॉमिक्स और कहानियों को पढ़ने के लिए होता है, किन्तु समय के साथ काफी परिवर्तन आए। एक समय ऐसा आया कि जब मैंने इन किताबों के साथ ही अपना भविष्य देखा। बस, दिल की बात सुनी और उसी दिशा में आगे बढ़ती गई। बहुत से लोगों ने कहा कि इस दिशा में कुछ कर पाना आसान नहीं है शायद सफल भी न हो, किन्तु आत्मसंतुष्टि इसी से जुड़ी है।
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
कहा जाता है, किताबें हमारी मित्र होती हैं। ये किसी भी परिस्थिति से हमें बाहर निकलने में मदद करती हैं। एक अच्छा साहित्य जहाँ हमें सोचने के नए आयाम देता है । वह हमें भावनात्मक सहारा भी देता है। ज्यादातर महान शख्सियतों में किताब पढ़ने के गुण पाए जाते हैं, क्योंकि जीवन में कुछ विशेष करने के लिए हमें हमेशा नई चीजों को सीखते रहना चाहिये।
इसी सकारात्मक विचार के साथ मेरा यूट्यूब चैनल Indian Youtuber Suranaya हमेशा नई किताबों से लोगो को परिचित करवाता है।
प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उ:-
मेरा विषय किताब पढ़ने से सम्बंधित है, इसलिये ध्यान से किताबें पढ़ती हूँ। इसके बाद ही प्रभावशाली स्क्रिप्ट लिखना, वीडियो एडिटिंग करना इत्यादि कार्य होती हैं। प्रथमतः, मुझे अपनी बेटी के कारण रात का समय ही मिल पाती है, जिस समय मैं पढ़ती हूँ और वीडियो बनाती हूँ। वीडियो बनने के बाद उसकी एडिटिंग भी करनी होती है। एडिटिंग का कार्य मैं खुद करती हूँ, जिनके बारे में मुझे कोई बताने वाला नहीं है, किन्तु इंसानी जिज्ञासा के कारण मैं इसे सीख पाती हूँ एवं अपना कार्य कुशलता पूर्वक कर पाती हूँ, किन्तु इन सबके कारण मैं वीडियो जल्दी पोस्ट नहीं कर पाती हूँ, लेकिन प्रयास में हूँ कि इस छोटी सी समस्या को दूर कर सकूँ !
प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:-
वास्तव में किताबें पढ़ने के लिए अत्यधिक पैसों की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिये आर्थिक समस्या जैसी कोई बात नहीं है। इसमें जिस चीज की सर्वाधिक आवश्यकता होती है, वो है समय और रुचि !
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
जैसा कि मैंने पहले ही बता चुकी हूँ कि मुझे किताबें पढ़ना पसंद है और यह भी सर्वविदित है कि साहित्य समाज को दिशा दिखाता है । वैसे भी साहित्य को समाज का दर्पण भी कहा गया है । अगर मेरे इस प्रयास से मैं किसी को हिन्दी साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित कर पायी, तो मैं इस प्रयास को सार्थक समझूँगी। मुझे परिवार से यथासंभव मदद मिलती है।
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
मुझे मेरे पति के द्वारा वीडियो रिकॉर्ड करने में मदद मिलती है, परंतु वीडियो से सम्बंधित अन्य शेष कार्य मुझे अकेले ही करने होते हैं। इसके अलावा मुझे दोस्तों, परिजनों और शुभचिंतको से कुछ सलाह मिल जाती है।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:-
किताबों में सभ्यता एवं संस्कृति समाहित होती हैं । किताबें ही इन संस्कृतियों को विभिन्न देशकाल में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तान्तरित करने का कार्य करती है । हिन्दी ही वह भाषा है, जिसे हम बचपन से सुनते, समझते एवं वार्त्तालाप करते आये हैं। ऐसे में हिन्दी में लिखी किताबें या भविष्यकाल में लिखी जाने वाली किताबें ही इन संस्कृतियों को आगे ले जाएंगी।
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
जब हम छोटे होते हैं, तो कक्षा में हमें नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाता है। इस विश्वास में कि हमारे अंदर नैतिक मूल्यों का विकास होगा। हमारा व्यवहार हमारे आस-पास के वातावरण से प्रभावित होते हैं । अच्छी किताबें हमारी जितनी मनोरंजन करती हैं, उससे कहीं अधिक हमारा सामाजिक और नैतिक विकास करती हैं। इनसे सीखी गई चीजों को हम जाने-अनजाने अपने व्यवहार में परिलक्षित पाते हैं।
प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये।
उ:-
आज के समय में जहाँ किसी के पास समय नहीं है, वहाँ लोग अपना वो कीमती समय मेरे वीडियो को देते हैं । उनके समय से अधिक कीमती मेरे लिए और क्या होगा ?
प्र.(11.)आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
नहीं, अभी ऐसा कुछ नहीं हुआ !
प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
नहीं।
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
अभी तो मेरी शुरुआत ही है। लोगों से प्राप्त प्रशंसा,सलाह और प्रेम ही मेरे लिए किसी पुरस्कार से कमतर नहीं !
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
मेरे कार्य घर से ही हो रहे हैं। लोगों को यही संदेश देना चाहूँगी कि हर कोई साहित्य में रुचि लें, जिनसे हमारी हिन्दी की समृद्ध और सृजनात्मक साहित्यिक परम्परा बनी रहे !
आप यूं ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !
नमस्कार दोस्तों !
मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !
हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com
आप कभी टीवी चैनल मे इंटरव्यू क्यो नही देती है
ReplyDeleteआप की मेहनत एक दिन जरूर रंग लाएगी
ReplyDeletegood surabhi
ReplyDeleteसफलता के उच्च शिखर की ओर अग्रसारित।
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