भारत माई से बड़ी कोरोना माई हो गयी है, तब न जगह-जगह यह वायरस अपना प्रभाव फैला रहा है !
दोस्तों ! बीमारी को ईश्वर मत बनाइये !
आइये,मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं कवयित्री सुश्री ईशिका गोयल की कविता कोरोना पर...
"समस्या भारी, एक महामारी"
हिला कर रख दी इसने दुनिया सारी
लॉकडाउन कहे...
बच के चलो भाई, बच के चलो न
सोशल डिसटेंसिंग का भी थोड़ा तो पालन करो न
दिलों में संयम- हिम्मत ज़रूर संजोना
देश के साथ एकजुट होकर चलो न
हर कानून-नियम का उल्लघंन मत करो न !
कोरोना कहे...
आओ जी, आओ...मेरा आहार बन जाओ
मुझे चाहिए मानव शरीर
मेरा नाम कोरोना
थोड़ा मुझ से भी तो डरो न
मैं प्रकोप फ़ैलाने में मस्त-मग्न सा
ऐसा मेरा प्यार मनुष्य जायेगा हार
मुझसे लड़कर खो देगा अपने प्राण
मेरे जाल में फंसकर हो जाओगे रोगग्रस्त
मैं अपनी पर आया तो कर दूंगा सब अस्त-व्यस्त !
डाक्टर /नर्स कहे...
हम पर भी थोड़ा रहम करो न
अपने फर्ज से इस तरह न तुम पलायन करो
अपना घर-परिवार-बच्चों को छोड़ हम कर रहे देश कि सेवा
थोड़ा हमारे परिवारों का भी सोच लो न ?
कोरोना को दावत मत दो--
थोड़ा परहेज़, घर में रहो
स्वच्छता का ख्याल रखो
इन छोटी-छोटी बातों पर थोड़ा ग़ौर करो
मत जाने दो हमारी हर कोशिश बेकार
हम कर रहे हर संभव प्रयास
जीत जायेंगे हम यह लड़ाई
यही बनाए रखो आस
बस, हमें चाहिए हर देशवासियों का साथ !
मरीज़ कहे...
भगवान हम पर थोड़ी दया करो न
कृपया हमारी जान बख्श दो
इतना क्रोधित मत रहो
हमारी हर गलती, भूल-चूक माफ़ कर दो न
इतनी खौफनाक सज़ा मत दो हमें !
भगवान जी कहे...
कब तक करूं तुझे माफ़ ?
मनुष्य सुनता ही नहीं तू मेरी बात
करने चला था प्रकृति से खिलवाड़
अब भुगत अपने गुनाहों कि सज़ा भरमार
आयेगा दिन जब पूरा होगा तेरा पश्चाताप !
आम जनता कहे...
क्या करें, कहां जाये हम ?
काम छूटा, नौकरी छूटी
और
छूटा हमारा घर बार
छत, एक वक्त कि रोटी को हम सब हो गए मोहताज़
पानी पी, सड़कों पर रह गुज़ारा कर रहे हम
ऐसे में इस शहर में मरने के लिए कैसे रूकें हम ?
इस महामारी से अब कैसे लड़े हम ?
सुख-चैन सब खो गया
इस महामारी ने तो सब तहस-नहस कर दिया
इस शहर ने फिर गांव कि तरफ़ हमारा रूख मोड़ दिया
अब तो पलायन का सुझाव ही बेहतर लग रहा !
सरकार कहे...
ठहरो भाई , ज़रा ठहरो
जहां हो वहीं रहो न
हर सुख-सुविधा हम देंगे
तुम्हारी हर जरूरत का ध्यान हम रखेंगे
सड़कों पर लेट, भूखे पेट किसी को भी न मरने देंगे
बस ..तुम नियमों का पालन करो
इधर-उधर निकलकर , कोरोना को मत बुलाओ !
आर्मी /पुलिसकर्मी कहे...
घर में रहो, घर में रहो
आर्मी / पुलिस अपना रही हर हथकंडे
फिर भी न समझे
और
होशियारी दिखाई तो पड़ेंगे लाठी-डंडे
घर से बाहर न आईयो भाई
इसी में सबकी भलाई
होगी कार्रवाई
फिर तो तेरी शामत आई
अगर नियमों का उल्लघंन किया
सरकार के कामों में डाले अडंगे
दिखा देंगे तुझे संड़े
प्यार से मानो हमारी बात
सारा वक्त सड़कों पर खड़े
निभा रहे अपना फर्ज
अपने परिवारों से दूर रह रहे
पता नहीं चलता कैसे बीत गया दिन-रात ?
फिर भी मनुष्य तु कर रहा मनमानी हमारी ही साथ
थोड़ा सोच-समझ ले हम भी है इंसान
मत कर हमें इतना परेशान
हो जायेगा तेरा ही नुकसान
हर नियम का पालन करना सबको सिखा रहे
हम सब देश के साथ एकजुट लड़ रहे !
सबके अलग-अलग विचार
कोरोना मानता ही नहीं हार
लॉकडाउन ही है एक मात्र ईलाज
सभी एकजुट और हिम्मत रखो
घरों में स्वस्थ-सुरक्षित रहो
नियमों का पालन करो !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
दोस्तों ! बीमारी को ईश्वर मत बनाइये !
आइये,मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं कवयित्री सुश्री ईशिका गोयल की कविता कोरोना पर...
सुश्री ईशिका गोयल |
"समस्या भारी, एक महामारी"
हिला कर रख दी इसने दुनिया सारी
लॉकडाउन कहे...
बच के चलो भाई, बच के चलो न
सोशल डिसटेंसिंग का भी थोड़ा तो पालन करो न
दिलों में संयम- हिम्मत ज़रूर संजोना
देश के साथ एकजुट होकर चलो न
हर कानून-नियम का उल्लघंन मत करो न !
कोरोना कहे...
आओ जी, आओ...मेरा आहार बन जाओ
मुझे चाहिए मानव शरीर
मेरा नाम कोरोना
थोड़ा मुझ से भी तो डरो न
मैं प्रकोप फ़ैलाने में मस्त-मग्न सा
ऐसा मेरा प्यार मनुष्य जायेगा हार
मुझसे लड़कर खो देगा अपने प्राण
मेरे जाल में फंसकर हो जाओगे रोगग्रस्त
मैं अपनी पर आया तो कर दूंगा सब अस्त-व्यस्त !
डाक्टर /नर्स कहे...
हम पर भी थोड़ा रहम करो न
अपने फर्ज से इस तरह न तुम पलायन करो
अपना घर-परिवार-बच्चों को छोड़ हम कर रहे देश कि सेवा
थोड़ा हमारे परिवारों का भी सोच लो न ?
कोरोना को दावत मत दो--
थोड़ा परहेज़, घर में रहो
स्वच्छता का ख्याल रखो
इन छोटी-छोटी बातों पर थोड़ा ग़ौर करो
मत जाने दो हमारी हर कोशिश बेकार
हम कर रहे हर संभव प्रयास
जीत जायेंगे हम यह लड़ाई
यही बनाए रखो आस
बस, हमें चाहिए हर देशवासियों का साथ !
मरीज़ कहे...
भगवान हम पर थोड़ी दया करो न
कृपया हमारी जान बख्श दो
इतना क्रोधित मत रहो
हमारी हर गलती, भूल-चूक माफ़ कर दो न
इतनी खौफनाक सज़ा मत दो हमें !
भगवान जी कहे...
कब तक करूं तुझे माफ़ ?
मनुष्य सुनता ही नहीं तू मेरी बात
करने चला था प्रकृति से खिलवाड़
अब भुगत अपने गुनाहों कि सज़ा भरमार
आयेगा दिन जब पूरा होगा तेरा पश्चाताप !
आम जनता कहे...
क्या करें, कहां जाये हम ?
काम छूटा, नौकरी छूटी
और
छूटा हमारा घर बार
छत, एक वक्त कि रोटी को हम सब हो गए मोहताज़
पानी पी, सड़कों पर रह गुज़ारा कर रहे हम
ऐसे में इस शहर में मरने के लिए कैसे रूकें हम ?
इस महामारी से अब कैसे लड़े हम ?
सुख-चैन सब खो गया
इस महामारी ने तो सब तहस-नहस कर दिया
इस शहर ने फिर गांव कि तरफ़ हमारा रूख मोड़ दिया
अब तो पलायन का सुझाव ही बेहतर लग रहा !
सरकार कहे...
ठहरो भाई , ज़रा ठहरो
जहां हो वहीं रहो न
हर सुख-सुविधा हम देंगे
तुम्हारी हर जरूरत का ध्यान हम रखेंगे
सड़कों पर लेट, भूखे पेट किसी को भी न मरने देंगे
बस ..तुम नियमों का पालन करो
इधर-उधर निकलकर , कोरोना को मत बुलाओ !
आर्मी /पुलिसकर्मी कहे...
घर में रहो, घर में रहो
आर्मी / पुलिस अपना रही हर हथकंडे
फिर भी न समझे
और
होशियारी दिखाई तो पड़ेंगे लाठी-डंडे
घर से बाहर न आईयो भाई
इसी में सबकी भलाई
होगी कार्रवाई
फिर तो तेरी शामत आई
अगर नियमों का उल्लघंन किया
सरकार के कामों में डाले अडंगे
दिखा देंगे तुझे संड़े
प्यार से मानो हमारी बात
सारा वक्त सड़कों पर खड़े
निभा रहे अपना फर्ज
अपने परिवारों से दूर रह रहे
पता नहीं चलता कैसे बीत गया दिन-रात ?
फिर भी मनुष्य तु कर रहा मनमानी हमारी ही साथ
थोड़ा सोच-समझ ले हम भी है इंसान
मत कर हमें इतना परेशान
हो जायेगा तेरा ही नुकसान
हर नियम का पालन करना सबको सिखा रहे
हम सब देश के साथ एकजुट लड़ रहे !
सबके अलग-अलग विचार
कोरोना मानता ही नहीं हार
लॉकडाउन ही है एक मात्र ईलाज
सभी एकजुट और हिम्मत रखो
घरों में स्वस्थ-सुरक्षित रहो
नियमों का पालन करो !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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