गाँव शहर बन रही है, किन्तु गाँवों में अब भी बहुत सारी ऐसी समस्याएं हैं, जिनका निदान नहीं हो पाए हैं ! आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं काव्याणु और समझते हैं गाँव और शहर के बीच के अंतर को...
"ज़िंदगी निकल जा, अपनी सैर पर, क्योंकि- शहर भी पहले गाँव हुआ करते थे !"
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
फ़ोटो : साभार गूगल |
"ज़िंदगी निकल जा, अपनी सैर पर, क्योंकि- शहर भी पहले गाँव हुआ करते थे !"
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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