आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं श्रीमान अरविंद यादव जी की असाधारण कविता...
खामोश !
समझदारी का मतलब है
चुप्पी
खबरदार करने से पहले
समझदार हो जाओ
लिखने से पहले समझदार
बोलने से पहले समझदार,
क्योंकि
तुम दर्द लिखोगे,ओ
नक्सल पढ़ेंगे
तुम प्यार लिखोगे,ओ
नफरत पढ़ेंगे
नफ़रत लिखा, तो
बेशक
गद्दार कहेंगे
लाल लिख दिया, तो
फिर ओ, सांड़ कहेंगे
रंग,
काला दिखा दिया, तो
तिहाड़ कहेंगे
इस दौर में जीना है, तो
बेहतर है,
एक खामोश चुप्पी
सिर्फ चुप्पी !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
श्रीमान अरविंद यादव |
समझदारी का मतलब है
चुप्पी
खबरदार करने से पहले
समझदार हो जाओ
लिखने से पहले समझदार
बोलने से पहले समझदार,
क्योंकि
तुम दर्द लिखोगे,ओ
नक्सल पढ़ेंगे
तुम प्यार लिखोगे,ओ
नफरत पढ़ेंगे
नफ़रत लिखा, तो
बेशक
गद्दार कहेंगे
लाल लिख दिया, तो
फिर ओ, सांड़ कहेंगे
रंग,
काला दिखा दिया, तो
तिहाड़ कहेंगे
इस दौर में जीना है, तो
बेहतर है,
एक खामोश चुप्पी
सिर्फ चुप्पी !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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