आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रस्तुत अंक में पढ़ते हैं श्रीमान आशुतोष दुबे जी के फ़ेसबुक वॉल से साभार ली गयी हृदयस्पर्शी कविता....
तस्वीरों में दिखने वाले सुख की उम्र
सुख से बहुत ज़्यादा है
श्रीमान आशुतोष दुबे |
तस्वीरों में दिखने वाले सुख की उम्र
सुख से बहुत ज़्यादा है
एक दिन हम
उसके सामने ठिठक जाते हैं
उसके सामने ठिठक जाते हैं
याद करने
पहचानने की कोशिश करते हैं
पहचानने की कोशिश करते हैं
उसकी धूल पोंछ कर रख देते हैं
कुछ पीला पड़ता हुआ
वह हमें देखता है
वह हमें देखता है
हमारे उसके सामने से हटने के पहले।
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