आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं कवि श्रीमान पवन अरोड़ा जी की इश्क़ पर लिखी गयी दिलदार कविता...
श्रीमान पवन अरोड़ा |
अच्छा रहता
हम इश्क़ की राह चलते नहीं
चल कर यूँ बिछड़ते नहीं
अजनबी तो ना थे हम
अब आज की तरह
मिल लेते थे कभी ना कभी
यारों की तरह
अजनबी तो ना थे हम
अब आज की तरह
मिल लेते थे कभी ना कभी
यारों की तरह
रहता था आना जाना
कभी कभार
एक दूसरे की वाल पर
दिल से तो लिखते थे
जवाब-सवाल किसी न किसी बात पर
दु:ख-दर्द,खुशियों में शामिल हो जाते थे
सच कहूँ तो औपचारिकता तो नहीं निभाते थे
कभी कभार
एक दूसरे की वाल पर
दिल से तो लिखते थे
जवाब-सवाल किसी न किसी बात पर
दु:ख-दर्द,खुशियों में शामिल हो जाते थे
सच कहूँ तो औपचारिकता तो नहीं निभाते थे
अब वाल कहाँ देखते हैं
राह में देख अनदेखी कर देते हैं
कोई बात क्या करनी सोच
हम दूसरी और मुहँ फेर लेते हैं
खुद को सही सच दिखाने को
हम ना जाने कितने मुखोटे ओढ़ लेते हैं
शब्दों के हम बाजीगर
इश्क़ की राह पर चल
इंसा को बेरहमी से तोड़ देते हैं
राह में देख अनदेखी कर देते हैं
कोई बात क्या करनी सोच
हम दूसरी और मुहँ फेर लेते हैं
खुद को सही सच दिखाने को
हम ना जाने कितने मुखोटे ओढ़ लेते हैं
शब्दों के हम बाजीगर
इश्क़ की राह पर चल
इंसा को बेरहमी से तोड़ देते हैं
अच्छा रहता हम मिलते नहीं
मिल कर यूँ बिछड़ते नहीं !
मिल कर यूँ बिछड़ते नहीं !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
0 comments:
Post a Comment