आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं ग़ज़लकार श्रीमान प्रवीण परिमल की जानदार गजल...
श्रीमान प्रवीण परिमल |
दुआओं में कुछ तो असर ले के आओ
कभी तो ख़ुलूसे-नज़र ले के आओ
यक़ीनन उसे देवता मान लेंगे
जो बेलौस कोई बशर ले के आओ
जो बेलौस कोई बशर ले के आओ
हक़ीक़त- बयानी अजल से है अपनी
मेरे पास पुख़्ता जिगर ले के आओ
मेरे पास पुख़्ता जिगर ले के आओ
तेरे साथ चल दे ये सारा ज़माना
मोहब्बत की वो रहगुज़र ले के आओ
मोहब्बत की वो रहगुज़र ले के आओ
ये दौरे- कशाकश भी आसान होगा
अगर साथ अज़्मे-सफ़र ले के आओ
अगर साथ अज़्मे-सफ़र ले के आओ
परिंदे बना लें जहाँ आशियाना
कोई भी तो ऐसा शज़र ले के आओ
कोई भी तो ऐसा शज़र ले के आओ
मोहब्बत में ये कैसी ज़िद्द उनकी 'परिमल'
फ़लक के वो शम्सो-क़मर ले के आओ।
फ़लक के वो शम्सो-क़मर ले के आओ।
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